सिच्चक दिवस के अवसर पर, आज हम आप लोगों को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन के बारे में बताएंगे। पूरी जानकारी के लिए पूरा वीडियो देखें, चलिए सुरु करते हैं।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुतानी गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम वीरा स्वामी और माता का नाम श्रीमती सितम्मा था। इन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से बीए और एमए की पढ़ाई की और उन्होंने अपनी पढ़ाई में उच्चतम स्तर प्राप्त किया।
जब वह सत्रा साल के थे, तो उनका विवाह सिवकामी से हुआ। डॉक्टर राधाकृष्णन ने अपने उदार विचारों और उद्यमिता के लिए पहचान बनाई, जोने उन्हें सहायक अध्यापक से लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति तक पहुंचाया।
1955 से 1962 तक, वह भारत के उपराष्ट्रपति रहे और सदन की कार्यवाही में एक नया आयाम प्रस्तुत किया। 1962 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय गणतंत्र के दूसरे राष्ट्रपति बने।
राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद, वे अपने घर लौट आए और सेश जीवन का आनंद लिया। डॉक्टर राधाकृष्णन एक प्रख्यात वक्ता भी थे और उन्होंने अपने जीवन को शिक्षा और धरोहर को समर्पित किया।
राजनीतिक और साहित्यिक क्षेत्र में उनका महत्वपूर्ण योगदान है और उन्हें एक उदार और ज्ञानी नेता के रूप में याद किया जाता है। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है और उन्हें उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है।
| जीवन परिचय | |
|---|---|
| वास्तविक नाम | डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
| व्यवसाय | शिक्षाविद, महान दार्शनिक, हिन्दू विचारक और भारतीय राजनेता |
| राजनीतिक जीवन | |
| राजनीतिक दल | निर्दलीय |
| राजनीतिक यात्रा | • वर्ष 1931 में, उन्हें बौद्धिक सहयोग के लिए लीग ऑफ नेशन कमेटी में नामांकित किया गया। • वर्ष 1949 से 1952 तक, वह सोवियत संघ के लिए भारत के राजदूत बने। • वर्ष 1952 में, उन्हें भारत के पहले उपराष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया। • वर्ष 1962-1967 तक, वह भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। |
| पुरस्कार/सम्मान | • वर्ष 1931 में, उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा "सर" की उपाधि से नवाजा गया। • वर्ष 1954 में, स्वतंत्रता के बाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद जी ने उन्हें महान दार्शनिक व शैक्षिक उपलब्धियों के लिए भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। राधाकृष्णन भारत रत्न पुरस्कार ग्रहण करते हुए |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | 5 सितंबर 1888 |
| आयु (मृत्यु के समय) | 86 वर्ष |
| जन्मस्थान | तिरुट्टानी, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत |
| मृत्यु तिथि | 17 अप्रैल 1975 |
| मृत्यु स्थल | मद्रास, तमिलनाडु, भारत |
| मृत्यु का कारण | हृदयाघात [1] |
| राशि | कन्या |
| हस्ताक्षर | डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के हस्ताक्षर |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| गृहनगर | मद्रास, तमिलनाडु, भारत |
| स्कूल/विद्यालय | क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरूपति |
| महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | • मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास • मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज |
| शैक्षिक योग्यता | • कला में स्नातक • दर्शनशास्त्र में परास्नातक |
| परिवार | पिता - सर्वपल्ली वीरास्वामी (राजस्व विभाग में कर्मचारी) माता - सीताम्मा भाई - 4 (नाम ज्ञात नहीं) बहन - 1 (नाम ज्ञात नहीं) |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | ब्राह्मण |
| शौक/अभिरुचि | पुस्तकें पढ़ना, संगीत सुनना, यात्रा करना और क्रिकेट खेलना सर्वपल्ली राधाकृष्णन क्रिकेट खेलते हुए |
| पसंदीदा चीजें | |
| पसंदीदा व्यक्ति | वीर सावरकर और स्वामी विवेकानन्द |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| पत्नी | शिवकामु राधाकृष्णन अपनी पत्नी के साथ |
| बच्चे | बेटा - सर्वपल्ली गोपाल बेटी - 5 (नाम ज्ञात नहीं) |
