राजेंद्र प्रसाद, स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। 26 जनवरी 1950 को, जब हमारा गणतंत्र लागू हुआ, उन्हें इस पद के सम्मान में संबोधित किया गया। साथ ही, उन्हें भारतीय संविधान सभा के नेतृत्व के लिए चुना गया।
राजेंद्र प्रसाद गांधी जी के मुख्य शिष्यों में से एक थे और उन्होंने भारत की आजादी के लिए प्रतिबद्ध रहकर स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया। वे नमक आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भी जेल गए और सहना पड़ा। राष्ट्रपति बनने के बाद, वे गैर-पक्षपाती रूप से कार्य करने का संकल्प करते थे और इसलिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी से संन्यास ले लिया।
राजेंद्र प्रसाद ने भारत में शिक्षा के विकास के लिए भी अपना योगदान दिया। उन्होंने बिहार में एक छोटे से गाँव में स्कूल स्थापित किया और अपने पिता की जगह भी पूरी की। उनके पिता, महादेव सहाय, संस्कृत और फारसी भाषा के विद्वान थे।
राजेंद्र प्रसाद की पत्नी का नाम राजवंशी देवी था और उनके साथ विवाह बचपन में ही हो गया था। उनका शिक्षा में उत्कृष्टता का प्रतीक रहा, जोने उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रवेश प्राप्त करने में सफल बनाया।
राजेंद्र प्रसाद का योगदान सिर्फ राजनीति में ही नहीं था, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज के विकास के लिए भी कई क्षेत्रों में कार्य किया। उन्हें 1962 में भारत रत्न से नवाजा गया और उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें समरिती संग्राल बनाकर पतना में एक स्मारक निर्मित किया गया।
राजेंद्र प्रसाद भारतीय राजनीति में एक महान और विनम्र राष्ट्रपति रहे हैं, जिनका समर्थन और योगदान देश ने सदैव याद किया है।
| जीवन परिचय | |
|---|---|
| उपनाम | देशरत्न |
| व्यवसाय | भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता |
| राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | 3 दिसम्बर 1884 |
| जन्मस्थान | जीरादेई, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (अब बिहार में) |
| मृत्यु तिथि | 28 फ़रवरी 1963 |
| मृत्यु स्थल | पटना, बिहार, भारत |
| मृत्यु कारण | स्वाभाविक मृत्यु |
| आयु (मृत्यु के समय) | 78 वर्ष |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| हस्ताक्षर | राजेन्द्र प्रसाद हस्ताक्षर |
| गृहनगर | जीरादेई, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (अब बिहार में) |
| स्कूल/विद्यालय | • जिला स्कूल, छपरा, बिहार • टी० के० घोष अकादमी, पटना |
| महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | • प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता • कोलकाता विश्वविद्यालय |
| शैक्षणिक योग्यता | • प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता से स्नातक • कोलकाता विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक • कोलकाता विश्वविद्यालय से विधिशास्त्र में परास्नातक (एलएलएम) |
| परिवार | पिता - महादेव सहाय (अध्यापक) माता - कमलेश्वरी देवी भाई - महेंद्र प्रसाद बहन - भगवती देवी |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | कायस्थ ब्राह्मण |
| पुरस्कार/सम्मान | वर्ष 1962 में, उन्हें "भारत रत्न" की उपाधि से सम्मानित किया गया। |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| पत्नी | राजवंशी देवी (वर्ष 1961 में मृत्यु) |
| विवाह तिथि | वर्ष 1897 |
| बच्चे | बेटा - मृतुंजय प्रसाद बेटी - कोई नहीं |
