भगसिंग जैसे क्रांतिकारी देश के युवाओं की प्रेरणा के स्रोत हैं, परंतु दूसरे कई क्रांतिकारियों की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। पंजाब की धरती से जन्मे एक और क्रांतिकारी थे सुखदेव धापर, जो भीमराव अम्बेडकर के संघर्ष के साथ अपने योगदान से प्रसिद्ध हैं।
जब देश में क्रांतिकारियों का नाम लिया जाता है, तो शहीद सुखदेव धापर को भी प्रमुखता से याद किया जाता है। अपने क्रांतिकारी विचारों से उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को हिला कर रख दी थी। सुकदेव के क्रांतिकारी कार्यों ने देशभक्ति के जज्बे को मजबूत किया, जैसा कि उनकी भूमिका जेपी सांडर्स की हत्या से लेकर देश के युवाओं में जागरूकता का स्रोत बन गई।
सुकदेव धापर के बलिदान का मूल्य अद्भुत था, और उनकी प्रेरणा के साथ देश के युवाओं को उनकी आजादी के लिए किए गए बलिदानों की महत्वपूर्णता का सामर्थ्यपूर्ण संदेश मिलता है। सुकदेव धापर के जीवन और संघर्ष की इस दास्तान को सजीव करने के लिए इस वीडियो को दोस्तों के साथ साझा करें, ताकि हर युवा जागरूक हो सके कि हमारी आजादी कितने बलिदानों के बाद मिली थी।
पंधरवा मई 1907 को लुधियाना, पंजाब में जन्मे सुखदेव के जीवन की कठिनाईयों ने उन्हें संघर्ष की ओर प्रवृत्त किया। उनके पिता की मृत्यु के बाद, लाला अचिंतराम ने उनकी परवरिश की, और उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी पहली क्रांतिकारी गतिविधि में हिस्सा लिया।
13 अप्रैल 1919 को, जलियांवाला बाग में हुई घटना ने सुखदेव को गहरे प्रभावित किया, जिसने उन्हें भारत में क्रांति की ज्वाला को बढ़ावा दिया। इसके बाद गांधी जी ने 1920 में आसह्योग आंदोलन की शुरुआत की, और इसमें पंजाब के युवाओं का समर्थन मिला।
लेकिन 1922 में चौरी-चौरा के घटना के बाद, गांधी जी ने आंदोलन को वापिस लेने का निर्णय लिया, जिससे सुखदेव और उनके साथीयों ने नोजवान भारत सभा का गठन किया, जिसने अंग्रेजों के खिलाफ अपने आत्म-निर्भर राष्ट्र की स्थापना की योजना बनाई।
सुखदेव का योगदान अपनी अनुपस्थिति में भी बेहद महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर युवाओं को जागरूक किया और उन्हें स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। उनका संघर्ष और आत्मनिर्भरता के प्रति आदर आज भी हमारे युवाओं को प्रेरित करने के लिए है।
| जीवन परिचय | |
|---|---|
| वास्तविक नाम | सुखदेव थापर |
| व्यवसाय | स्वतंत्रता सेनानी |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | 15 मई 1907 |
| आयु (मृत्यु के समय) | 23 वर्ष |
| जन्मस्थान | गोपरा, लुधियाना, पंजाब, ब्रिटिश भारत |
| मृत्यु तिथि | 23 मार्च 1931 |
| मृत्यु स्थल | लाहौर, ब्रिटिश भारत, (अब पंजाब,पाकिस्तान में) |
| मृत्यु का कारण | फांसी (सजा-ए-मौत) |
| राशि | वृषभ |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| गृहनगर | गोपरा, लुधियाना, पंजाब, ब्रिटिश भारत |
| स्कूल/विद्यालय | सनातन धर्म हाईस्कूल, लायलपुर |
| महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | लाहौर नेशनल कॉलेज |
| शैक्षिक योग्यता | कला में स्नातक |
| परिवार | पिता - रामलाल थापर माता - रल्ली देवी सुखदेव की माता भाई - ज्ञात नहीं बहन - ज्ञात नहीं |
| धर्म | सिख |
| जाति | क्षत्रिय |
| शौक/अभिरुचि | पुस्तकें पढ़ना, बच्चों को पढ़ाना |
| पसंदीदा चीजें | |
| पसंदीदा व्यक्ति | महर्षि दयानन्द सरस्वती |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
| वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
| पत्नी | कोई नहीं |
