विश्वास, परिश्रम, और बेबाग अंदास की साथ, दिगविजय सिंग ने अपनी विशेष पहचान बनाई है। यद्यपि उनकी आयु चार दशकों को पार कर गई है, लेकिन फिटनेस के क्षेत्र में वे अब भी युवा दिखते हैं। दिगविजय सिंग नेतृत्व में उन लोगों में से एक हैं जो अपने प्रयासों के साथ नए पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने उन्हें भारत चोड़ो यात्रा की जिम्मेदारी सौंपी है, जो विपक्षी दल के लिए महत्वपूर्ण है। आज, जब कांग्रेस सबसे कठिन समय से गुजर रही है, दिगविजय सिंग एक ऐसा नेता है जो संगठन के साथ मिलकर समर्थन दे रहे हैं। उनकी यात्रा में, वे नेतृत्व दिखाते हैं और एक आम आदमी की भावनाओं को समझते हैं।
दिगविजय सिंग की मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा का योगदान भी महत्वपूर्ण है। उनके साथी कार्यकर्ताओं के बीच हुई एक चर्चा में यह खुलासा हुआ है कि उन्होंने योजना के अनुसार एक आम आदमी की भूमिका में जीवन बिताया है।
उनका बचपन से ही खेलों में रुचि रही है, और वह क्रिकेट के खेत में राष्ट्रीय स्तर पर भी खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने विभिन्न खेलों में उच्च स्तर की प्रतिष्ठा हासिल की है और उनकी योगदान को समझाने के लिए उनकी योग्यताओं को समर्थन किया जा रहा है।
दिगविजय सिंग का शिक्षा में भी उत्कृष्ट योगदान है। उन्होंने मेकैनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में विज्ञान संस्थान से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपनी ऊर्जा को सार्वजनिक सेवा में लगा दी।
दिगविजय सिंग ने भी इस डिनर पार्टी में शामिलता दिखाई दी। एक दिन, दिल्ली में आयोजित हुई डिनर पार्टी में देश के कई नेताओं और पत्रकारों को नेवता दी गई थी। इस मौके पर, मजहूर अक्सप्रेस के संपादक, आर्के करणजिया भी मौजूद थे। इस समय, उन्होंने दिगविजय सिंग का नाम सही से उच्चारण नहीं कर पा रहे थे। एक अचानकी पल में, उन्होंने दिग्गी राजा कहकर दिखविजय सिंग को बुलाया, जिसके पर्यावरण में उच्चारण की गई यह बात सभी को हंसी में डाल दी।
इस घटना के बाद, अक्सप्रेस के हेडलाइन में दिग्गी राजा की खबर छपी, हालांकि दिगविजय सिंग को यह नाम अच्छा नहीं लगा। उन्हें सियासी विरासत मिली, जब उनके पिता रागोगर सीट से जौनसंग के टिकट पर संघर्ष कर रहे थे, लेकिन दिगविजय ने 1970 में कॉंग्रेस को चुना और कॉंग्रेस पाईटी का समर्थन किया।
उन्होंने पहली बार जीवन के इस पहलू में रागुगड नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में रहा। उन्हें 1970 में रागुगड विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला, जिससे वे विधायक बन गए और उनका राजनीतिक करियर और बढ़ता गया। 1984 में पाईटी ने उन्हें राजगड लोकसभा सीट से टिकट दिया और उन्होंने उसे जीत कर पहली बार लोकसभा में पहुंचा। हालांकि, 1989 में वे राजगड से हार करने के बाद, उनके चारण बन चुके थे।
1993 में फिर से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद, कॉंग्रेस ने उन्हें मद्धः प्रतेश की कमान सौंपी, और उन्हें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि, 2003 में कॉंग्रेस ने चुनाव हारा, लेकिन दिगविजय सिंग ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कभी नहीं चुनाव लड़ने का व्रत निभाया। इसके बाद, उन्होंने अन्य राज्यों में कॉंग्रेस को मजबूत करने में सक्रिय भूमिका निभाई!
| व्यवसाय | भारतीय राजनेता |
| उपनाम | दिग्गी राजा [1] |
| राजनीति | |
| पार्टी/दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) Indian National Congress Flag |
| राजनीतिक यात्रा | • 1969 और 1991 तक वह राघोगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष रहे। • दिग्विजय सिंह 1970 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने। • मध्य प्रदेश में 1977 के विधानसभा चुनाव में वह रागोहगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए। • सिंह 1980 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उसी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में दोबारा से चुने गए। • उन्होंने 1985 और 1988 के बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। • 1984 के लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह राजगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए। • 1989 के लोकसभा चुनाव में वह अपने निर्वाचन क्षेत्र से हार गए। • 1991 के लोकसभा चुनाव में वह दोबारा से सत्ता के लिए चुने गए। • सिंह ने 1993 में संसद के निचले सदन से एक सांसद के रूप में इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री नामित किया गया था और बाद में उन्हें सीएम के रूप में अपनी भूमिका को पूरा करने के लिए उपचुनाव में चछोड़ा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुना गया था। • 1998 के विधानसभा चुनावों में उन्हें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा से चुना गया और दिसंबर 2003 तक कार्य किया। |
| शारीरिक संरचना | |
| लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 173 मी०- 1.73 फीट इन्च- 5’ 8” |
| भार/वजन (लगभग) | 75 कि० ग्रा० |
| आँखों का रंग | काला |
| बालों का रंग | काला और सफ़ेद |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | 28 फरवरी 1947 (शुक्रवार) |
| आयु (2022 के अनुसार) | 75 वर्ष |
| जन्म स्थान | इंदौर, होल्कर राज्य (अब मध्य प्रदेश में), ब्रिटिश भारत |
| राशि | मीन (Pisces) |
| हस्ताक्षर | Digvijaya Singh's signature |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| गृहनगर | इंदौर, मध्य प्रदेश, भारत |
| स्कूल/विद्यालय | खालसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल खरड़, पंजाब |
| कॉलेज/विश्वविद्यालय | • डेली कॉलेज, इंदौर, मध्य प्रदेश, भारत • श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान (एसजीएसआईटीएस) इंदौर, मध्य प्रदेश |
| शैक्षिक योग्यता | बी.ई. (मैकेनिकल) [2] |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | राजपूत |
| पता | पो. राघोगढ़, जिला-गुना (म.प्र.) [3] |
| विवाद | • दिग्विजय सिंह मई 2011 में अल-कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को दफनाने पर अपनी टिप्पणी के साथ विवादों में आ गए। उन्होंने कहा कि अमेरिका को सम्मानजनक अंत्येष्टि देनी चाहिए थी। • जुलाई 2013 में बोधगया बम विस्फोटों के बाद सिंह ने ट्विटर पर लिखा और कहा, ट्वीट ने भाजपा को हमले से जोड़ने के लिए उनकी आलोचना की। Digvijay Singh tweet • एक स्थानीय वकील और आरएसएस के स्वयंसेवक ने सिंह के खिलाफ विवादास्पद ट्वीट पर शिकायत दर्ज की, जो राज्य के पूर्व वित्त मंत्री को उनके नौकर द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप के बाद गिरफ्तार किए जाने के कुछ दिनों बाद आया था। सिंह ने अपने ट्वीट में "राम और राघवजी" का जिक्र किया। Digvijaya tweet Ram and Raghavji • जुलाई 2013 में सिंह ने आरएसएस पर आरोप लगाया कि संघ अपने कार्यकर्ताओं को बम तैयार करने के लिए प्रशिक्षित करता है, पत्रकारों को आश्वासन दिया कि उनके पास चार वीएचपी और आरएसएस कार्यकर्ताओं के वीडियो क्लिप हैं जो स्वीकार करते हैं कि उन्हें बम बनाने में संघ द्वारा प्रशिक्षित किया गया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि बाटला हाउस मुठभेड़ फर्जी था। • मंदसौर से कांग्रेस सांसद मीनाक्षी नटराजन के खिलाफ अपनी सेक्सिस्ट टिप्पणी के कारण उन्होंने खुद को आलोचना के घेरे में पाया। सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करते हुए कहा कि पार्टी की सांसद मीनाक्षी नटराजन गांधीवादी, सीधी-सादी और ईमानदार नेता हैं। वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में जगह-जगह घूमती रहती हैं। मैं राजनीति का अनुभवी लोहार हूं। मीनाक्षी सौ तुंच माल है।" • मई 2017 की शुरुआत में तेलंगाना पुलिस ने सिंह के ट्वीट पर एक शिकायत के बाद उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया, जिसमें कहा गया था कि तेलंगाना पुलिस ने मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए एक नकली आईएसआईएस वेबसाइट की मेजबानी की थी। |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| विवाह तिथि | पहली शादी - वर्ष (1969- 2013) दूसरी शादी - वर्ष 2016 |
| परिवार | |
| पत्नी | पहली पत्नी - राणा आशा कुमारी (2013 में मृत्यु) [4] दूसरी पत्नी - अमृता राय, न्यूज एंकर Digvijaya Singh with his wife |
| बच्चे | बेटा - जयवर्धन सिंह (राजनेता) Digvijaya Singh with his son बेटी - 3 • मंदाकिनी कुमारी • कर्णिका कुमारी • मृदिमा कुमारी नोट: दिग्विजय सिंह की चार बेटी और दो बेटे हैं जिसमें से तीन बेटियों और एक बेटे का नाम ऊपर बताया गया है। |
| माता/पिता | पिता - बलभद्र सिंह (पूर्व भारतीय राजनेता) Digvijaya Singh's father माता - अपर्णा कुमारी |
| भाई/बहन | भाई - लक्ष्मण सिंह बहन - ज्ञात नहीं |
| धन/संपत्ति संबंधित विवरण | |
| धन/संपत्ति [5] | चल संपत्ति • नकद: 4,70 लाख रुपये • बैंकों में जमा: 1,13 करोड़ रुपये • बांड, डिबेंचर: 4,71 लाख रुपये • एनएसएस, डाक बचत: 24,40 लाख रुपये • एलआईसी या अन्य बीमा पॉलिसियां: 4,15 लाख रुपये • व्यक्तिगत ऋण: 3,82 करोड़ रुपये • मोटर वाहन: 15,68 लाख रुपये • आभूषण: 88,47 रुपये अचल संपत्ति • कृषि भूमि: 3,82 करोड़ रुपये • कमर्शियल भवन: 27,38 करोड़ रुपये • आवासीय भवन: 2,48 करोड़ रुपये |
| कुल संपत्ति | 40,23 करोड़ (2019 के अनुसार) [6] |
