जनून अपने सपनों को पूरा करने का, कुछ अलग कर दिखाने का, और अपनी एक अलग पहचान बनाने का। यही वह जामनगर की एयर फोर्स कॉलोनी के सर्वन्त क्वार्टर में जन्म हुआ रमेश गोपी नईयर का दोस्तों, जिन्हें आज हम रैमो डिसूजा के नाम से जानते हैं, असल में उनका नाम रमेश गोपी है। लेकिन ये रमेश रैमो कैसे बन गए, इसके पीछे भी एक कहानी है। जब रमेश के जीजाजी उन्हें अपने साथ चर्चा लेकर गए, तब रमेश को इसाई धर्म के प्रति एक लगाव महसूस हुआ और उन्होंने अपने परिवार की मदद से अपना धर्म बदल दिया। इस तरह से वे रमेश गोपी से रैमो डिसूजा बन गए।
रैमो के पिता एयर फोर्स में कुक की नौकरी करते थे और सिर्फ घर चलाने लायक ही पैसे कमा पाते थे। रैमो को कपड़ों का बढ़ा शौक था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण वे ब्रेंडेड कपड़े नहीं खरीद सकते थे। इसलिए वे संडे मार्केट से सस्ते कपड़े ही लेते। जैसे-जैसे रैमो बड़े होते गए, वे अपने परिवार के लिए जिम्मेदार होने लगे। ताकि घर में कुछ पैसे ज्यादा आएं, उन्होंने अलग-अलग छोटे-मोटे काम करना शुरू किया।
वे बेकरी में काम करते, राशन के दुकान में और साइकल रिपेयरिंग के दुकानों में भी काम करने लगे। माता-पिता पैसों की तंगी के कारण उन्हें डांस क्लासेस नहीं भेज सकते थे, नहीं रैमो के घर में टीवी था, जिसे वे देख कर ही डांस सीख सकते थे। लेकिन इतनी कमीयों के बाद भी उन्होंने अपने सपनों को जिंदा रखा और जुनून कम नहीं होने दिया।
जब उन्होंने पहली बार माइकल जैक्शन का एक वीडियो डांस देखा, तो वे हैरान हो गए और उसी दिन उनके अंदर के डांस के कीड़े ने अपना असर दिखाना शुरू किया। उन्होंने माइकल जैक्शन को ही अपना गुरु मान लिया और उनके डांस वीडियोस को देखकर अपनी डांस सीखने की कोशिश की।
इसके बाद उन्होंने अपने डांस में एक्स्ट्रा स्टेप्स को जोड़ना शुरू किया। जब वे वेल्थ के एक्जाम की तैयारी कर रहे थे, तब उनके दोस्त उन्हें काम दिया और एक अफवाह के बाद जब उन्हें जवाब मिला कि वे एक्टर बन सकते हैं, तो वे अपनी पढ़ाई छोड़कर मुंबई निकल पड़े।
उनके माता-पिता ने उन्हें एक महीने का समय दिया और कहा कि अगर एक महीने के अंदर वे कुछ नहीं कर सके तो वे वापस आ जाएंगे। इसके बाद रैमो जेब में 26 रुपये लेकर सपनों के शहर मुंबई के लिए रवाना हो गए। जब वे उस जगह पहुँचे जहां विज्ञापन में एक्टर्स की जरूरत थी, तो वहां उनसे पैसे लिए गए और अगले हफ्ते आने को कहा गया।
लेकिन अगले हफ्ते जब वे वहां पहुँचे तो वहां कोई कम्पनी नहीं थी। वे कम्पनी फ्रॉड निकली। इस धोखे से नाराज और घुस्सा रहमों ने कसम खाई कि जब तक वे वो सब वापस नहीं पाले थे जो उन्होंने खोया है, वे मुंबई से कहीं नहीं जाएंगे।
उस समय ना तो उनके पास पैसे थे और ना ही कोई काम जिसे करके के वे कुछ पैसा कमा सकें। लेकिन उन्होंने खुद को खुश किस्मत माना कि उन्हें एक परिवार ने अपने घर में रहने दिया और बदले में कभी उनसे कुछ नहीं माँगा।
इसके बाद रैमो ने चुर्नी रोड पर डांस ब्रेट्स के नाम से एक डांस क्लास शुरू की। जिसके बाद जल्द ही अपने तीन और दोस्तों की मदद से उन्होंने एक डांस क्लास अंधेरी में और एक बोरीवली में भी खोली। वे सुबह चुर्णी रोड में क्लास लेते, दोपाहर को बोरीवली में, और फिर ट्रेन पकड़कर शाम को घर जाने से पहले अंधेरी में डांस सिखाते।
उनकी यह मेहनत रंगीला पर काम कर रही थी और उन्हें एक नए चेहरे की तलाश थी, जिसके लिए रैमो और उनके दोस्तों का सलेक्शन हुआ। लेकिन रैमो के इतने टैलेंटेड होने के बाद भी उन्हें साम्वले रंग के कारण रिजेक्ट कर दिया गया। यह उनके सफर की शुरुवात होने से पहले ही उनके अंत होने जैसा था।
लेकिन फिर बाद में किस्मत ने मानो उन्हें एक और मौका दिया और वापस उनका सेलेक्शन हो गया। वेर रंगीला के पहले गाने “आई रे आई रे” के लिए सेलेक्ट हो गए। इसके बाद वे एहमद के साथ काम करने लगे। एक साल बाद इस तरह काम करते हुए जब उन्होंने काफी अनुभव हो गया, तो वे खुद के बल पर काम ढूंढने को तैयार थे।
हालांकि, यह थोड़ा रिस्की था, पर वे कोशिश करने ने उन्हें पहला मौका दिया। सोनू निगम की पहली एल्बम “दिवाना” में और यह वीडियो बहुत पॉपुलर हुआ। इसके बाद रैमो एक दिन में चार म्यूजिक वीडियो पर काम करने लगे।
उसके बाद “तुम बिन” और “काटे” के डांस वीडियो फेमस हो गए। इस रैमो के लिए एक बड़ी कामयाबी थी और तब से लेकर आज तक उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
फिर “डांस इंडिया” में जज करने से लेकर खुद हिट मूवी डायरेक्ट करने तक उन्होंने वहाँ हर काम किया, जिसका उन्होंने कभी सपना नहीं देखा था। और आज उनका खुद का शो है “डांस प्लस” जहां वे अपनी ही तरह से आंखों में सपने लेकर आए लोगों की प्रतिबा और उनके टैलेंड को प्रोत्साहित करते हैं।
डांस कोरियोग्राफी के लिए उन्होंने कई अवॉर्ड्स जीते हैं, जिनमें एक नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी है, जो उन्हें फिल्म के गाने “दिवानी मस्तानी” के कोरियोग्राफ करने के लिए मिला। यह थी रेमो डिसूजा की कहानी, जिन्होंने कभी भी अपनी आर्थिक स्थिति या परिश्रम को अपने सपनों के आगे आड़े नहीं दिया, और जिन्होंने अपने जुनून और मेहनत से अपना सपना पूरा किया। उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद।
जीवन परिचय | |
---|---|
वास्तविक नाम | रमेश गोपी नायर |
उपनाम | रेमो डिसूजा |
व्यवसाय | अभिनेता, निर्देशक, कोरियोग्राफर |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 170 मी०- 1.70 फीट इन्च- 5’ 7” |
वजन/भार (लगभग) | 60 कि० ग्रा० |
शारीरिक संरचना (लगभग) | -छाती: 39 इंच -कमर: 31 इंच -Biceps: 12 इंच |
आँखों का रंग | भूरा |
बालों का रंग | काला |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 2 अप्रैल 1972 |
आयु (2017 के अनुसार) | 45 वर्ष |
जन्मस्थान | बेंगलुरु, भारत |
राशि | मेष |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | जामनगर, गुजरात, भारत |
स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | लागू नहीं |
शैक्षिक योग्यता | ज्ञात नहीं |
डेब्यू | एक कोरियोग्राफर के रूप में : बॉलीवुड ड्रीम्स (1995) बॉलीवुड ड्रीम्स (1995) एक निर्देशक के रूप में : एफ. ए. एल. टी. यू (फालतू) (2011) फालतू 2011 एक अभिनेता के रूप में : अफलातून (1997) अफलातून (1997) |
परिवार | पिता : गोपी नायर (वायु सेना अधिकारी) माता : माधवियम्मा (गृहिणी) रेमो डिसूजा अपने माता-पिता के साथ भाई : गणेश गोपी (बड़ा) बहन : 3 (बड़ी) |
धर्म | ईसाई (हिन्दू धर्म परिवर्तन) |
शौक/अभिरुचि | डांस करना |
विवाद | फिल्म एबीसीडी 2 के सेट पर धार्मिक भावनाओं के कारण मासांहार भोजन पर प्रतिबंध लगाने पर वह विवादों में रहे। |
पसंदीदा चीजें | |
पसंदीदा अभिनेता | सलमान खान और ऋतिक रोशन |
पसंदीदा अभिनेत्री | माधुरी दीक्षित |
पसंदीदा डांसर | माइकल जैक्सन |
पसंदीदा रंग | काला |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
गर्लफ्रेंड व अन्य मामले | लिज़ेल डिसूजा |
पत्नी | लिज़ेल डिसूजा (कॉस्ट्यूम डिजाइनर) रेमो डिसूज़ा अपनी पत्नी लिज़ेल डिसूजा के साथ |
बच्चे | बेटा : गेब्रियल डिसूजा और ध्रुव डिसूजा रेमो डिसूज़ा अपने बेटों के साथ बेटी : कोई नहीं |
धन संबंधित विवरण | |
आय | ₹2-3 लाख प्रति एपिसोड |