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Mahashay Dharampal Gulati

नमस्कार दोस्तों! आज हम एक ऐसे व्यक्ति की कहानी सुनेंगे जिन्होंने अपने होसले और मेहनत से सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँचा लिया। मेहनत का सच्चा मोतार होता है, और इस सच्चाई को दिखाया है महाशय धर्मपाल गुलाटी ने, जो M.D.H. मसालों के विग्गियापन में पहचाने जाते थे।

महाशय धर्मपाल गुलाटी 27 मार्च 1923 को जन्मे थे और 3 दिसम्बर 2020 को 96 वर्ष की आयु में हार्ट अटैक के कारण इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आइए, हम उनके जीवन की कहानी में खुद को खो जाते हैं, जिनमें उन्होंने तंगी से लेकर मसालों के उत्पादन तक का सफर तय किया।

जब विभाजन के कारण पाकिस्तान छोड़ना पड़ा, महाशय धर्मपाल ने अपने परिवार के साथ भारत आकर नए आरंभ की शुरुआत की। उनकी मेहनत और उनका संघर्ष देखकर उन्होंने अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किये गए कठिनाईयों को नकारात्मक में बदला।

महाशय धर्मपाल गुलाटी ने अपने कारोबार की नींव रखी और मसाला तैयार करने का कारोबार शुरू किया। अपनी मेहनत, संघर्ष और उत्साह से उन्होंने अपनी कंपनी को उच्चाधिकृत करने में सफलता प्राप्त की।

1969 में M.B.H. मसालों की फैक्ट्री की शुरुआत के बाद, उनका कारोबार और भी बढ़ गया और उन्होंने अपने मसालों की सप्लाई को बड़े पैम्बर में बढ़ाया।

धर्मपाल गुलाटी ने अपनी मेहनत और सफलता के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए, जिसमें 2019 में मिला पद्म भूषण भी शामिल है। उनका योगदान व्यापार और उद्योग क्षेत्र में अत्यधिक प्रमुख है और उन्हें भारत के उद्यमियों में से एक माना जाता है।

उनके नेतृत्व में M.D.H. मसाले आज भी दुनियाभर में लोकप्रिय हैं और धर्मपाल गुलाटी को भारत के अग्रणी उद्यमियों में से एक बनाए रखा जाता है। उनकी उम्र के बावजूद, उनकी कमाई में भी वृद्धि होती जा रही है, जिससे वह विश्व के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले CEO में भी शामिल हो रहे हैं।

महाशय धर्मपाल गुलाटी ने अपने जीवन में दिखाए गए समर्थन, संघर्ष, और सफलता के माध्यम से हमें एक प्रेरणादायक कहानी प्रदान की है, जो हमें यह सिखाती है कि मेहनत और संघर्ष से ही सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँचा जा सकता है।

 

 

महाशय धर्मपाल गुलाटी
जीवन परिचय उपनाम मसाला किंग दादाजी महाशयजी मसालों के राजा व्यवसाय व्यवसायी प्रसिद्ध हैं एमडीएच मसालों के मालिक होने के नाते महाशय गुलाटी एमडीएच मसाले शारीरिक संरचना लम्बाई (लगभग) से० मी०- 170 मी०- 1.70 फीट इन्च- 5' 7" आँखों का रंग काला बालों का रंग श्वेत व्यक्तिगत जीवन जन्मतिथि 27 मार्च 1923 (मंगलवार ) जन्मस्थान सियालकोट उत्तर-पूर्व पंजाब पाकिस्तान मृत्यु तिथि 3 दिसंबर 2020 (गुरुवार) मृत्यु स्थान माता चानन देवी हॉस्पिटल नई दिल्ली आयु (मृत्यु के समय) 97 वर्ष मृत्यु का कारण दिल का दौरा [1] राष्ट्रीयता भारतीय गृहनगर दिल्ली भारत राशि मेष शैक्षणिक योग्यता पांचवी पास (पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी) धर्म हिन्दू जाति खत्री पता (कार्यालय) 9/44 औद्योगिक क्षेत्र कीर्ति नगर दिल्ली - 110015 महाशय गुलाटी अपने कार्यालय में शौक/अभिरुचि पतंग उड़ाना पहलवानी करना कबूतरबाजी करना पुरस्कार एवं सम्मान वर्ष 2016 - एबीसीआई वार्षिक पुरस्कारों में 'इंडियन ऑफ़ द ईयर' महाशय गुलाटी एबीसीआई वार्षिक पुरस्कारों में 'इंडियन ऑफ़ द ईयर' पुरस्कार के साथ वर्ष 2017- लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार महाशय गुलाटी लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार के साथ वर्ष 2017- एफएमसीजी क्षेत्र में सबसे ज्यादा भुगतान करने वाले सीईओ (₹21 करोड़ / वर्ष) प्रेम संबन्ध एवं अन्य मामलें वैवाहिक स्थिति (मृत्यु के समय) विदुर (Widower) विवाह तिथि वर्ष 1941 परिवार पत्नी लीलावन्ती महाशय गुलाटी अपनी पत्नी लीलावन्ती के साथ बच्चे बेटा - संजीव गुलाटी राजीव गुलाटी महाशय गुलाटी का बेटा संजीव गुलाटी बेटी - 6 (नाम ज्ञात नहीं) माता-पिता पिता - महाशय चुन्नी लाल माता - माता चानन देवी महाशय धर्मपाल गुलाटी अपने परिवार के साथ भाई-बहन भाई - सतपाल गुलाटी एवं धर्मवीर गुलाटी बहन - 5 (नाम ज्ञात नहीं) पसंदीदा चीज़ें पसंदीदा भोजन पंजाबी व्यंजन धन संबंधित विवरण कार संग्रह क्रिसलर लिमो महाशय गुलाटी अपनी क्रिसलर लिमो कार के साथ घर/एस्टेट एमडीएच में 80% हिस्सेदारी 15 कारखानों 20 स्कूलों 1 अस्पताल के मालिक हैं। आय (लगभग) Rs. 21 करोड़ / वर्ष (वर्ष 2017 के अनुसार) कुल संपत्ति (लगभग) Rs. 940 करोड़
महाशय गुलाटी
महाशय धर्मपाल गुलाटी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
गुलाटी का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था जहां उनके पिता “महाशियाँ दी हट्टी” नामक एक दुकान से मसाले बेचने का कार्य करते थे।
वह आर्य समाज के बहुत बड़े अनुयायी थे।
10 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा छोड़ दी (जब वह पांचवी कक्षा में थे) और अपने पिता की दुकान पर कार्य करना शुरू कर दिया।
7 सितंबर 1947 को वह भारत-पाक विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ पाकिस्तान से दिल्ली भारत लौट आए।
उसके बाद वह दिल्ली के करोल बाग़ में अपनी भतीजी के घर पर रहने लगे जहां पानी बिजली की आपूर्ति नहीं थी।
जब वह दिल्ली आए तब उनके पिता ने उन्हें ₹1500 दिए थे जिसमें से धर्मपाल गुलाटी ने ₹650 का तांगा (घोडा गाड़ी) खरीद लिया और कनॉट प्लेस से करोल बाग़ तक यात्रियों से 2 आने लेते थे। भारतीय मुद्रा 2 आने भारतीय मुद्रा 2 आने
उन्हें अपनी आजीविका के लिए पर्याप्त रूप से साबित नहीं होने के कारण अक्सर अपमानित होना पड़ता था। इसलिए उन्होंने अपनी तांगा (घोडा गाड़ी) को बेच दिया और अजमल खान सड़क के किनारे एक छोटी सी दुकान बनाई और अपने परिवार का पुराना कारोबार मसालों को बेचना शुरू किया। धर्मपाल गुलाटी 1950 के दशक में राज कपूर के साथ धर्मपाल गुलाटी 1950 के दशक में राज कपूर के साथ
प्रारंभ में सफलता के बाद उन्होंने वर्ष 1953 में चांदनी चौक में एक और दुकान किराए पर ली जिसके चलते वर्ष 1959 में उन्होंने स्वयं की फैक्ट्री स्थापित करने के लिए कीर्ति नगर में जमीन खरीदी जहां उन्होंने एमडीएच मसालों के साम्राज्य यानि महाशियां दी हट्टी लिमिटेड की स्थापना की जिसका अर्थ है “एक महानुभाव आदमी की दुकान” पंजाबी में। एमडीएच दुकान करोल बाग दिल्ली में एमडीएच दुकान करोल बाग दिल्ली में
एमडीएच स्विट्ज़रलैंड संयुक्त राज्य अमेरिका जापान कनाड़ा यूरोपीय देशों इत्यादि में मसालों का निर्यात करता है।
वर्तमान में एमडीएच भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मसालों की श्रेणी में सबसे बड़े ब्रांडों में से एक के रूप में उभरा है जिसका 90 साल की उम्र पार करने के बाद भी धर्मपाल गुलाटी स्वयं एमडीएच उत्पादों का विज्ञापन करते रहे।
एमडीएच 50 से भी अधिक विभिन्न उत्पादों को बेचता है।
उनके द्वारा “महाशय चुन्नीलाल चैरिटेबल ट्रस्ट” शुरू की गई थी जिसके अंतर्गत 250 बिस्तरों वाला एक अस्पताल और झोपड़पट्टी के निवासियों के लिए एक मोबाइल अस्पताल चलाया जा रहा है। इसके अलावा ट्रस्ट दिल्ली में 4 स्कूल भी चलाता है। इस ट्रस्ट के द्वारा वित्तीय सहायता भी सामाजिक संगठनों को दी जाती है।
एमडीएच संदेश पत्रिका भी चलाता है जो भारत के पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को प्रदर्शित करता है। संदेश पत्रिका संदेश पत्रिका
वह अपनी सेहत के प्रति काफी सजग रहते थे जिसके चलते वह सुबह 5 बजे योगा किया करते थे। महाशय धर्मपाल गुलाटी कसरत करते हुए महाशय धर्मपाल गुलाटी कसरत करते हुए
उन्होंने अपनी आत्मकथा में अपने बचपन से लेकर सफलता के पीछे के रहस्य का खुलासा किया है। महाशय गुलाटी की आत्मकथा महाशय गुलाटी की आत्मकथा
महाशय गुलाटी के जीवन परिचय को विस्तार से जानने के लिए देखिए ये वीडियो :
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सन्दर्भ सन्दर्भ ↑ 1 Outlook

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