डॉ. भीम राव अंबेडकर { Dr. Bhim Rao Ambedkar } जिन्हे सब प्यार से बाबा साहिब भी कह कर बुलाते हैं | इनकी बदौलत ही आज सभी छोटी बढ़ी और नीची जाति के लोगो को बराबर समझा जाता है | देश की आजादी { 15 अगस्त 1947 } के बाद कांग्रेस के प्रतिनिधित्व में उन्हें देश का पहला कानून मंत्री नियुक्त किया गया था | डॉ. अंबेडकर दोवारा ही { 2 साल 11 महीने 18 दिन } में देश का संविधान लिखा गया था |
डॉ.अंबेडकर महार जाति से संबंध रखते थे, जो उस समय बिलकुल नीची जातियों में से एक मानी जाती थी | उन्हें सुद्र या दलित भी कहा जाता था | संविधान लागु होने से पहले उच्च जाति के लोग जैसे ब्राह्मण, क्षत्री और वैश्य दलितों को छूना भी पसंद नहीं करते थे, उनकी आवाज सुनना अथवा उनकी परछाई पड़ना भी अपवित्र माना जाता था | दलितों के लिए पड़ना, धन इकठ्ठा करना, सर्वजनक कुएं से पानी पीना तक भी वर्जित था |
उस समय सुद्रो की प्रस्थिति इतनी खराब थी कि अगर कोई सुद्र { दलित } गलती से भी गीता या रामायण के श्लोक सुन लेता था तो उसके कान में सीसा पिग्ला कर डाल दिया जाता था, अगर कोई सूद्र अपने से उच्ची जाति बाले को आँख उठा कर देखता तो उसकी आँखे निकाल दी जाती और अगर वह उच्ची आवाज में बात करता तो जीवा कटवा दी जाती थी |
बाबा साहेब अंबेडकर को भी नीची जाती का होने के कारण अपने जीवन में बहुत सारी परेशानियो का साम्हना करना पड़ा था | जिस वजय से वह आगे चल कर दलित वर्ग के लोगो के हकों और समाज में बराबरी के अधिकारो के लिए लड़े |
बाबा साहेब अंबेडकर संत कबीर, जोतिबा फुले , महात्मा बुद्ध और स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानते थे | वह अपने जीवन में इन्ही की शिक्षा और आदर्शो से प्रेरणा लेकर आगे बड़े |
Dr. Bhim Rao Ambedkar Early Life and Family { प्रारंभिक जीवन और परिवार }
डॉ. भीम राव रामजी अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महु जिले में हुआ था | इनके पिता जी का नाम रामजी सकपाल था जो कि ब्रिटिश इंडिया आर्मी के लिए सेैना में काम करते थे | वह सैना में सूबेदार के पद पर थे और इनकी माता का नाम भीमाबाई सकपाल था | यज महार जाति के थे जो बिलकुल नीची मानी जाती थी |
1894 में रामजी सकपाल सैना से रिटायर हो गए थे और इसी साल अंबेडकर जी की माता जी का भी देहांत हो गया था | तब अंबेडकर जी केवल 4 साल के थे |
माता के देहांत के बाद पूरा परिवार सतारा आ कर बस गया था |
अंबेडकर जी के भाई बहनो की बात करे तो यह 14 भाई बहन थे | जिसमे से केवल तीन बहने और अंबेडकर और उनका एक भाई ही बच पाया था | नीची जाति के होने के कारण दूसरे भाई बहनो को सही समय पर ईलाज ना मिल पाने पर जा फिर समाज का उनके प्रति अन्य दुष व्यवहार की वजह से उन्हें नहीं वचाया जा सका, जो वह ज्यादा नहीं जी सके |
भीम राव अंबेडकर अपने भाई बहनो में से सबसे छोटे थे, जिस कारण वह परिवार में सबके चहिते थे | अंबेडकर जी का नाम भी उनके माता-पिता ने अपने नाम भीमाभाई का ” भीम ” और रामजी का ” राव ” नाम से रखा था |
अंबेडकर नाम उनके एक गुरु दोवारा अंबेडकर जी को दिया गया था | आंबेडकर जी के गुरु ब्राह्मण कृष्ण केशव अंबेडकर जी, भीम राव अंबेडकर से बहुत प्यार करते थे | उन्होने भीनराव अंबेडकर जी के नाम के पीछे अपना आंबेडकर नाम इस लिए लगा दिया ताकि अंबेडकर को आगे जा कर कोई समस्या ना आए |
डॉ. अंबेडकर जी की पत्नी की बात करे तो इनकी दो शादिया हुई थी |
इनकी पहली पत्नी का नाम रामबाई था, अंबेडकर जी की इनसे शादी 1906 में हुई थी तब अंबेडकर जी की आयु केवल 15 वर्ष थी और रमाबाई 9 वर्ष की थी | रमाबाई का स्वास्थ्य खराब रहने की वहज से 1935 में उनका देहांत हो गया था |
अंबेडकर जी की दूसरी शादी की अगर बात करे तो इनकी दूसरी शादी सारधा नामक ब्राह्मण स्त्री से हुई थी, जो के एक डॉक्टर थी | शादी के बाद सारधा का नाम बदलकर सबिता अंबेडकर हो गया था |
Dr. Bhim Rao Ambedkar Education { शिक्षा }
अंबेडकर की वचपन से ही स्कूल जाने की बहुत चाह थी | परंतु उस समय एक दलित { नीची जाति } के बच्चों के लिए पड़ना संभंव नही था |
परंतु पिता के सूबेदार होने की वजह से अंबेडकर जी के पिता ने उन्हें जैसे तैसे स्कूल में दाखिला दिलवा दिया | पर अंबेडकर जी के लिए यह इतना आसान नहीं था | दलित होने की वजह से उन्हें बहुत सारी परेशानियो का साम्हना करना पड़ा, जैसे उन्हें क्लास के एक कोने में बैठाया जाता था, बैठने के लिए घर से टाट लाना पड़ता था | दलित होने के कारण कोई उनसें बात नहीं करता था | बच्चों और गुरु का व्यवहार उनके साथ बहुत गन्दा था |
यहा तक के उन्हें खुद से उठा कर पानी पीना भी बर्जित था | जब कभी भी अंबेडकर जी को प्यास लगती तो स्कूल के चपड़ासी द्वारा उन्हें पानी पिलाया जाता था वो भी ऊपर से गिरा कर और अंबेडकर जी को पानी हाथो में भर-भर कर पीना पड़ता था |
चपड़ासी के इलावा अंबेडकर जी को और कोई पानी नहीं पिलाता था क्यूंकि बाकि सभी छात्र और गुरु उच्च जाति के थे और उन्हें पूरी तरह से अंबेडकर को पानी पिलाने की मनाही थी |
जिस दिन चपड़ासी नहीं आता था उस दिन अंबेडकर जी को प्यासे ही रहना पड़ता था |
बहुत साडी कठिन परिस्थितियों के बावजूद अंबेडकर जी ने संन 1906 में { Elphinston High School } से Matriculation Examination पास की |
संन 1912 में उन्होने University Of Bombay से Economics and Political Science में डिग्री प्राप्त की |
संन 1913 में यह Higher Education के लिए Columbia university { New York } America में चले गए थे | { इसी साल इनके पिता जी का भी देहांत हुआ } | उस समय बड़ौदा के गायकवाड़ राजा सयाजीराम द्वारा कुछ चुनिंदा बच्चों को छात्रवृति देकर बाहर पड़ने के लिए भेजा जाता था | जो विदेश से पढ़कर आते थे और वापस लौटकर बड़ौदा के राजा के लिए काम करते थे |
दादा केलुस्कर जो के एक समाज सेवी थे अंबेडकर की प्रतिभा से वाकिव थे | दादा केलुस्कर ने ही बड़ौदा के राजा से अंबेडकर को छात्रवृति दिलाई थी जिस वजह से वह अमेरिका जा कर पड़ सके | वह छात्रवृति 4 साल तक की होती थी, जिसमे उन्हें 25 रुपए हर माह वरतने को मिलते थे |
संन 1915 में अंबेडकर जी ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी { Columbia university } से { Economics, Sociology, history, philosophy and Anthropology } सभी विष्यो में M.A.की |
संन 1916 में इन्होने { London School of Economics } से {M.sc or D.sc } की डिग्री प्राप्त की |
इसके बाद अम्बेस्ड़कर जी ने {Gray’s Inn } से Barrister of law का Course किया |
संन 1917 में छात्रवृति ख़त्म होने पर वह जून में भारत वापस लोट आए |
Work for Maharaja of Baroda in India { भारत में बड़ौदा के महाराज के लिए कार्य }
विदेश से शिक्षा प्राप्त करने के बाद जब अंबेडकर जी भारत आए तो वादे कि मुताबिक उन्हें बड़ौदा के महाराज के लिए कार्य करना जरूरी था |
बड़ौदा के गायकबाड़ महाराज द्वारा इन्हे रक्षा सचिव के पद पर न्युक्त कर दिया गया | परंतु अंबेडकर जी यह नौकरी ज्यादा समय तक नहीं कर पाए क्योकि उन्हें महसूस हुआ कि इतने ज्यादा पड़े-लिखे होने के बावजूद और इतने उच्चे पद पर होने पर भी लोग उनसे पहले की तरह ही बुरा व्यवहार कर रहे थे |
अंबेडकर जी कि नीचे के अधिकारी उनसे बहुत बुरा वर्ताव कर रहे थे, उन्हें वहा पर पानी पीने नहीं दिया जाता था और बार-बार दलित कह कर नीचा दिखाने की कोशिश की जाती थी | जिस वजह से उन्होने वह नौकरी छोड़ दी और संन 1918 में सिडेनहस कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में राजनितिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने |
वहा पर वह छात्रों के साथ तो सफल रहे परंतु कॉलेज के प्रोफेसरो द्वारा उनसे वैसा ही व्यवहार किया गया | वह अंबेडकर जी को किसी भी हालत में अपनाना नहीं चाहते थे | वह पानी का वर्त्तन भी उनसे सांझा करने के खिलाफ थे |
इसके इलावा अन्य लोग भी उनसे ऐसा ही व्यवहार कर रहे थे, कोई उन्हें रहने के लिए कमरा भी नहीं दे रहा था | हर कोई पहले उनसे उनकी जाति पूछता और उन्हें कमरा देने से मना कर देता |
कई-कई राते तो अंबेडकर जी ने सड़को पर गुजारी थी | आखिर उन्हें कमरा लेने के लिए अपनी जाति छुपानी पड़ी |
Anti dalit { दलितता का विरोद्ध }
दलितता के इस अपमान को ख़त्म करने के लिए अंबेडकर जी ने पुरे दलित समुदाय के समर्थन में एक जंग छेड दी | वह छुआछूत को ख़त्म कर समानता के अधिकारों लिए संघर्ष करने लगे |
अंबेडकर जी को इस लड़ाई में बहुत से अच्छे लोगो का समर्थन भी मिला जो देश में छुआछूत को खत्म कर समानता लाना चाहते थे |
उनमे से विशेष योगदान कोहलापुर रियासत के शाहू शासक ने दिया | उन्होने अंबेडकर जी को कहा कि वह लोगो को जागरूक करने के लिए कुछ लिखे, उसमे जो भी खर्च आएगा वह मैं करुगा | शाहू शासक के समर्थक से अंबेडकर जी ने एक साप्ताहिक पत्र निकाल जिसका नाम मुकनायक था |
संन 1920 में अंबेडकर जी ने अपना पहला संगठन प्रयास किया जिसके अंतर्गत उन्होने ने ” वहिष्कृत हितकारणी सभा ” की स्थापना की |
इस सभा का मुख्य काम लोगो को शिक्षत करना और आर्थिक रूप मजबूत बनाना था |
अंबेडकर जी ने दलित लोगो के लिए सर्वजनिक तलाव से पानी पीने और समान रूप से भगवान के दर्शन करने के लिए भी कोशिश की |
25 दिसंबर संन 1927 को अंबेडकर जी द्वारा सर्वजनिक रूप से मनुस्मृति की पुस्तक को जलाया गया, जिसमे के छुआछूत को बढ़ावा देने अनेक श्लोक लिखत थे |
Poona Pact { पूना पैक्ट }
दूसरे गोलमेज सम्मेलन में जो कि लंदन में हो रहा था, वहा पर अंबेडकर जी द्वारा यह मांग रखी गई कि उन्हें दलित्त वर्ग कि लिए अपना एक अलग निर्वाचक मंडल चाहिए | गाँधी जी अंबेडकर जी की इस मांग कि बिलकुल विरुद्ध थे | गाँधी जी का मानना था कि इससे पूरा देश अलग हो जाएगा | जिस वजह से गाँधी जी और अंबेडकर जी के बीच भारी वहस हुई |
परंतु आंबेडकर जी की बात से ब्रिटिश सरकार सहमत हो गई और एक कम्युनल अवार्ड घोषणा की जिसके अंतर्गत दलितों को 71 सीटे दी गई और उन्हें दो वोटो का अधिकार दिया गया जिसमे एक वोट से दलित अपना दलित वर्ग का प्रतिनिधि चुन सकते थे और दूसरी वोट अन्य प्रतिनिधि को डाल सकते थे |
जब जे कम्युनल अवार्ड घोषित हुआ तब गांधी जी पूना की येरवडा जेल में थे | गाँधी जी ने इसे ख़त्म करने के लिए कई यतन किए परंतु जब कोई बात ना बन सकी तो उन्होने मरन व्रत रख लिया | जिससे पुरे देश के हिन्दू अंबेडकर जी के खिलाफ रूस प्रदर्शित करने लगे |
गाँधी जी की जान बचाने और उनका मरन व्रत तुड़वाने कि लिए गाँधी जी और अंबेडकर जी के वीच एक समझौता हुआ | जिसके अंतर्गत गाँधी जी ने कहा कि ब्रिटिश सरकार आपको 71 सीटे दे रही है हम आपको 148 सीटे देंगे जिस पर आप अपना प्रतिनिधि खड़ा कर सकते है परंतु उनके लिए वोट केवल दलित ना करके बल्कि सभी वर्ग के लोग करेंगे | इसके इलावा दलितों को बिना किसे जातिवाद के सरकारी नौकरियों में योगदान और शिक्षा प्राप्त करने में भी योगदान दिया गया |
आंबेडकर जी गाँधी जी से सहमत हुए और दलितों की तरफ से इस समझौते पर हस्ताक्षर किए और गाँधी जी की तरफ से मदन मोहन मालवीया द्वारा हस्ताक्षर किए गए | बाद में इस समझौते को पूना पैक्ट के नाम से जाना जाने लगा |
Contribution to political life and constitution of Dr.Bheem Rao Ambedkar { डॉ. भीम राव अंबेडकर का राजनैतिक जीवन और संविधान में योगदान }
जब अंबेडकर जी ने राजनीति में अपना कदम रखा और वह चुनाव लड़ना चाहते थे | जिसके लिए बॉम्बे की सीट से प्रतिनिधि के रूप में खड़े हुए | परंतु कोई नहीं चाहता था कि अंबेडकर जी चुनाव जीते, जिसके लिए सभी बड़े नेताओ और लीडरों द्वारा मिल कर उन्हें चुनाव में हरा दिया गया |
इसके बाद अंबेडकर जी बंगाल से चुनाव लड़े और मुसलमान भाइयों की बड़ी संख्या के समर्थन से वह बंगाल से चुनाव जीत गए | पर देश की आज़ादी के बाद बंगाल भारत से अलग हो गया और अंबेडकर जी भारत में ही रहे |
15 अगस्त 1947 के बाद देश आज़ाद हो चूका था तो देश को सही ढंग से चलाने कि लिए एक संविधान का होना जरूरी था,और सबको पता था कि संविधान लिखने का कार्य अंबेडकर जी के बिना नहीं किया जा सकता और संविधान में योगदान कि लिए अंबेडकर जी का संसद का मेंबर भी होना जरूरी था जो के वह नहीं थे |
गाँधी जी द्वारा भी कहा गया कि संविधान को लिखने कि लिए अंबेडकर जी का योगदान जरूरी है |
इसके बाद आंबेडकर जी को संसद में लाने की तैयारी शुरू की गई |
तब के एक बड़े नेता B.N.Rao द्वारा डॉ. राजेंदर प्रसाद से अंबेडकर जी को संसद में लाने के लिए कहा गया और उन्होने आगे B.G.Kher जी से बात कर बम्बई के मंत्री एम. आर. जयकर का इस्तीफा दिलवाया और अंबेडकर जी को द्वारा बम्बई से सदस्य बनाया गया |
सदस्य बनने के बाद संविधान के कार्य को आरंभ किया गया जिसके लिए बहुत सारी कमेटीया भी बनाई गई और बहुत सारी बैठके भी लगाई गई |
अंबेडकर जी ने संविधान लिखने के लिए कई अन्य देशो के संविधानो को भी पड़ा | संविधान पूरी तरह से लिखने कि लिए 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया |
आज 26 जनवरी को गणतंत्र दिवश के रुप में मनाया जाता है |
Dr. Bhim Rao Ambedkar Adopt buddhism { बुद्ध धर्म को अपनाना }
भीम राव अंबेडकर जी कहते थे :
मैं ऐसे धर्म को मानता हुँ जो स्वतंत्रता,
समानता और भाईचारा सिखाये |
अंबेडकर जी ने अपने धर्म परिवर्तन की घोषणा 1936 में ही अपने भाषण जातिभेद का उच्छेद में ही कर दी थी लेकिन उन्होने धर्म परिवर्तन 1956 में जाकर किया था | इस वीच उन्होने सभी धर्मो को गंभीरता से पड़ा और जाना था |
आखिर उनकी खोज उन्हें बुद्ध धर्म तक ले गई |
अंबेडकर जी कहते है के बुद्ध धर्म एक ऐसा धर्म है जो स्वतंत्रता और समानता सिखाता है और यही कारण है कि मेने बुद्ध धर्म अपनाया |
Death of Dr. Bhim Rao Ambedkar { डॉ. भीम राव अंबेडकर की मृत्यु }
अंबेडकर जी को उनके आखरी समय में सुगर और वी.पी. जैसी बीमारियों ने घेर लिया था | एक समय ऐसा आया जब वह बिलकुल भी उठ नहीं पाते थे | उनका स्वास्थ्य उनका साथ छोड़ चूका था और 6 दिसंबर 1956 को डॉ भीम राव अंबेडकर जी की मृत्यु रात को नींद में ही हो गई थी |
अंबेडकर जी ने मृत्यु से पहले बुद्ध धर्म को अपना लिया था, जिस वजह से उनका अंतिम संस्कार भी बुद्ध धर्म की विधि से ही किया गया |