ऐसे स्वतंत्रता सेनानी के जीवन के बारे में, जिन्होंने अपनी अल्पायु में ही देश के लिए अपनी जान को न्योछावर कर दी थी, आज हम आपको राजगुरू जी के प्रारंभिक जीवन की रूपरेखा से रूपरेखा सुनाएंगे। राजगुरू जी की अवधि उनके जीवन को कैसे व्यतीत होती थी, यह जानने के लिए आइए हम इस वीडियो को शुरू करें।
सिवाराम हीरी राजगुरू इनानी में से पाँचवीं संतान थे। राजगुरू के पिता का दीवारतंत्र केवल चार बरस की आयु में ही चला गया था। इसके बाद, उनका पालन-पोषण उनकी माता और बड़ी बहन ने किया। राजगुरू का बचपन गाँव में ही बिता था। संस्कृत की सबसे ऊँची सब्तसा सा सस्त्र को बहुत ही कम समय में कंठांत कर लिया था।
इसके साथ, आपको बताना चाहूंगा कि राजगुरू का क्रांतिकारी बनने का सफर कैसे शुरू हुआ। जब वे बरांडसी में सिघारते थे, तब उनकी मुलाकात वहां कुछ क्रांतिकारियों से हुई जो देश के लिए लड़ रहे थे। उनको इन क्रांतिकारियों से प्रेरित होकर राजगुरू भी इस लड़ाई में सम्मिलित हो गए। उन्होंने 1924 में ‘हिंदुस्तान सोचलिष्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ में शामिल हो गए, जो एक क्रांतिकारी संगठन था। इस संगठन में उनके साथी में चंद्रशेखर आजाद, भगतसिंह, सुखदेव, ठापरा, और कई अन्य क्रांतिकारीयों ने भी शामिल थे। इस संगठन का उद्देश्य था लोगों को संगठित करके देश को स्वतंत्रता दिलाना।
राजगुरू और भगतसिंह ने एक साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लाठी चार्ज का आंदोलन किया। 1928 में, ब्रिटिश इंडियन ने बारात में राष्ट्रवादी नेताओं ने इस कमीशन का बहिष्कार किया था और इस पर लाठी चार्ज किया गया था। इस घटना में लाला लाजपतराय ने जान गंवा दी थी। इसके बाद, अंग्रेजों ने राजगुरू को और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया था।
राजगुरू की मौत की बात आने पर, आपको बताना चाहूंगा कि जब गुरु राजगुरू को फाँसी दी गई थी, तब उनकी उम्र सिर्फ बाइस साल थी। इस त्रासदी के दौरान, राजगुरू ने अंग्रेजों को उनके कातिलों को पकड़ने का हक दिलाने के लिए समर्थन किया था।
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| जीवन परिचय | |
|---|---|
| वास्तविक नाम | शिवराम हरि राजगुरु |
| उपनाम | रघुनाथ, एम महाराष्ट्र |
| व्यवसाय | स्वतंत्रता सेनानी |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | 24 अगस्त 1908 |
| आयु (मृत्यु के समय) | 22 वर्ष |
| जन्मस्थान | गाँव खेडा, जिला पुणे, बॉम्बे प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश भारत |
| मृत्यु तिथि | 23 मार्च 1931 |
| मृत्यु स्थल | लाहौर, ब्रिटिश भारत, (अब पंजाब,पाकिस्तान में) |
| मृत्यु का कारण | फांसी (सजा-ए-मौत) |
| राशि | कन्या |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| गृहनगर | गाँव खेडा, जिला पुणे, बॉम्बे प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश भारत |
| परिवार | पिता - हरि नारायण माता - पार्वती बाई राजगुरु की माता भाई - 1 बहन - कोई नहीं |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | ब्राह्मण |
| शौक/अभिरुचि | कसरत (व्यायाम) करना, घुड़सवारी करना, तलवारबाजी करना, ग्रंथ पढ़ना |
| पसंदीदा चीजें | |
| पसंदीदा क्रांतिकारी | वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
| वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
| पत्नी | कोई नहीं |
