दोस्तों, कंप्यूटर या कैलकुलेटर, इन्हें चाहे कितने भी बड़े मैथमेटिकल कैलकुलेशन्स को पलग जफकने के साथ ही सॉल्व कर देते हैं। चाहे वह एडिशन, सब्ट्रेक्शन, मल्टिप्लिकेशन या डिविजन हों। मशीन तो इसका रिजल्ट चुटक्यों में बता देती है। लेकिन क्या कोई इंसान अपने दिमाग से बिना किसी मशीन की मदद के ऐसा कर सकता है?
यहां हम एक ऐसी भारतीय महिला के बारे में बात कर रहे हैं जिनका दिमाग एक आम इंसान के मुकाबले में कई गुना जादा शक्तिशाली और तेज था। इनके पिता सरकस के क्षेत्र में करतब दिखा रहे थे, लेकिन शकुंतला देवी ने अपनी दमदार गणना क्षमता के लिए भी चर्चा में रौंगत लाई।
शकुंतला देवी की कहानी में एक खास बात यह है कि जब इन्हें तीन साल की आयु में खेलते हुए देखा गया और उन्होंने अपने पिता को टाश में हरा दिखाया, तो उनकी दिमागी शक्ति को पहचाना गया। इसके बाद, उन्होंने सरकस का कार्य छोड़कर गणित में अपनी कड़ी मेहनत से नाम कमाया।
इस महिला ने छै साल की आयु में एक बड़े कार्यक्रम में अपनी कैलकुलेशन एबिलिटी से सबको चौंका दिया था। इसके पश्चात, उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुख्यमंत्री कार्यक्रमों में भाग लिया और अपनी शम्ता को पूरे देश में प्रमोट किया।
शकुंतला देवी की अनौपचारिक शिक्षा के बावजूद, उन्होंने गणित में अपनी पूरी जिंदगी समर्पित की और अपने अद्भुत क्षमताओं के कारण उन्हें “मानव कंप्यूटर” कहा गया।
शकुंतला देवी की कहानी ने हमें यह सिखाया है कि छोटे-मोटे जड़बाकी की बजाय, व्यक्ति की मेहनत, आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति से किसी भी क्षेत्र में महारती हासिल की जा सकती है।
शकुंतला देवी का यह सपना था कि वह एक मैथ यूनिवर्सिटी और रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर खोलें, जहां वे लोगों को गणित के टेक्निक्स को सीखने के लिए नए तरीकों की सीख दे सकें। उन्होंने गणित और ज्योतिष शास्त्र में लोगों को मदद करने का संकल्प किया और अपनी कड़ी मेहनत से इसे हकीकत बनाया।
शकुंतला देवी को उनकी अनौपचारिक शिक्षा के बावजूद, गणित और ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में उनकी अद्वितीय योगदान के लिए हम सदैव कृतज्ञ रहेंगे।
शकुंतला देवी की जीवनी पर आधारित एक फिल्म भी बनी है, जिसमें विद्या बालन ने उनका किरदार निभाया है। इस फिल्म के माध्यम से हम शकुंतला देवी की महानता और उनके योगदान को और भी समझते हैं।
इस महान गणितकार और ज्योतिषी की आत्मा को श्रद्धांजलि! धन्यवाद।
| जीवन परिचय | |
|---|---|
| वास्तविक नाम | शकुन्तला देवी |
| उपनाम | मानव कम्प्यूटर, मेंटल कैलकुलेटर |
| व्यवसाय | भारतीय वैज्ञानिक, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | 4 नवम्बर 1929 |
| जन्मस्थान | बैंगलोर, मैसूर राज्य, ब्रिटिश भारत |
| मृत्यु तिथि | 21 अप्रैल 2013 |
| मृत्यु स्थल | बेंगलुरु, कर्नाटक, भारत |
| मृत्यु कारण | सांस की बीमारी |
| आयु (मृत्यु के समय) | 83 वर्ष |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| राशि | वृश्चिक |
| स्कूल | ज्ञात नहीं |
| कॉलेज | ज्ञात नहीं |
| शैक्षणिक योग्यता | कोई भी औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त की |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | कन्नड़ ब्राह्मण |
| पुरस्कार एवं सम्मान | • वर्ष 1969 में, शकुंतला देवी को फिलीपींस विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक के साथ 'Distinguished Woman of the Year Award' से सम्मानित किया गया। • वर्ष 1988 में, उन्हें वाशिंगटन डी.सी. में 'रामानुजन गणितीय जीनियस अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया, जिसे अमेरिका के तत्कालीन भारतीय राजदूत द्वारा दिया गया था। • उनका नाम '1995 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' के संस्करण में उत्कृष्ट गणितीय कार्यों के लिए सूचीबद्ध किया गया था, जहां उन्होंने दो सौ तेरह अंकों की संख्या को गुणा करने के लिए दुनिया के सबसे तेज़ कंप्यूटर को हराया था। • वर्ष 2013 में, मृत्यु से एक महीने पहले, उन्हें मुंबई में 'लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया गया था। |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारी | |
| वैवाहिक स्थिति | तलाकशुदा |
| विवाह तिथि | वर्ष 1960 |
| परिवार | |
| पति | परितोष बनर्जी (आईएएस अधिकारी) (वर्ष 1960 में विवाह - वर्ष 1979 में तलाक) |
| बच्चे | बेटा - कोई नहीं बेटी - अनुपमा बनर्जी |
| माता-पिता | पिता - नाम ज्ञात नहीं माता - नाम ज्ञात नहीं |
| भाई-बहन | ज्ञात नहीं |
