इनके कई क्रतियां समकालीन तेलगूग गेकार अन्नमचारि से प्रेरित हैं। शिपुरंदर दास नफकोटी नारायन के रूप में लोगप्रिय हो गए। उन्हें उनकी भैत रिशी व्यास तीर्थ से हुई, जिन्होंने पंधरा सो पच्चिस ने उन्हें दिख्षा देकर एक नया नाम पुरंदरदास दिया।
पुरंदरदास ने कर्नाटक संगीत सीखने की राह को निश्चित किया, जिसका पालन आज भी किया जाता है। उन्होंने अपने गीतों को अपने समय के रागों में इस्थापित किया, ताकि एक आम आदमी भी उन्हें सीख सके और गा सके। पुरंदरदास ने अपने शिष्य स्वामे हरिदास के माध्यम से हिंदुस्तानी संगीत को भी प्रभावित किया था।
क्या आप जानते हैं, आराधना एक धार्मिक निरुपन है, जो हर साल संत व्यक्तियों को उनके संसारिक जीवन के पूरा होने की वर्षवखाट पर याद करने और सम्मान देने के लिए आयोजित किया जाता है। पुरंदरदास की आराधना या पोने दीना भारतिये चंद्रमन कलेंडर के पुष्प बहुल अमावस्या पर आयोजित की जाती है।
कर्नाटक राज्जिय दक्षिण भारत और दुनिया भर के कई कला और धार्मित केंद्रों में संगीतकार और कला प्रेमी इस अफसर को धार्मिक और संगीत में उत्साह के साथ मनाते हैं।
| जीवन परिचय | |
|---|---|
| वास्तविक नाम | श्रीनिवास नायक |
| अन्य नाम | पुरन्दर दास |
| व्यवसाय | शास्त्रीय संगीतकार, महान् कवि व रचनाकार |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | 1484 ई. |
| मृत्यु तिथि | 1564 ई. |
| मृत्यु स्थल | हम्पी, कर्नाटक राज्य, भारत |
| मृत्यु कारण | स्वाभाविक मृत्यु |
| समाधि स्थल | पुरन्दर मंतपा, हम्पी में विजयित्थला मंदिर के निकट |
| आयु (मृत्यु के समय) | 80 वर्ष |
| जन्मस्थान | शिवमोगा जिले में तीर्थहल्ली के पास क्षेमपुरा, भारत |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| गृहनगर | पुरन्दरगढ़, पुणे, भारत |
| परिवार | पिता - नाम ज्ञात नहीं (हीरा व्यापारी) माता - नाम ज्ञात नहीं भाई - ज्ञात नहीं बहन - ज्ञात नहीं |
| धर्म | हिन्दू |
| संगीत शैली | कर्नाटक संगीत |
| प्रमुख रचनाएं | • स्वरवलिस • जयंती स्वर • अलंकार • लक्ष्मण गीता • प्रबन्ध • उगभोग • दातुवरसे • सुलादिस नाथादी गुरूगुहो |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| पत्नी | सरस्वती बाई |
| बच्चे | ज्ञात नहीं |
