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Jaswant Singh

आशा है कि आप सभी अच्छे होंगे। मेरा नाम सिद्धानतर गिन है और श्टेड़ी आई के पायब का हृदय से स्वागत है। आज हम जस्वन्त सिंग जासोल के बारे में चर्चा करेंगे। जस्वन्त सिंग बीजेपी के एक महत्वपूर्ण नेता रहे हैं और उन्होंने बीजेपी पर कई योजनाएँ और कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

जस्वन्त सिंग का जन्म 1938 में राजस्थान के जासोल जिले में हुआ था। उनके पिताजी, हैठाकुर सरदार सिंग राठोर, एक उच्च खानदान से थे। जस्वन्त सिंग का यहाँ परिवार राजपूत फैल्म से जुड़ा हुआ था और उनके पिताजी कुमारी वैसा भी थे। उनके दो बच्चे थे, जिनमें से एक मानवेंदर सिंग भी एक पूर्व सांसद रहे हैं।

जस्वन्त सिंग ने भारतीय सेना में सेवा की थी और उन्होंने तीस साल की आयु में इसे छोड़ दिया। उन्होंने भारतीय सेना के साथ अपनी सेवाएं समाप्त करके राजनीति में कदम रखा और बहुती जल्दी में उन्होंने अपना पहला कदम उठाया।

जस्वन्त सिंग ने बीजेपी को ज्वाइन किया और राज्य सभा से चुनाव लड़ा। उन्होंने अपर हाउस में कई महत्वपूर्ण पदों को संभाला, जैसे कि वित्त मंत्री, बाह्य मामलों के मंत्री और विपक्षी नेता।

जस्वन्त सिंग ने अपनी प्रमुख भूमिका में बहुत समर्पण और सेवाभाव से कार्य किया है। उन्होंने वित्तमंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं और विदेश मामलों के मंत्री के रूप में भी उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा है।

उन्होंने अपनी सेना की सेवा के बाद राजनीति में कई मुद्दों पर अपनी राय दी और उनका योगदान देश के लिए महत्वपूर्ण रहा है। उनकी नेतृत्व कदमों ने देश को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इसके बाद, हम देख सकते हैं कि जस्वन्त सिंग ने कई सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार और क्रियाएं रखी हैं, जो उन्हें एक सशक्त और जिम्मेदार नेता बनाती हैं।

आखिर में, हम यह कह सकते हैं कि जस्वन्त सिंग ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन उन्होंने इन्हें सफलता से पार किया है और एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा है। उनका योगदान देश के विकास और समृद्धि के प्रति अनवार्य है और हमें इसे मान्यता देना चाहिए।

वाचपैइ, इधर परवेज मुशर्रफ और अटल भीहारी वाजपेयी को साथ में मिलना था। यह मिलन परवेज मुशर्रफ के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि उनका समय तानाशाही से गुजर चुका था और उन्होंने पूरी सत्ता को अपने पास ले लिया था। पाकिस्तान की पूरी इतिहास में उनकी यह भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही। परवेज मुशर्रफ की बायोग्राफी उपलब्ध है, जिसे देखकर आप पूरी घटनाओं को समझ सकते हैं।

परवेज मुश्यर्रफ और अटल बिहारी वाजपेयी को अकेले में मिलना था, लेकिन यहां पर यह बताया गया कि इसे एकल मिलने का नहीं, बल्कि चार लोगों की मुलाकात का रूप देना चाहिए। एक कमरे में बैठक तय हुई, जिसमें चारों नेता शामिल थे और एक पूरा ड्राफ्ट तैयार हुआ। जब उसे देखा गया, तो उसमें शिमला एग्रीमेंट के कोई उल्लेख नहीं था। इस पर बहस के बाद, सहमति बनी कि भारत और पाकिस्तान अपने मसलों को प्रस्तुत नहीं करेंगे, लेकिन सुलझाएंगे।

कुछ तीसरी पक्ष का हस्तक्षेप नहीं हुआ और शिमला एग्रीमेंट की कोई बात नहीं हुई। इसके बाद, जस्वन सिंग ने अपनी असमंजस्यपूर्णता व्यक्त की और कहा कि वह इस तरह के निर्णयों से सहमत नहीं हैं। इस पर, अटल वाजपेयी और यशवंत सिन्हा के साथ और कई अन्य नेताओं ने इस ड्राफ्ट की मुख्य बिंदुओं पर असहमति जताई और इसे स्वीकृत नहीं किया।

जस्वन सिंग की राजनीतिक यात्रा में 2004 तक कई मोड़ आए, जिसमें उन्होंने वित्तमंत्री के रूप में सेवा की, फिर लीडर ऑफ़ आपोजिशन बने, और अंत में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। उन्होंने कई विवादित मुद्दों पर अपने विचार रखे और आखिरकार अपनी पार्टी से बाहर हो गए। इसके बाद भी, जस्वन सिंग ने अपनी एक्टिव रूप से रहने का निर्णय लिया है और सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में अच्छे संबंध बनाए हैं।

 

 

 

जीवन परिचय
व्यवसायराजनेता, सेना से सेवानिवृत्त
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग)से० मी०- 173 मी०- 1.73 फीट इन्च- 5’ 8”
वजन/भार (लगभग)75 कि० ग्रा०
आँखों का रंगकाला
बालों का रंगअर्ध सफ़ेद
राजनीति
राजनीतिक पार्टीभारतीय जनता पार्टी (1960-2014) भारतीय जनता पार्टी झंडा
राजनीतिक यात्रावर्ष 1980 में: उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया। वर्ष 1986 में: उन्हें राज्य सभा के लिए पुनः निर्वाचित (द्वितीय कार्यकाल) किया गया। वर्ष 1990 में: वह 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए। वर्ष 1991 में: वह 10 वीं लोक सभा के द्वितीय कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया। वर्ष 1991-1996 में: उन्होंने Estimate Committee के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वर्ष 1996 में: उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया। वर्ष 1996-1997 में: उन्हें 11 वीं लोकसभा (तीसरी अवधि) के लिए पुनः चुना गया। वर्ष 1998 में: उन्हें योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। वर्ष 1998 में: उन्हें राज्य सभा के लिए फिर से निर्वाचित (तीसरी अवधि) किया गया। वर्ष 1998-2002 में: उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश मामलों के मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। वर्ष 1999 में: वह राज्य सभा के लिए फिर से निर्वाचित (चौथी अवधि) किए गए। वर्ष 2001में: वह रक्षा मंत्री बने। वर्ष 2002-2004 में: वह दूसरी बार वित्त मंत्री बने। वर्ष 2004 में: उन्हें राज्य सभा के लिए फिर से निर्वाचित (5 वीं अवधि) किया गया। वर्ष 2004-2009 में: वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने। वर्ष 2009 में: उन्हें 15 वीं लोकसभा (चौथी अवधि) के लिए पुनः चुना गया। वर्ष 2009 में: बीजेपी से एक विवाद के कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। वर्ष 2010 में: वह पुनः बीजेपी में शामिल हुए। वर्ष 2014 में: उन्हें दार्जिलिंग से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुना गया।
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि3 जनवरी 1938
आयु (वर्ष 2018 के अनुसार)80 वर्ष
जन्मस्थानजसोल, राजपूताना एजेंसी, ब्रिटिश भारत
राष्ट्रीयताभारतीय
हस्ताक्षरजसवंत सिंह के हस्ताक्षर
गृहनगरजसोल, राजपूताना एजेंसी, ब्रिटिश भारत
राशिमकर
स्कूलमयो कॉलेज, राजस्थान
कॉलेज• राष्ट्रीय रक्षा अकादमी • भारतीय सैन्य अकादमी
शैक्षणिक योग्यताज्ञात नहीं
धर्महिन्दू
जातिराजपूत
पतागांव-तमावा, ग्राम पंचायत-मेवा नगर, तहसील पचपद्र-जिला बाड़मेर, राजस्थान
शौक/अभिरुचिलेखन, पढ़ना, यात्रा करना
विवाद• जब उनकी पुस्तक, नेशनल सिक्योरिटी: एन आउटलाइन ऑफ कंसर्नस (1996) प्रकाशित हुई, तब जसवंत सिंह को एक विवाद का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया था कि एक जासूस ने यू.एस. स्रोतों को कुछ ख़ुफ़िया जानकारी लीक की थी। उन्होंने दावा किया कि उस समय पी.वी. नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री के कार्यालय में जासूसी रही थी। मनमोहन सिंह ने जसवंत को जासूस का नाम बताने के लिए चुनौती दी, जिस पर सिंह ने दावा किया कि जासूस के बारे में उनकी धारणा 'हंच' पर आधारित थी। • 17 अगस्त 2009 को उनकी एक और पुस्तक जिन्नाः भारत-विभाजन-स्वतंत्रता जारी की गई, जिसमें उन्होंने दावा किया कि जवाहरलाल नेहरू की केंद्रीकृत नीति भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार थी। इसके अलावा, उनकी पुस्तक ने मोहम्मद अली जिन्ना की प्रशंसा की। जिससे कई लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची और इसके चलते उन्हें विवादास्पद पुस्तक के कारण बीजेपी से भी निकाल दिया गया। जसवंत सिंह की किताब जिन्नाः भारत-विभाजन-स्वतंत्रता
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारी
वैवाहिक स्थितिविवाहित
परिवार
पत्नीशीतल कंवर जसवंत सिंह अपनी पत्नी के साथ
बच्चेबेटा - मानवेंद्र सिंह (राजनेता) जसवंत सिंह अपने बेटे के साथ बेटी - कोई नहीं
माता-पितापिता - ठाकुर सरदार सिंह राठौड़ माता - कुंवर बाईसा
धन संबंधित विवरण
कार संग्रह• टैफे 35 ट्रैक्टर, (आरजे -19 आर 0032) • फिएट कार, (आरजे-क्यू-9849) • टाटा सफारी, (डब्ल्यूबी-77-7771) • टाटा मरीना, (डीएल-3 सी एएफ-3331)
चल-अचल संपत्ति (लगभग)बैंक सावधि जमा: ₹1 करोड़ बांड, डिबेंचर, शेयर: ₹11 लाख आभूषण: ₹23 लाख कुल मूल्य: ₹2 करोड़
कुल संपत्ति (लगभग)₹8 करोड़ (वर्ष 2009 के अनुसार)

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