महाकवि मौलाना जलालुद्दीन रूमी का जन्म फारस साम्राज्य के प्रसिद्ध नगर बाल्ख़ में हुआ था। उनके पिता, शेख बहाउद्दीन, उस समय के बड़े विद्वान पंडित थे, जिनका उपदेश फारस के अमीर विद्वानों द्वारा सुना जाता था।
रूमी की प्रारंभिक शिक्षा उनके पिता द्वारा हुई थी और उस समय के तत्कालीन फारस सम्राट् ख्व़ारज़मशाह के बड़े भक्त थे। एक मामले में मतभेद के कारण बाल्ख़ नगर छोड़ना पड़ा और शेख बहाउद्दीन नेशांपुर नामक नगर में पहुंचे, जहां उन्हें विद्वान् ख्वाजा फरीदउद्दीन अत्तार से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
वहां के प्रसिद्ध विद्वान् ख्वाजा अत्तार ने उन्हें देखकर बहुत खुश होकर कहा, “एक दिन यह बालक एक महान पुरुष बनेगा। इसकी शिक्षा और देख-रेख में कोई कमी न होने देना।” इस प्रेरणा के कारण ख्वाजा अत्तार ने रूमी को अपने प्रसिद्ध ग्रंथ “मसनवी अत्तार” की एक प्रति भेंट की।
18 वर्ष की आयु में जलालुद्दीन रूमी का विवाह हुआ, उसी समय बादशाह ख्व़ाजरज़मशाह का देहान्त हो गया और शाह अलाउद्दीन कैकबाद राजसिंहासन पर बैठ गए। तभी उन्होंने अपने कर्मचारीयों को भेजकर शेख बहाउद्दीन से वापस आने की प्रार्थना की।
पिता की मृत्यु के बाद रूमी दमिश्क और हलब के विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए चले गए। वह रात-दिन लोगों को मार्ग दिखाने और उपदेश देने में लगे रहते थे, जब शम्स तबरेज़ ने उन्हें मिला और रूमी को अध्यात्म-विद्या की शिक्षा दी।
रूमी पर शम्स तबरेज़ की शिक्षाओं का गहरा प्रभाव पड़ा, जिसके कारण उन्होंने उपदेश, फतवे और पढ़ने-पढ़ाने का कार्य छोड़ दिया। उनके भक्तों ने इसे देखकर शम्स तबरेज़ के खिलाफ सन्देह किया और उन्हें वध कर दिया।
इस दुर्घटना ने रूमी को इतना दुःखी कर दिया कि वह समाज से विरक्त होकर एकांतवास में रहने लगे। उनकी कविताएं प्रेम और ईश्वर भक्ति का सुंदर समिश्रण प्रस्तुत करती हैं, और उन्होंने सूफ़ी परंपरा में नर्तक साधुओं की परंपरा का संरक्षण किया।
मौलाना रूमी का निधन 1273 में हुआ था, और उनकी याद में कोन्या में एक प्रतिमा बनाई गई है, जहां उनकी मज़ार भी स्थापित है।
| जीवन परिचय | |
|---|---|
| वास्तविक नाम | मौलाना मोहम्मद जलालुद्दीन रूमी |
| व्यवसाय | मुस्लिम कवि, न्यायवादी, इस्लामी विद्वान, धर्मविज्ञानी और सूफी संत |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | 30 सितम्बर 1207 |
| आयु (मृत्यु के समय) | 66 वर्ष |
| जन्मस्थान | बाल्ख़, फारस साम्राज्य (वर्तमान में अफगानिस्तान) |
| मृत्यु तिथि | 17 दिसम्बर 1273 |
| मृत्यु स्थल | क़ौनिया (रोम की सल्तनत) |
| मृत्यु का कारण | ज्ञात नहीं |
| समाधि/कब्र स्थल | मौलाना रूमी का मक़बरा, कोन्या, तुर्की |
| राशि | तुला |
| राष्ट्रीयता | अफ़गानी |
| गृहनगर | बाल्ख़, फारस साम्राज्य (वर्तमान में अफगानिस्तान) |
| स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
| महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | ज्ञात नहीं |
| शैक्षिक योग्यता | ज्ञात नहीं |
| परिवार | पिता - शेख बहाउद्दीन माता - नाम ज्ञात नहीं भाई - ज्ञात नहीं बहन - ज्ञात नहीं |
| धर्म | इस्लाम |
| जाति | सुन्नी |
| जातीयता | पर्शियन |
| शौक/अभिरुचि | कविताएं लिखना |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| पत्नी | पहली पत्नी - गौहर खातून दूसरी पत्नी - नाम ज्ञात नहीं |
| बच्चे | बेटा : सुल्तान वलद (पहली पत्नी से), इलाउद्दीन चलाबी (पहली पत्नी से), आमिर अलीम चलाबी (दूसरी पत्नी से) बेटी : मालकेह खातून (दूसरी पत्नी से) |
