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Lala Har Dayal

नमस्कार दोस्तों! सुआगत है आप सभी का एक बार फिर से मेरे यूट्यूब चैनल में। आज की वीडियो में हम बात करेंगे लाला हरदयाल के बारे में, जो एक महान क्रांतिकारी थे। लाला हरदयाल जी का जन्म 14 अक्टूबर 1884 को दिल्ली के महुला चिडियाखाना (चाननी चोप) में हुआ था। उनके पिता का नाम गोरी दयाल मातूर और माता का नाम भोली राणी था।

लाला हरदयाल के मन में बचपन से ही देशभक्ति की भावना थी। सुंदर राणी नाम की महिला से सात्रा वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ, लेकिन कुछ दिनों बाद उनका पुत्र निधन हो गया और बाद में एक पुत्री हुई। लाला हरदयाल ने दिल्ली में पढ़ाई करते समय अमीरचंद, बाल, मुकुंद, आदि के साथ युगों के साथ एक दल का गठन किया।

लाहौर में पढ़ाई के दौरान उनके दल में लाला लाजपत राय जैसे युग भी शामिल थे। लाला हरदयाल ने अंग्रेजी सरकार के चातुर्वर्ती पर सिख्षा प्राप्त करना स्वीकार नहीं किया और लंदन में भारतीय छात्रों को मुक्ति धारा में लाने के लिए पॉलिटिकल मशीनरी नमक संस्था बनाई।

दो वर्षों के अध्ययन के बाद, वह भारत वापस आए और चोटी उम्र में ही उनका प्रभाव सामाजिक होने लगा। इनके बढ़ते प्रभाव के चलते सरकारी हल्कों में उनकी गिरफ्तारी की चर्चा होने लगी, जिस पर लाला लाजपत राय ने उन्हें विदेश भेजने का सुझाव दिया।

पेरिस में लाला हरदयाल ने मेवंदे मात्रम और तलवार नामक पत्र का संपादन किया, और 1910 में लाला हरदयाल सैंड फ्रांसिसको अमेरिका गए और वहां के मजदूरों को संगठित कर गदर नामक पत्तर निकाला।

अमेरिका में 25 जून 1917 को गदर पार्टी की स्थापना हुई, जिसका उद्देश्य अंग्रेजी साम्राज्य को खड़ा करना था। लाला हरदयाल ने जर्मनी से दो जहाजों में बंदूकें भरकर बंगाल भेजी थीं, लेकिन सूचना के आधार पर इन जहाजों को जब्त कर लिया गया।

जर्मनी में लाला हरदयाल जी को कुछ समय के लिए नजरबंद कर दिया गया था, लेकिन वहां से बाहर आकर उन्होंने सांतीक बारका प्रचार करना शुरू किया। 1949 में लाला हरदयाल भारत लौटने के लिए उत्सुक थे, क्योंकि उन्होंने अभी तक अपनी पुत्री का मुंह नहीं देखा था। इनकी पुत्री का जन्म उनके विदेश जाने के बाद हुआ था, लेकिन वह विदेश में ही इनका निधन हो गया था।

लाला हरदयाल ने अपनी जिन्दगी में कभी भी अपनी पुत्री का मुंह नहीं देख पाया। उनके मित्र लाला हनुमंत सहाय के अनुसार, लाला हरदयाल की मृत्यु सुभाविक नहीं थी, और उन्हें जहर देकर मार दिया गया था।

इस रूपरेखा में लाला हरदयाल के उद्दीपन और संघर्ष की कहानी बताई गई है, जो हमें उनके अनुपम योगदान की ओर प्रेरित करती है। धन्यवाद!

 

 

जीवन परिचय
वास्तविक नामहरदयाल सिंह माथुर
व्यवसायभारतीय स्वतंत्रता सेनानी
शारीरिक संरचना
आँखों का रंगकाला
बालों का रंगकाला
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि14 अक्टूबर 1884 (मंगलवार)
जन्म स्थानदिल्ली डिवीजन, पंजाब प्रांत, ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य (वर्तमान भारत)
मृत्यु तिथि4 मार्च 1939 (शनिवार)
मृत्यु स्थानफिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनिया, यू.एस.
मौत का कारणप्राकृतिक मृत्यु
आयु (मृत्यु के समय)54 वर्ष
राशितुला (Libra)
राष्ट्रीयताब्रिटिश भारत
गृहनगरदिल्ली डिवीजन, पंजाब प्रांत, ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य (वर्तमान भारत)
कॉलेज/विश्वविद्यालय• सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली • पंजाब विश्वविद्यालय
शैक्षिक योग्यता• सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से संस्कृत में बीए • पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से संस्कृत में एमए
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति (मृत्यु के समय)विवाहित
साथी• फ्राइड हॉसविर्थ (अमेरिका में) • अगदा एरिक्सन (स्वीडन में)
विवाह तिथिवर्ष 1905
परिवार
पत्नीसुंदर रानी
बच्चेबेटी - शांति (जन्म 1908)
माता/पितापिता - गौरी दयाल माथुर (जिला अदालत में पाठक) माता - भोली रानी

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