मैं फ्रीडम फाइटर के बतोर तो कॉंग्रेस में ही था, आजादी प्राप्त होने के बाद एक समाजवादी विचार होने के नाते। जब कॉंग्रेस के अंदर समाजवादी नहीं रह सके तो उस तमामाई में मैंलेग हुआ। बात को फिर जब समाजवादी एक कॉंफरेंस में, फिर कॉंग्रेस में वापस गए, एक बहुत बड़ा हिस्सा समाजवादी हो गया तो फिर वापस कॉंग्रेस में वापस आया। ये आवास है तीन बार उत्तर प्रदेश के राज पाल रहे नारायण तिवारी की। भारतीय राजनीति में बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने दो राज्यों, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, के मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
जिस समय 1952 में नारायण अट्टिवारी पहली बार नैनी ताल से चुनाव जीतकर उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुँचे, उस समय उनकी आयु मात्र 26 साल थी। और वो सदन के सबसे युवा विधायक थे। नारायण अट्टिवारी की खास बात थी कि वो कभी किसी को नहीं नहीं सकते थे। एक जमाने में उनके प्रदान सचिव रहे और बाद में रक्षा सचिव के पद से रिटायर हुए योगेन्दर नारायण बताते हैं। प्रश्नोत्तर देने या किसी वाद-विवाद में भाग लेने के लिए, पहले लाइब्रेरी जाते थे, सेक्रेट लाइब्रेरी, किताबें पढ़ते थे, अपना पूरा जितना पॉइंट्स उन्होंने लिखना उसका ध्यान करते थे, और बड़ा अच्छा बोलते थे।
और तेसी बात उनको शौक था, प्लानिंग और डेवलपमेंट में झुके थे और उन्होंने बाकाइदा स्वीडिश भाषा पर माहिरत हासिल की थी। उनकी जीवनी लिखने वाले दुर्गा प्रसाद नौटियाल लिखते हैं। 1983 में जब नारायण दत्त तिवारी उद्योग मंत्री बने, तो वो दोबारा स्वीडन गए। उन्होंने उस समय स्वीडन के प्रधानमंत्री ओलोफ पाम के निवास स्थान पर जाकर उनसे मुलाकात की। जब तिवारी 1969 में स्वीडन गए तो उलोफ पाम सोशल डेमोक्रेटिक काउंग्रेस के अध्यक्ष थे। पाम ने बहुत गर्म जोशी से उनका स्वागत किया, उनके हाथ में सीप की वनी एक चिड़िया थी जिसका एक हिस्सा टूट गया था। लेकिन पाम उससे खेल रहे थे। अचानक उन्होंने तिवारी से पूछा, “क्या तुम्हें याद है 25 साल पहले, तुमने ये चिड़िया मुझे बहेट में दी थी, मैंने इसे बहुत संभाल कर रखा लेकिन पिछले दिनों घर बदलते समय इसका एक हिस्सा टूट गया।” इस बैठक के दौरान तिवारी ओलोफ पाम को “योर एक्सेलेंसी” कहकर सम्भोधित करते रहे। पाम ने इसका विरोध किया और कहा कि वो उन्हें “योर एक्सेलेंसी” की बजाय “भाई” कहकर सम्भोधित करें। तिवारी ने अपना भाषण स्वीडिश में दिया था। नारायण दत्त तिवारी को नस्तिक से जाना जाए, तो उसके कितने बच्चे हैं, उसकी वाइफ क्या करती है, और उनके पिताजी क्या करते हैं, मतलब ये सारा होमवर्क खिवारी जी के पास तैयार रहता था, और वो उनका जो दिमाग का कंप्यूटर था, वो बिल्कुल एक पॉलिटीशियन की तरह होता रहता, कि जैसे ही मौका आता था, तो वो कंप्यूटर आउन हो जाता था। और एकदम से वो जानते थे कैसे दिल जीतना है, कैसे लोगों को हैंडल करना है और कैसे मुश्किल से मुश्किल सिच्वेशन्स को अपनी प्रशासनिक शक्ति के लिए मशहूर तिवारी फाइल का एक-एक अक्षर पढ़ने के बाद ही फैसला लेते थे। अफसरों को ये मालूम रहता था कि उन्हें बेवकूफ बनाना आसान नहीं है। लेकिन महिलाओं के साथ उनके सम्मद्धों को लेकर तिवारी की काजपाल थी और एक तेलुगु चैनल ने राजभवन के बिस्तर पर तीन महिलाओं के साथ उनका वीडियो दिखाया जिसके वजह से तिवारी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। दिलीप अवस्थी बताते हैं कि इनसान में कुछ कमजोरियाँ जरूर होती हैं, और ये कमजोरी औरतों को लेकर कमजोरी आज की नहीं है, बल्कि बहुत पहले की है। मतलब, बहुत सारे इस तरह के किस्से हैं जो मेरे खेल पावर कॉरीडर्स में मशहूर भी हैं और ये कहा जाता है कि भाई, “She had always soft corner for good looking women” कहा जाता है। अगर नारायणदत्त तिवारी ने 1991 में संसदीय चुनाव जीत लिया होता तो राजीव गांधी की हत्या के बाद नरसिम्हा राव की जगह वो भारत के प्रधानमंत्री होते। दिलीप अवस्थी कहते हैं, “अब ये दिखे, ये कहना तो बड़ा मुश्किल है।” अवस्थी कहते हैं, “यूपी में क्या होना चाहिए, देश में क्या होना चाहिए, विजेंवाले लोगों में मेरे ख्याल में ये शायद आकारी पीडी हैं, और आज के पॉलिटिशियन्स से कमपेर कीजे, तो ये तो टावरिंग परसनालिटीज दिखते हैं, प्रधानमंत्री होते होते हो कोई बड़ी बात नहीं होती।” तमाम विवादों के बावजूद, तिवारी का इतिहास शानदार रहा। वह इंदिरा और संजय गांधी के विश्वासपात्र जरूर थे, लेकिन उनके मीठे वर्तन के कारण तमाम विरोधी नेता भी उन्हें पसंद करते थे।
जीवन परिचय | |
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वास्तविक नाम | नारायण दत्त तिवारी |
व्यवसाय | भारतीय राजनेता |
पार्टी/दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
राजनीतिक यात्रा | • वर्ष 1952 में, प्रजा समाजवादी पार्टी के टिकट पर नैनीताल निर्वाचन क्षेत्र से एक विधायक के रूप में चुने गए। • वर्ष 1957 में, वह फिर से नैनीताल निर्वाचन क्षेत्र के विधायक के रूप में चुने गए और विधानसभा में विपक्ष के नेता बने। • वर्ष 1963 में, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। • वर्ष 1965 में, वह काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुने गए और उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। • वर्ष 1969-1971 में, वह भारतीय युवा कांग्रेस पार्टी के पहले अध्यक्ष बने। • जनवरी 1976 में, वह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। • वर्ष 1979-1980 में, उन्होंने चौधरी चरण सिंह सरकार में वित्त और संसदीय मंत्री के रूप में कार्य किया। • अगस्त 1984 में, वह दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। • जून 1988 में, वह तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। • वर्ष 1994 में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। • वर्ष 1995 में, उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह के साथ मिलकर स्वयं की पार्टी "अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस" (तिवारी) का गठन किया। • वर्ष 1996 में, उन्हें 11वीं लोकसभा के लिए चुना गए। • वर्ष 1997 में, वह फिर से कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। • वर्ष 1999 में, वह 13 वीं लोकसभा के लिए चुने गए। • वर्ष 2002 में, वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप चुने गए। • अगस्त 2007 में, वह आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किए गए। |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 165 मी०- 1.65 फीट इन्च- 5’ 5” |
वजन/भार (लगभग) | 70 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | सफेद |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 18 अक्टूबर 1925 |
मृत्यु तिथि | 18 अक्टूबर 2018 |
जन्मस्थान | बलुति, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (अब नैनीताल जिले, उत्तराखंड) |
आयु (मृत्यु के समय) | 93 वर्ष |
मृत्यु स्थान | Max Super Speciality Hospital, New Delhi |
मृत्यु कारण | लंबी बीमारी |
राशि | तुला |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | नैनीताल, उत्तराखंड, भारत |
स्कूल/विद्यालय | एम. बी. स्कूल, हल्द्वानी ई.एम. हाई स्कूल, बरेली C.R.S.T हाई स्कूल, नैनीताल |
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
शैक्षिक योग्यता | एम. ए (राजनीति विज्ञान) इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एल. एल. बी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से |
राजनीतिक आरम्भ | वर्ष 1947 में, जब उन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। |
परिवार | पिता - पूर्णानंद तिवारी (वन विभाग में एक अधिकारी थे) माता - नाम ज्ञात नहीं भाई - ज्ञात नहीं बहन - ज्ञात नहीं |
धर्म | हिन्दू |
पता | सी 1/9, तिलक लेन, नई दिल्ली 1 ए, मॉल अवेन्यू, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत |
विवाद | • दिसंबर 2009 में, उन्हें आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के पद से इस्तीफा देना पड़ा, उनकी कथित सेक्स सीडी सामने आने से पूरे देश की राजनीति में हलचल मच गई थी। सीडी में एनडी तिवारी तीन महिलाओं संग आपत्तिजनक स्थिति में दिखाई दिए। इस वीडियो क्लिप को एक तेलुगू चैनल "एबीएन आंध्र ज्योति" ने प्रसारित किया था एन. डी. तिवारी सेक्स कांड • वर्ष 2008 में, रोहित शेखर तिवारी ने यह दावा किया कि एन. डी. तिवारी उनके जैविक पिता हैं। इसके बाद एक डीएनए टेस्ट किया गया जिसमें एन. डी. तिवारी को उनका जैविक पिता और उज्ज्वला तिवारी को उनकी जैविक मां के रूप में व्यक्त किया गया। 3 मार्च 2014 को एन. डी. तिवारी ने यह स्वीकार किया कि रोहित शेखर उसका बेटा है, और उन्होंने कहा, "मैंने स्वीकार किया है कि रोहित शेखर मेरा बेटा है। डीएनए टेस्ट भी यह साबित करती है कि वह मेरा जैविक बेटा है।" |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी | सुशीला तिवारी (1954-1993, मृत्यु) उज्ज्वला तिवारी ( 2014) एन डी तिवारी अपनी दूसरी पत्नी उज्ज्वला तिवारी के साथ |
बच्चे | बेटा - रोहित शेखर तिवारी एन डी तिवारी अपने बेटे रोहित शेखर तिवारी के साथ बेटी - कोई नहीं |
धन संबंधित विवरण | |
संपत्ति (लगभग) | सूत्रों के अनुसार उनकी पैतृक संपत्ति लगभग सौ करोड़ रुपए के आस-पास है। |