छोड़कर सामग्री पर जाएँ

Tyagaraja

त्यागराज के जीवन का कोई भी पल सीराम से चुदा नहीं था। वह अपनी कुर्तियों में भगवान राम को मित्रमालिक पिता वा सायक बताते थे। ताजवुर्ड जिल्ले के तिरुवारू में, 4 मयी 1966 को पेढ़ा हुआ त्यागराज की मा का नाम सीताम्मा और पिता के बारे में बताते हैं। दुसरी और प्रभुराम के प्रती अपनी हस्ता पदशित करते हैं।

त्यागराज की रचना आज भी काफी लोगों को प्रेरित कर रही है। उनकी तालमिक आयोजना और त्यागराज के सम्मान में आयोजित कार्यक्रमों में उनका खुबसूरत गायन सुना जाता है। त्यागराज ने मुत्तुसम्मी दिख्सित वा स्यामसास्त्री के साथ कनाटक संगीत को नई दिशा दी और उनके योगदान के कारण उन्हें त्रीमुत्ति का संज्या दी गई, जो संगीत के विद्वान थे।

त्यागराज ने अपने उपचारिक संगीत शिक्षा के दौरान सास्तिय संगीत की तकनीकी पक्षों पर विशेष महत्ता दी और अध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर भी ध्यान केंद्रित किया। उनके गीत संगीत का उद्दीपन सुदृढ़ से धार्मिक और सांस्कृतिक था। उन्होंने अपने पहले गीत “नमो नमो रन्दाव” की रचना की थी और इसके बाद भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण गीतें बनाई।

जब त्यागराज ने अपने गुरु से संगीत की अधिकारिक शिक्षा प्राप्त की, तो उन्हें वियत्नामनिया का संगीत धारापूर्ण करने के लिए बुलाया गया। इस समरोह में उन्होंने अपने गुरु को अपने संगीत के मंत्र मुफ्त में दिए। उन्होंने राजा की तरफ से धर्मिक और संस्कृतिक क्षेत्र में अपने योगदान के लिए भी कवि और संगीत के विकास में भाग लेने का श्रेय प्राप्त किया।

त्यागराज ने मुतुस्वामी दीक्षित और स्याम सास्त्री के साथ कर्नाटक संगीत को नई दिशा प्रदान की। इन तीनों का योगदान देखकर उन्हें दक्षिण भारत में त्रीमुत्ति की संगीत युग्मा में विभूषित किया गया। त्यागराज की प्रतिमा से बहुत प्रभावित थे और उन्होंने त्यागराज को सामी होने के लिए आमूल्य भी किया। लेकिन प्रभु की उपासना में डूबे त्यागराज ने अपने इष्ट के अलावा अन्य किसी से भी बदसुरती नहीं की और घर से बाहर नहीं निकले।

त्यागराज ने पुरातात्विक रूप से तेलगू में दो नाटक “भक्ति विजय” और “नोका चरित्र” लिखे। “भक्ति विजय” दरबारी दृष्टिकोण में फिस्ताज कुर्तियों का नाटक है, जबकि “नोका चरित्र” एका गंगी है और इसमें 21 कुर्तियाँ हैं। त्यागराज की विद्वता इनकी हर कुर्ति में अद्वितीयता को बयान करती है। हाल ही में, उन्होंने पंचरत्न की रचना की है जिसमें उनकी सर्वश्रेष्ठ रचनाएँ शामिल हैं।

यद्यपि त्यागराज ने अध्यात्मिक रूप से अपने जीवन का समापन किया, उनका कला में जीवन दर्शकों को प्रभावित करता है और उनकी गीतें आज भी उनकी अमूर्त भूमिका में हैं।

 

 

 

जीवन परिचय
वास्तविक नामककर्ला त्यागब्रह्मन
उपनामज्ञात नहीं
व्यवसायशास्त्रीय संगीतकार, महान् कवि व रचनाकार
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि4 मई 1767
मृत्यु तिथि6 जनवरी 1847
मृत्यु स्थलतिरुवारूर, तंजावुर, तमिलनाडु, भारत
मृत्यु कारणस्वाभाविक मृत्यु
समाधि स्थलतिरुवारूर, तंजावुर, तमिलनाडु, भारत
आयु (मृत्यु के समय)79 वर्ष
जन्मस्थानतिरुवारूर, तंजावुर, तमिलनाडु, भारत
राष्ट्रीयताभारतीय
राशिवृषभ
गृहनगरतिरुवारूर, तंजावुर, तमिलनाडु, भारत
परिवारपिता : रामब्रह्मम माता : सीताम्मा भाई : कोई नहीं बहन : कोई नहीं
धर्महिन्दू
जातितमिल ब्राह्मण
संगीत शैलीकर्नाटक संगीत
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
पत्नीकोई नहीं
बच्चेकोई नहीं

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *