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Shivam Dube

सफलता पाने के लिए इंसान को हर हद तक तूटना और जोड़ना पड़ता है। और बात कम संभावनाओं में सफलता की हो तो फिर कहना ही क्या। लेकिन ऐसी परिस्थितियों को हरा कर भी जो इंसान जीत जाए, उसे किताबी भाषा में सिकंदर कहते हैं। त्रिकितर शिवं दूबे की कहानी में सब कुछ है। संघर्ष भी, सफलता भी, भविष्य के लिए संभावना भी, ये उस क्रिकेटर की बात है जिसने घरीबी में पल कर शुहरत की उचाईयों को अपने कदमों में खीच लिया, हालांकि यह सफलता शिवं दूबे के लिए बहुत आसान नहीं रहा।

किस्मत बहुत पीजी से करवट लेती है, और फिर कैसे बुरे दिन देखकर इंसान अच्छे दिन में डूप जाता है शिवम दुवे की कहानी में ये सब कुछ है। शिवम दुवे का जन्म संपन परिवार में हुआ। अच्छी परवरिष हुई, लेकिन ट्रिकेटर बनने के चक्कर में उनके पिता को बहुत कुछ गवाना पड़ गया। फैक्ट्री बंद गई, खेत छोड़े गए, पैसे खत्म हो गए लेकिन एक चीज अभी भी बची थी, वह था बेटे का हुनर और यही हुनर वापस धीरे-धीरे सब कुछ दे गया। शिवम अंतराष्ट्रीय क्रिकेटर बने तो शोहरत और पैसे दोनों आने लगे हैं। अब तो सफलताराम की चेडिया को बस पंख लगे हैं और आगे पूरा आसमान दिखता है।

शिवम दुबे का जन्म यूपी के भदोही जिले में हुआ। शुरूवात में परिवार में राजनीति का माहौल था और परिवार के कुछ लोग शिवम को क्रिकेट खेलने के विरोध में थे। लेकिन अकेले शिवम के पापा की चाह थी कि वह क्रिकेट खेले और अच्छा क्रिकेटर बने। लेकिन जो चाहो वह वक्त पर पूरा हो जाए ऐसा बहुत कम होता है, लेकिन देर ही सही ऐसा हुआ और शिवम दुबे अपनी भूमिका में इंडिया के उभरते हुए स्टार बन गए हैं।

कई बार इंसान को जिद बहुत कुछ देकर जाता है। राजेश दुबे के बेटे को जिद में ही क्रिकेटर बना दिया। सिर्फ सात साल की उम्र में राजेश दुबे ने शिवम को क्रिकेटर बनाने के लिए भदोही से मुंबई चले गए। मुंबई के अंधेरी इस्थित दुबे बिल्डिंग कॉंप्लेक्स में पिच बना कर उसे क्रिकेट खेलने का अभ्यास शुरू करा दिया। शिवम धीरे-धीरे क्रिकेट के पिच पर छोटे उस्ताद की तरह कमाल की बैटिंग करने लगे।

उनके पापा ही एहसान कोच थे, तो दिक्कतीम ही खोड़ी कम रही। लेकिन रोज़ाना शिवम के पापा उसे 500 गेंदें फेकते थे और यह सिलसिला 10 साल तक चलता रहा। साथ-साथ शिवम की पढ़ाई-लिखाई मुंबई में ही चल रही थी। मतलब एक तरफ क्रिकेट और दूसरी तरफ पढ़ाई-लिखाई। शिवम को क्रिकेटर बनाने में राजेश दुबे इस तरह डूब गए कि 8 साल तक अपनी फैक्टरी और पूरा बिजनेस अपने घणिष्ट दोस्त और सम्बंधीयों के भरोसे ही छोड़ दिया।

एक तरफ बेटा क्रिकेटर बनने की राह पर था, लेकिन बिजनेस में मदद करने वाले राजेश दुबे को सद्मा दे दिया, शिवम का क्रिकेट करियर किनारे पकड़ने लगा। मुफलिसी के दौर में सब कुछ संभालना असान नहीं था, लेकिन कुछ सालों में वक्त फिर से करवट लेने लगा और इस बार शिवम को ट्रिकेटर बनाने की जिद पकड़ी राजेश दुबे को नया साथ मिला। अभिषेक नायर ने दुबे परिवार का साथ किया अब तक शिवम मुंबई की टीम के लिए खेलने लगा है।

फिर क्या, बैट और बॉल दोनों से शिवम ने आग उगलना शुरू किया, बरौड़ा के खिलाफ एक मैच में पाठ छक्के लगा कर शिवम ने अपनी मजबूत उपस्थिति धरा। अब नजरअंदाज करने वाले भी शिवम की तारीफ करने लगे थे। साल 2018 में जिस दिन शिवम का बैट बलादा के खिलाफ आग उगल रहा था, उसके ठीक अगले ही दिन रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने 5 करोड़ में उसे खरीद लिया। 2019 के IPL में कमाल दिखाने के लिए शिवम अब तैयार बैठे थे।

 

जीवन परिचय
व्यवसायक्रिकेटर (ऑलराउंडर)
शारीरिक संरचना
लम्बाईसे० मी०- 180 मी०- 1.80 फीट इन्च- 5’ 11"
वजन/भार (लगभग)70 कि० ग्रा०
आँखों का रंगगहरा भूरा
बालों का रंगकाला
क्रिकेट
डोमेस्टिक/स्टेट टीममुंबई, रिजवी मुंबई
कोचसतीश सामंत
बल्लेबाज़ी शैलीबाएं हाथ के बल्लेबाज
गेंदबाज़ी शैलीदाहिने हाथ से मध्यम गति
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि26 जून 1993
आयु (2018 के अनुसार)25 वर्ष
जन्मस्थानमुंबई, महाराष्ट्र, भारत
राशिकर्क
राष्ट्रीयताभारतीय
गृहनगरमुंबई, महाराष्ट्र, भारत
धर्महिन्दू
स्कूलहंसराज मोरारजी पब्लिक स्कूल, मुंबई
कॉलेजरिजवी कॉलेज, मुंबई
शैक्षणिक योग्यतास्नातक
शौक/अभिरुचियात्रा करना और संगीत सुनना
पसंदीदा चीजें
पसंदीदा क्रिकेटर्सजैक्स हेनरी कालिस
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
परिवार
पत्नीकोई नहीं
माता-पितानाम ज्ञात नहीं
भाई-बहनभाई- ज्ञात नहीं बहन- पूजा दुबे शिवम दुबे अपनी बहन के साथ
धन संबंधित विवरण
आय (लगभग)आईपीएल- ₹5 करोड़ प्रति वर्ष

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