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Lal Bahadur Shastri

लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक भारत के प्रधानमंत्री के कार्यभार को संभाला। उनका कार्यकाल आज भी याद किया जा रहा है। भारत की स्वतंत्रता के बाद, शास्त्री को उत्तर प्रदेश के संचेदार सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें गोविन्द बल्लभपंत के मंत्रिमंडल विभाग में पुलिस और परिवहन मंत्री का कार्य सौंपा गया था। परिवहन मंत्री के रूप में उन्होंने पहले महिला कंडक्टरों की नियुक्ति की थी। पुलिस मंत्री बनने के बाद, उन्होंने भी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए दंड की बजाय पानी का उपयोग करना शुरू किया था।

1951 में उन्हें नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के ग्रांड संचोर का नियुक्त किया गया था। उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें उनकी सीधापन, राष्ट्रभक्ति और ईमानदारी के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 1904 में मुग़ल सराय, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिताजी का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था, जो कि प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक थे और ‘मुंशी जी’ के रूप में प्रसिद्ध थे।

वह नाना के घर में रहते समय 18 महीने के हो गए थे कि उनके पिताजी का आकस्मिक निधन हो गया। उनकी मां राम दुलारी अपने पिताजी हजारीलाल के घर मिर्जापुर गईं। थोड़ी देर बाद, उनके दादा भी निधन हो गए। उनके मामा रघुनाथ प्रसाद ने एक बिना पिता के बच्चे को पालने में उनकी मां का बहुत समर्थन किया।

उन्होंने नानीहाल में रहते हुए प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने हरिशचंद्र हाई स्कूल और काशी विद्या पीठ में पढ़ाई की। काशी विद्या पीठ से शास्त्री उपाधि प्राप्त करने के बाद, उन्होंने श्रीवास्तव को अपने नाम से हटा कर शास्त्री जोड़ लिया, जो लाल बहादुर के लिए समानार्थक बन गया।

1928 में, उन्होंने मिर्जापुर के निवासी गणेश प्रसाद की बेटी ललिता से विवाह किया। ललिता शास्त्री ने छह बच्चों को जन्म दिया, जिनमें दो बेटियाँ – कुसुम और सुमन, और चार बेटे – हरि कृष्ण, अनिल, सुनील और आशोक थे।

उनका राजनीतिक जीवन संस्कृत भाषा की शिक्षा प्राप्त करने के बाद शुरू हुआ, जब उन्होंने भारत सेवक संघ में शामिल होकर देश सेवा का आशीर्वाद लिया। शास्त्री जी एक सच्चे गांधीवादी थे जो अपने पूरे जीवन को साध्वीपन से गुजारने का संकल्प ले चुके थे और उसे गरीबों की सेवा में लगा दिया। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें कई बार कारागार जाना पड़ा।

उनकी राजनीतिक शिक्षा के गुरुओं में पुरुषोत्तम दास टंडन और पंडित गोविन्द बल्लभ पंत, जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे। पहले से ही, 1929 में इलाहाबाद आने के बाद, उन्होंने इलाहाबाद में भारत सेवक संघ के सचिव के रूप में कार्य करना शुरू किया। इस दौरान, उन्होंने नेहरू के साथ नजदीकी बढ़ते कदमों को भी बढ़ाया। इसके बाद, शास्त्री जी की स्थिति लगातार बढ़ी और उन्होंने नेहरू के गृहमंत्री के रूप में शीर्ष पद तक पहुंच गए।

जवाहरलाल नेहरू की मौत के बाद, उन्हें भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बनाया गया। प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने 1964 में शास्त्री जी के स्वच्छ और आदर्श छवि के कारण भारत के प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्ति प्राप्त की। उन्होंने अपनी पहली बैठक में कहा था कि उनकी शीर्ष प्राथमिकता जनता और उनकी आवश्यकताओं की बढ़ती हुई मांग को रोकना है।

शास्त्री जी की शासन में कठिनाईयों से भरी रही। धनी लोग देश को कब्जा करना चाहते थे और दुश्मन हमें हमला करने के लिए तैयार थे। 1965 में, पाकिस्तान ने अचानक भारत पर 7:30 बजे हमला किया। राष्ट्रपति ने तीन सुरक्षा नेताओं और मंत्रिमंडल समिति के एक सदस्य की बैठक बुलाई। तीनों नेताओं ने शास्त्रीजी को स्थिति समझाई और पूछा कि आपका आदेश क्या है। शास्त्रीजी ने एक वाक्य में कहा, “तुम देश की सुरक्षा करो और मुझे बताओ हमें क्या करना है।”

इस युद्ध में शास्त्रीजी ने नेहरू के खिलाफ देश को सर्वोत्तम नेतृत्व प्रदान किया और जवानों और किसानों की उपजीविका का नारा दिया। इससे भारतीय जनता का मनोबल बढ़ा और पूरा देश एकजुट हो गया। पाकिस्तान ने इस प्रकार के नेतृत्व की कल्पना कभी नहीं की थी। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आक्रमण के बावजूद लाहौर का दावा किया और पाकिस्तान को हराया।

इस अनयासी आक्रमण को देखकर, संयुक्त राष्ट्र ने कुछ दिनों की युद्ध विराम के लिए अमेरिका से बातचीत की। रूस और अमेरिका की कहानी पर, भारत के प्रधानमंत्री को रूस की ताशकंद संधि में बुलाया गया। शास्त्रीजी ने ताशकंद संधि के सभी शर्तों को स्वीकृत किया, लेकिन उन्होंने वे क्षेत्र वापस करने की शर्त पर सहमति नहीं दी। अंतरराष्ट्रीय दबाव के तहत, शास्त्रीजी को ताशकंद संधि पर हस्ताक्षर करना पड़ा, लेकिन लाल बहादुर शास्त्री ने खुद ही प्रधानमंत्री आयुब खान के साथ युद्ध की शर्तों को लेकर सहमति नहीं दी।

उनकी मौत 11 जनवरी 1966 को हुई, बस कुछ घंटे उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ युद्ध शर्तों का हस्ताक्षर किया था। उनकी मौत एक हृदयघात की वजह से हुई थी। शास्त्री जी की मृत्यु एक दुखद घटना थी। उनका अंतिम समाधि स्थल उनके परिवार के आदर सहित नेहरू के समाधान के सामने ‘विजय घाट’ कहलाया गया। कांग्रेस पार्टी ने शास्त्री जी के कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में इंदिरा गांधी का चयन करने तक, गुलजारीलाल नंदा को कार्यरत प्रधानमंत्री बनाए रखा।

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जीवन परिचय
वास्तविक नामलाल बहादुर शास्त्री
उपनामशांति दूत, शास्त्री, नन्हे
व्यवसायशिक्षक, समाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ
शारीरिक संरचना
लम्बाईसे० मी०- 154 मी०- 1.54 फीट इन्च- 5’ 1”
आँखों का रंगकाला
बालों का रंगधूसर
राजनीति
राजनीतिक पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी
राजनीतिक यात्रा1928: महात्मा गांधी के आह्वान पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। 1929: इलाहाबाद जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव बने। 1935-37: यूपी प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में चुने गए। 1937: यूपी विधानसभा के सद्स्य के रूप में चुने गए और यूपी संसदीय बोर्ड के आयोजन सचिव बने। 1947: उत्तर प्रदेश विधानसभा के संसदीय सचिव बने और 15 अगस्त को तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने उन्हें पुलिस और परिवहन मंत्री नियुक्त किया। 1951: तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की अगुवाई में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया। 1952: Soraon उत्तर सह-फुलपुर पश्चिम सीट से एक विधायक बने और 13 मई को, भारत गणराज्य के पहले रेल मंत्री बने। 1957: पंडित जवाहर लाल नेहरू ने फिर से लाल बहादुर शास्त्री को मंत्रिमंडल में परिवहन और संचार मंत्री के रूप में नियुक्त किया। 1958: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया। 1961: पंडित जीबी पंत की मृत्यु के बाद वह गृह मंत्री बने। 1964: 9 जून को, वह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने और वर्ष 1966 तक कार्य किया।
लाल बहादुर शास्त्री के प्रमुख कथन• लोगों को सच्‍चा लोकतंत्र और स्‍वराज कभी भी हिंसा और असत्‍य से प्राप्‍त नहीं हो सकता। • कानून का सम्‍मान किया जाना चाहिए, ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे। • यदि कोई भी व्‍यक्ति ऐसा रह गया, जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाता है, तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा। • हमारी ताकत और स्थिरता के लिए हमारे सामने ज़रूरी काम है, लोगों में एकता और एकजुटता स्‍थापित करना। • "जय जवान, जय किसान"
लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर स्थान / संस्थाएं• लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (मसूरी, उत्तराखंड)। • शास्त्री इंडो-कनाडाई संस्थान का नाम शास्त्री जी के नाम पर रखा गया था, क्योंकि भारत और कनाडा के बीच विद्वानों की गतिविधियों के विकास में उनकी प्रमुख भूमिका थी। • लाल बहादुर शास्त्री जी की 45 वीं पुण्यतिथि पर, वर्ष 2011 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने वाराणसी के रामनगर में शास्त्री के पूर्वजों के घर का पुनर्निर्माण करने की घोषणा की और इसे एक जीवनी संग्रहालय में बदलने की घोषणा की। • वाराणसी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा • उज्बेकिस्तान के ताशकंद में, उनके नाम से एक स्मारक स्थापित किया गया, जिसे भारतीय संस्कृति का केंद्र माना जाता है और उसके बाद उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया। • उत्तरी कर्नाटक में स्थित, कृष्णा नदी पर बनाया गया अल्माट्टी बांध का नाम बदलकर लाल बहादुर शास्त्री सागर रखा गया। जिसके नींव का पत्थर उनके द्वारा ही रखा गया था। • आरबीआई द्वारा उनके जन्म दिवस की वर्षगांठ पर ₹5 का सिक्का जारी किया गया। • वर्ष 1991 से, हर वर्ष अखिल भारतीय लाल बहादुर शास्त्री हॉकी टूर्नामेंट को आयोजित किया जा रहा है। • शास्त्री जी की प्रतिमाएं विभिन्न शहरों में स्थापित की गई हैं जैसे कि - मुंबई, बैंगलोर (विद्या सऊधा), नई दिल्ली (सीजीओ परिसर), अल्माट्टी बांध स्थल, रामनगर-यूपी, हिसार, विजागापतिनम, नागार्जुन बांध स्थल, वारंगल, इत्यादि। • शास्त्री जी की अर्ध -प्रतिमाएं (busts) विभिन्न शहरों में स्थापित की गई हैं जैसे कि - तिरुवनंतपुरम, पुणे, वाराणसी (हवाई अड्डे), अहमदाबाद (लेकसाइड), कुरुक्षेत्र, शिमला, कासरगोड, इंदौर, जलंधर, महोदय, उरण, इत्यादि। • हिमाचल प्रदेश मंडी में लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज। • नई दिल्ली, चेन्नई, लखनऊ, इत्यादि में शास्त्री भवन।
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि2 अक्टूबर 1904
जन्मस्थानमुगलसराय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु तिथि11 जनवरी 1966
मृत्यु स्थलताशकंद (वर्तमान में उजबेकिस्तान में)
आयु (मृत्यु के समय)61 वर्ष
मृत्यु का कारणज्ञात नहीं एक अन्य स्रोत के अनुसार: उनकी मृत्यु के पीछे षड्यंत्र रचा गया था। विभिन्न स्रोतों के अनुसार: हृदयाघात से मृत्यु (दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु)
समाधि स्थलविजय घाट, नई दिल्ली
राशितुला
हस्ताक्षरलाल बहादुर शास्त्री जी के हस्ताक्षर
राष्ट्रीयताभारतीय
गृहनगरमुगलसराय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
स्कूल/विद्यालयश्री हरीश चंद्र इंटरमीडिएट कॉलेज लाल बहादुर शास्त्री का इंटरमीडिएट कॉलेज
महाविद्यालय/विश्वविद्यालयमहात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी लाल बहादुर शास्त्री का महाविद्यालय
शैक्षिक योग्यताप्रथम श्रेणी से कला में स्नातक
परिवारपिता - शारदा प्रसाद श्रीवास्तव (एक स्कूल शिक्षक) लाल बहादुर शास्त्री के पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव माता - रामदुलारी देवी (गृहणी) लाल बहादुर शास्त्री की माता रामदुलारी देवी भाई - कोई नहीं बहन - कैलाशी देवी, सुंदरी देवी
धर्महिन्दू
जातिकायस्थ
पता10 जनपथ, नई दिल्ली
पुरस्कार/सम्मानवर्ष 1966 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। लाल बहादुर शास्त्री भारत रत्न पुरस्कार
शौक/अभिरुचिपुस्तकें पढ़ना
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थिति (मृत्यु के समय)विवाहित
विवाह तिथि16 मई 1928
पत्नीललिता देवी (1928-1966) लाल बहादुर शास्त्री अपनी पत्नी के साथ
बच्चेबेटे : हरि कृष्ण शास्त्री, अनिल शास्त्री (राजनीतिज्ञ: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस), सुनील शास्त्री (राजनीतिज्ञ: बीजेपी), अशोक शास्त्री बेटी : कुसुम शास्त्री, सुमन शास्त्री लाल बहादुर शास्त्री का परिवार

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