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महात्मा गौतम बुद्ध

भगवान महात्मा गौतम बुद्ध { Mahatma buddha },बौद्ध धर्म के संस्थापक हुए है । उनका जन्म का नाम सिद्धार्थ गौतम था जो ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध हो गया । बुद्ध नाम भगवान बुद्ध को संबोधित करने के लिए वरता जाता है । जिसका अर्थ है जागा हुआ व्यक्ति, जिसे सच्च का पता हो । आज भगवान बुद्ध को मानने वालों की गिनती लाखों में है । भगवान बुद्ध ने सभी को प्रेम और सच्च का मार्ग दिखाया ।

बुद्ध कहते है के मैने जो भी ज्ञान प्रप्त किया है वो मेरे अनुभव से है । वह अपने शागिर्दो को कहते है मेरे अनुभव से सीखो पर कभी भी इस पर आँखे मूंद कर विस्वास ना करो । बुद्ध किसी भी प्रकार के भगवान की उत्पत्ति को नकारते है और सदा जीवन के अनुभव से सत्य की खोज का मार्ग प्रदर्शित करने को कहते है। भगवान बुद्ध ने अपने शागिर्दो को यह भी उपदेश दिया के बुद्ध धर्म मेरा बताया हुआ मात्र रास्ता ही नही है अगर आगे चल कर इस मे कोई गलती होती है तो तुम भी इसे सुधार सकते है । बुद्ध धर्म सबको समानता और एकता सिखाता है । भगवान बुद्ध ने बुद्ध धर्म मे सभी जातियों ,ऊच्च-नीच वर्ग के लोगों अथवा सब को महत्व दिया है ।

भगवान महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म और परिवार { Birth and family }

भगवान महात्मा गौतम बुद्ध { Mahatma buddha } का जन्म वैशाख पूर्णिमा की रात 563 ई.पू. कपिलवस्तु, लुम्बिनी में हुआ । जो अब नेपाल में है। बुद्ध एक क्षत्रिय कूल के “शाक्य” वंश के राज परिवार से संबंध रखते थे । उनके पिता शुद्धोधन कपिलवस्तु राज्य के राजा थे । बुद्ध की माता का नाम मायादेवी था । कहा जाता है के जब भगवान बुद्ध ने जन्म ग्रहण करना था तो उनकी माता ने सपने में एक सफ़ेद हाथी को भगवान बुद्ध को एक कमल का फूल अर्पित करते हुए देखा । जिससे के वह बहुत व्याकुल हो गई । बहुत ऋषि मुनियों से पूछने पर एक ऋषि ने बताया के यह बालक जा तो सर्व श्रेष्ठ राजा बन कर पूरी दुनिया पर राज करेगा जा फिर यह एक सन्याशी बन लोगो का मार्ग दर्शन करेगा ।

बुद्ध के पिता बुद्ध को कभी एक सन्याशी के भेष में नही देखना चाहते थे । जिसके लिए उन्होंने बचपन से ही पुत्र बुद्ध को दुनिया के सभी दुःखो और तखलीफ़ो से दूर रखा ।

भगवान महात्मा गौतम बुद्ध का वैवाहिक जीवन { Marital life of Mahatma buddha }

बुद्ध का 16 वर्ष की आयु में यशोधना नाम की सुंदर राजकुमारी से विवाह हुआ । वह अपनी पत्नी यशोधना से बेहद ही प्यार करते थे । बुद्ध और यशोधना पास एक पुत्र भी हुआ जिसका नाम राहुल रखा गया ।

गृहत्याग { Homicide }

बुद्ध बचपन से अपने महल में ही रहे थे । उन्होंने कभी भी महल के बाहर का जीवन नही देखा था । सभी तरह के विकारों से दूर रखने के लिए उनके पिता ने उनके लिए सभी सुविधाएं महल में ही उपलब्ध रखी थी । दुःख और तकलीफ़ क्या होती है यह कभी बुद्ध को आभास ही नही होने दिया गया । परंतु एक दिन बुद्ध का बाहर का दृश्य देखने का बहुत मन हुआ । वह रात को अपने सार्थी चन्ना को लेकर अपने रथ पर कपिलवस्तु राज्य के दौरे पर निकल पड़े ।

रास्ते मे उन्होंने एक बूढ़े व्यक्ति को देखा जो के एक लाठी के सहारे चल रहा था । बुद्ध उसकी इस हालत को देख कर बिल्कुल हैरान रह गए । उन्होंने अपने सार्थी चन्ना से उस व्यक्ति की हालत के बारे में पूछा तो चन्ना ने जवाब दिया के वह वृद्ध होने के कारण ऐसे चल रहा । महात्मा बुद्ध के पूछने पर सार्थी ने बताया के हर व्यक्ति अपने जीवन मे पहले बालक फिर किशोर अंतता वृद्ध अवस्था मे जाता है । थोड़ा आगे जाने पर उन्हें एक बीमार व्यक्ति दिखा । सार्थी ने बुद्ध को बताया के यह इंसानी शरीर कई बार बीमारियों का शिकार होता है अगर इसकी सही देख-भाल और सही आहार की जरूरत को पूरा ना किया जाए ।

थोड़ा और आगे चल कर उन्होंने देखा के एक मृत व्यक्ति को अंतिम संस्कार के लिए लिजाया जा रहा था । बुद्ध ने जब अपने सार्थी चन्ना से उस बारे में पूछा तो चन्ना ने बताया के वह व्यक्ति मर चुका है । जो इस लोग में जन्म लेता है वो एक दिन मृत्यु को भी प्राप्त होता है । महात्मा बुद्ध ने वह देखा जिस का ज्ञान उन्हें आज तक कभी नही हुआ था । जब वह थोड़ा और आगे गए तो उन्हें एक साधु समाधि की अवस्था मे बैठा हुआ दिखाई दिया । बुद्ध का उस साधु के बारे में पूछने पर सार्थी ने बताया के वह समाज के सभी दुःखो-सुखों ,मोह-माया के बंदन से दूर जाने के लिए परमात्मा की भगति कर रहा है और उसे इस समाज मे किसी वस्तु का मोह नही है उसने सभ त्याग कर साधुत्व धारण कर रखा है ।

इतना सभ देखने के बाद बुद्ध के मन मे हजारों प्रश्नों ने जन्म ले लिया था ,जिसका जवाब उनके पास नही था । अपने प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए बुद्ध एक रात अपना राज महल और परिवार त्याग कर एक घोड़े पर निकल गए । उन्होंने ने साधु का भेष धारण किया और अपने प्रश्नों के उत्तर और सच्चे ज्ञान की प्रप्ति के लिए भटकने लगे । जब बुद्ध ने अपना राज महल छोड़ा तब उनकी आयु 29 वर्ष की थी ।

ज्ञान की प्रप्ति { Realization of knowledge }

भगवान महात्मा गौतम बुद्ध { Mahatma buddha } ने ज्ञान की प्रप्ति के लिए हर संभंव कोशिश की । उन्होंने हर वो कार्य किया जिससे के भगवान की प्रप्ति की जा सके और उन्हें उनके सवालों के जवाब मिल सके । वह पुर्णता साधु बन गए और बहुत सारे जप-तप और उपवास भी किए । बुद्ध ने दो गुरु “अलावा कलाम” और फिर “उद्दक रामपुत्त” भी धारण किए जिनसे उन्होंने योग और ध्यान सीखा । परंतु संतुष्टि ना मिलने उन्होंने वह गुरु त्याग दिए । बुद्ध 6 सालों तक जुहि सच्चे ज्ञान की तलाश में जंगलों और पहाड़ियों में घूमते रहे परंतु कुछ प्राप्त नही हुआ।

अंतता बुद्ध निरंजना नदी के किनारे एक पीपल के पेड़ के नीचे आकर बैठ गए और उन्होंने समाधि लगा ली । भगवान बुद्ध ध्यान में ऐसे मगन हुए के उन्होंने 49 दिनो तक अपनी आँखें नही खोली। जैसे ही भगवान बुद्ध ने 49 दिनों के बाद अपनी आँखें खोली तो उन्हें ज्ञान की प्रप्ति हो चुकी थी । उन्हें समझ आ चुका था के अपने शरीर को वेवजहा कष्ट देना व्यर्थ है । उन्होंने सुजाता नाम की एक कन्या से खीर ग्रहण कर अपना उपवास तोड़ा। उन्होंने समझ लिया था कि जीवन मे अच्छे कर्मो और प्रेम का ज्यादा महत्व है । जिस जगह पर भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी उस स्थान को आज “बोध गया” के नाम से जाना जाता है ।

 

ज्ञान का प्रचार { Promotion of knowledge }

भगवान महात्मा गौतम बुद्ध { Mahatma buddha } ने अपने ज्ञान को अपने तक ही सीमत रखना सही नही समझा। उन्होंने मानव कल्याण के लिए जगह-जगह जाकर अपने ज्ञान का प्रचार किया । बुद्ध ने सभी को प्रेम का पाठ पढ़ाया । जो व्यक्ति भी उनसे मिलता उनके ज्ञान के आगे चूक जाता और उनका शागिर्द बन जाता । बुद्ध के सबसे पहले शागिर्द दो शूद्र “तपुस्स” और “मल्लिक” थे । उनके बाद उनके शागिर्दो की गिनती बढ़ती गई । बुद्ध ने अपने शागिर्दो के साथ मिलकर जगह-जगह घूमकर लोगो का मार्गदर्शन किया । वह कहि भी एक जा दो दिनों से ज्यादा नही रुका करते थे । बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया । उसके बाद उन्होंने कांशी ,उरुवेला, राजगृह और श्रावस्ती में अपना प्रचार किया । श्रावस्ती में बुद्ध द्वारा सबसे ज़्यादा प्रचार किया गया ।

भगवान महात्मा गौतम बुद्ध { Mahatma buddha } का आख़िरी समय { The last time of Mahatma Buddha }

बुद्ध की मृत्यु का कारण चुन्द द्वारा अर्पित भोजन था । जब चुन्द ने वह भोजन भगवान बुद्ध को अर्पित किया तो बुद्ध जानते थे के वह इस भोजन को पचा नही पाएंगे । पर बुद्ध इस भोजन को अस्वीकार कर चुन्द का मन नही दुखाना चाहते थे ।
भगवान बुद्ध ने वह भोजन बड़ी ही ख़ुशी से ग्रहण किया । पर भोजन ग्रहण करने के बाद उनके पेट मे दर्द होने लगा । जिस वजह से 80 वर्ष की आयु में 483 ई.पू. को भगवान बुद्ध कुशीनगर में अपनी अंतिम समाधि को प्राप्त हो गए ।

भगवान महात्मा गौतम बुद्ध { Mahatma buddha } की मृत्यु के बाद उनके शरीर को 8 भागों में बांट लिया गया । जिसके आठ स्तूप बनाए गए ।

 

बुद्ध के शरीर धातु स्तूपों के दावेदार { Buddha body contenders for metal stupas }

  • पावा व कुशीनगर के मल्ल
  • कपिलवस्तु के शाक्य
  • वैशाली के लिच्छवि
  • अलप्प के बुली
  • रामगाम के कोलिय
  • पिप्पलिनन के मोरिया
  • वेवद्वीप के ब्रहमण
  • मगधराज अजातशत्रु

महात्मा बुद्ध अपने आप में एक बड़ी प्रतिमा थे | उनके विचारों ने समाज को एक नई दिशा दी | भगत सिंह,डॉ. भीम राव अंबेडकर और सम्राट अशोक जैसे बहुत सारे महान वयक्तित्व के धनी वियक्तियो ने भगवान बुद्ध की शिक्षा को स्रोत बना कर जीवन को सफल किया |

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