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महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले

ज्योति राव गोविन्द राव फुले, { Jyotiba Phule } भारत के नीचे दवे कुचले निर्वल लोगो और महिलाओ के लिए एक मसीहा के रुप में उभर कर आए |

ज्योतिबा फुले जी ने देश में शिक्षा के माध्य्म से देश में प्रगति और समानता लाने के लिए विशेष कार्य किया | ज्योतिबा फुले ने ब्राह्मणबाद के खिलाफ आवाज़ उठाई | क्योकि ब्राह्मणो द्वारा सुद्रो पर अनेको जुल्म किए जाते थे | ब्राह्मण सुद्रो को अछूत अथवा अपवित्र बताते थे |

ज्योतिबा फुले माली जाति से संवंध रखते थे, खुद नीची जातके होने की वजहा से ज्योतिबा जी को भी कई बार अपमान का सामना करना पड़ा परंतु ब्रह्मबाद के खिलाफ जा कर समानता और समान पाने का दृढ संकलप उन्होने तब उठाया जब वह अपने एक ब्राह्मण मित्र के विवाह में गए और ब्राह्मणो द्वारा उन्हें सुद्र कह कर वरात से निकाल दिया गया था |

उस दिन ज्योतिबा फुले जी ने जे निश्चय किया के वह दलित वर्ग के लोगो को ऊपर उठाएगे और ब्राह्मणबाद को जड़ से समाप्त कर देंगे |

उन्होने बहुत सारे समाज भलाई के कार्य किए, अनेकु विद्यालय खोले, विधवा विवाह का समर्थन किया, बाल विवाह के खिलाफ आवाज़ उठाई, किसानो के हित के लिए कार्य किए, शिक्षा का प्रसार किया, फुले जी ने विशेषता नारी शिक्षा पर जोर दिया वह नारी को पुरष के समान ही मानते थे उनका कहना था के अगर एक पुरष शिक्षत होगा तो एक घर को शिक्षत करेगा और अगर एक नारी शिक्षत होगी तो वह पुरे कुल को शिक्षत करेगी |

फुले जी ने विष्णु के अवतारों की और ब्राह्मणबाद की भर भर कर आलोचना की है | उन्होने विष्णु के अवतारों के बारे में कहा है के यह ब्राह्मणो द्वारा रचित काल्पनिक कथाएँ है जो उन्होने अपने लोव के लिए रची है |

उन्होने वेदों और शास्त्रों को भी पूरी तरह नकारा है | क्योकि वेदों में पूर्णता ब्राह्मणो को ही श्रेष्ट बताया गया है |

 

 

प्रारंभिक जीवन और परिवार { Early Life or Family }

महात्मा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पूना में हुआ था | उनके पिता जी का नाम गोविंदराव फूले था, वह माली थे और फूल बेचने का कार्य करते थे | जिस वजह से उनका गोत्र भी फूले ही पड़ गया | ज्योतिबा जी की माता का नाम चिमनाबाई था, जब ज्योतिबा एक वर्ष के हुए तब उनकी माता का देहांत हो गया था और उनको सगुणाबाई नामक एक दाई द्वारा पाला गया |

ज्योतिबा के परिवार में उनका एक छोटा भाई भी था जिसका बाल अवस्था में ही निधन हो गया था |

डॉ. भीम राव अंबेडकर का जीवन परिचय { Dr. Bhim Rao Ambedkar Biography }

ज्योतिबा फूले की शादी { Wedding of Jyotiba Phule }

महात्मा फुले शादी की बात करे तो बाल अवस्था में ही उनकी शादी हो गई थी | तब बाल अवस्था में विवाह करने की प्रथा थी जिस कारण मात्र 13 वर्ष की आयु में ही ज्योतिबा का विवाह 9 वर्ष की नाबालिक सावित्री बाई से कर दिया गया था |

ज्योतिबा फुले की शिक्षा { Education of Jyotiba Phule }

बचपन से ही ज्योतिबा को पड़ने में बहुत रुची थी, परंतु उस समय दलित वर्ग के लोगो का पड़ना संभव नहीं था | दलितों की शिक्षा प्राप्त करने पर पूर्णता रोक थी | परंतु ज्योतिबा के हुनर को पहचानते हुए सभी ने कहा के यह बालक बहुत प्रतिभाशाली है और इसे पड़ना चाहिए |

तब उनके पिता ने ज्योतिबा को { Sccotish Misssion High School } में दाखिला दिलवा दिया और ज्योतिबा अपने पुरे मन से पड़ने लगे | संन 1848 में 21 वर्ष की आयु में ज्योतिबा ने अपनी शिक्षा पूरी की और समाज सेवा और जातिबाद के खिलाफ आगे बड़े |

शिक्षा का प्रसार { Spread Education }

ज्योतिबा जी का मानना था के जातिवाद को ख़त्म करने, समानता और समान पाने के लिए लोगो को जागरूक होना होगा जो के केवल शिक्षा से ही संभव है | ज्योतिबा जी ने समाज में जागरूकता फलाने के लिए अपनी पत्नी सवित्रीबाई के साथ मिल कर अपना प्रथम विद्यालय खोला, परंतु समाज के डर से उनके विद्यालय में पढ़ाने के लिए कोई राज़ी नहीं हुआ तब ज्योतिबा ने अपनी पत्नी सवित्रीबाई को शिक्षत किया और सवित्रीबाई द्वारा ही उनके विद्यालय में पढ़ाया गया और वह पहली महिला अध्यपिका बनी और पहली शिक्षत महिला भी बनी |

ज्योतिबा जी का प्रथम विद्यलय सभी के लिए था वहा पर कोई भी आकर पड़ सकता था | 1852 तक उनके तीन विद्यालय चलने लगे जो विशेषता लड़कियों और महार वर्ग के लोगो के लिए खोले गए | ज्योतिबा के विद्यालय में वेदो और शास्त्र नहीं पढ़ाए जाते थे बल्कि वह ब्रिटिश शिक्षा को ज्यादा बढ़ावा देते थे | ब्रिटिश शिक्षा पढ़ाने की वजह से ब्रिटिश सरकार ज्योतिबा को विद्यालय के लिए फंड भी देते थे |

परन्तु यह सब उनके लिए इतना आसान भी नहीं था उन्हें समाज की और से बहुत कुछ सुनना पड़ता था खास तौर पर ब्राह्मण उनके खिलाफ हो थे सवित्रीबाई पढ़ाने के लिए जब विद्यालय जाती तो उनपर कीचड़ ऊशाला जाता था, उन्हें गोवर फेंक कर मारा जाता था,वह अपने साथ दो साड़िया लेकर जाया करती थी ताकि कीचड़ और गोवर से गंदी हो जाने पर वह साड़ी बदल सके |

ब्राह्मणो द्वारा उन्हें डराया और धमकाया जाता था, ज्योतिबा के घर वालो को परेशान किया जाता था जिस वजह से ज्योतिबा के पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया था |

ब्राह्मणो द्वारा उन्हें जान से मारने के यतन भी किए गए | परंतु ज्तोतीबा ने कभी भी हिमत नहीं हारी और वह लगा तार शिक्षा के प्रसार में लगे रहे | हालाकि 1857 में फण्ड आना बंद हो गया था और 1858 में इनके सभी विद्यलय बंद हो गए |

 

सत्य शोधक समाज

संन 1873 में ज्योतिबा फुले जी ने सत्य शोधक समाज की स्थापना की और वह इस में बहुत ज्यादा कामजाब भी रहे | सत्य शोधक समाज के कुल 316 मेंबर थे | इस समाज के अंतर्गत सभी को समानता और समान दिलाया गया | इस समाज का मुख्य काम दवे कुचले, बेसहारा और समाज से दुर्कार दिए गए लोगो को बराबरी का अधिकार दिलाना था | सत्य शोधक समाज में विशेष रूप से महिलाओं की भी मदद की जाती थी |

तब महिलाओं के हलात वद से वद्तर थे | तब महिलयो को बाल अवस्था में ही बड़ी उम्र के पुरषो के साथ विवाह दिया जाता था ,जब महिला थोड़ी बड़ी और समझदार होती तब तक उनके पती की मृत्यु हो जाती थी और लड़कियों को सत्ती प्रथा होने के कारण उनके पती के साथ उनकी चित्ता पर जिन्दा जला दिया जाता था |

अगर लड़की सत्ती नहीं होना चाहती थी तो उनका मुंडन कर मंदिरो में भेज दिया जाता था जहा पर उनसे मंदिरो के पुजारी दुष विवहार करते थे,जिस से महिलाएं अनचाहे बच्चों की माँ बन जाती थी | फिर समाज के डर से जा तो महिला आत्महत्या कर लेती जा अपने बच्चे को जन्म लेते ही मार देती |

फुले जी ने इस सब को रोकने के लिए महिलाओं को सहारा और विधवा और बेसहारा महिलाओं को सत्य शोधक में रख कर उनका पालन पोषण किया | फुले जी ने एक विधवा काशीबाई के बच्चे को भी गोद लिया जिस का नाम उन्होने जसवंत राव रखा जो के आगे चल कर एक डॉक्टर बना |

संन 1876 में प्लेग की बीमारी फैलने के दौरान ज्योतिबा जी की पत्नी और उनके पुत्र जसवंत द्वारा एक हस्पताल भी खोला गया,जिस में वह मुफ्त में ईलाज कर के लोगो की मदद करते थे | ज्योतिबा जी द्वारा गरीब लोगो के लिए खाने की विवस्थ्ता भी की गई जहा पर कोई भी आकर खाना खा सकते था |

ज्योतिबा फुले की मृत्यु { Death Of Jyotiba Phule }

ज्योतिबा फुले जी अपने अंतिम समय में अधरंग से ग्रस्थ हो गए थे और बहुत ज्यादा कमजोर पड गए थे | इस बीमारी की वजह से 28 नवंबर 1988 में उनका देहांत हो गया | ज्योतिबा फूले जी का अपना कोई पुत्र नहीं था जसवंत राव भी उनका गोद लिया पुत्र था इस कारण उनकी चित्ता को आग देने का कार्य उनकी पत्नी सवित्रीबाई द्वारा किया गया और पूरी बिधि पूर्वक उनका दाः संस्कार किया गया |

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