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Mallikarjun Kharge

1945-46 के दौरान, जब आजादी की लड़ाई अपने आखिरी मोड़ पर थी, तब के हैदराबाद राज्य में एक छोटे से गाँव वरवट्टी था, जो अब कर्नाटक में स्थित है। हैदराबाद के निजाम के कुछ सेनानियों का एक गाँव, वरवट्टी, बचपन में बहुत सीखें लेता हैं। एक दिन, गाँव के बाहर, एक तीन साल का बच्चा खेल रहा था, जब एक दर्दनाक घटना घटित होती है। माता-पिता काम पर गए हुए थे और इस बच्चे को गाँववालों के सामने देखकर वे दुखी और आत्मनिर्भर हो जाते हैं।

इस घटना ने इस बच्चे की आँखों में एक दर्दनाक दृश्य छोड़ा, जो उसके जीवन भर के लिए उसकी दृष्टि में क़ैद हो गया। यह बच्चा बड़ा होकर राजनीति में कदम रखता है और कर्नाटक के प्रमुख नेताओं में अपनी जगह बनाता है। उन्होंने अपनी पार्टी में अहम स्थान बनाया और कमान के सबसे वफादार नेताओं में गिना जाने लगा।

दोहरबाइस की दिनचर्या में, उन्हें देश की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्षपद का चयन जीतने का मौका मिलता है। इस महत्वपूर्ण पद के लिए उनका चयन जीतने पर उनका नाम मलका अर्जुन खड़गे होता है। मलका अर्जुन खड़गे ने सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्षपद का जीतने के बाद, सरकार के खिलाफ अक्सर मोर्चा खोलने का कार्य संभाला है।

खड़गे के बारे में, कांग्रेसी और उनके विरोधी दोनों ही उन्हें शांत स्वभाव के धनी मानते हैं। उनका गरीबी में बचपन गुजरने का अनुभव उन्हें सहानुभूति और समझदार बनाता है। माँ की मौत के बाद, खड़गे ने पिता के साथ गुलबर्ग शहर की ओर कदम रखा, जहां उनके पिताजी एक मिल में काम करते थे। खड़गे की शिक्षा की शुरुआत गुलबर्ग में हुई और उसके बाद उन्होंने वहीं के सरकारी कॉलेज में आगे की पढ़ाई की।

कॉलेज की राजनीति के समय, खड़गे ने मजदूर संग ब्रभावशाली नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। 1969 में, कांग्रेस में ओवल गार्ड्स और इंदिरा गांधी के बीच संघर्ष चल रहा था, और उस समय, खड़गे ने कांग्रेस का समर्थन प्राप्त किया। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने कांग्रेस के साथ जुड़कर राजनीति में कदम रखा।

1972 में, खड़गे को कर्नाटक विधान सभा का टिकट प्राप्त हुआ और वह राज की गुरमितकल सीट से पहले बार विधायक चुने गए। इसके बाद, वह नौ बार लगातार इसी सीट से विधायक चुने गए, और 1976 में प्रात्मिक शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री बने।

उनके सतत कार्यों के बाद, 1980 में, खड़गे को कर्नाटक के मुख्यमंत्री देवराज उर्स के कैबिनेट मंत्री बनाया गया। उन्होंने भूमि सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण बिल लाकर किसानों के अधिकार को मजबूत किया।

1980 में गुंदुराव राव की सरकार के बाद, खड़गे ने बंगलौर संगीत अकादमी के प्रमुख बना, और उन्होंने 1990 में बंगलौर पुरातात्विक संस्थान के निदेशक के रूप में भी काम किया।

1992 में, विरप्पा मूली सरकार के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद, 1994 में उन्होंने कर्नाटक में मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला। उन्होंने अपने प्रशासनिक योगदान के लिए जाने जाते हैं और विभिन्न समयों में सरकारी विभागों का मुख्य संबोधक रहे हैं।

कई बार मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल होने के बावजूद, खड़गे को किसी भी भ्रष्टाचार के आरोपों से कभी सामना नहीं करना पड़ा है। उनकी सद्भावना, जनहित में कार्य, और गरीबों के प्रति समर्पण के लिए उन्हें प्रशंसा प्राप्त है।

खड़गे के विशेषज्ञता क्षेत्रों में कार्य के बाद, वे 2004 में कर्नाटक में फिर से कांग्रेस की वापसी का संकेत देने वाले हुए हैं और उन्हें कॉंग्रेस नेतृत्व में बढ़त का मौका मिला है। 2004 में, खड़गे को कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के पश्चात सीएम बनाया गया

धन्यवाद जी! आपको खड़गे के जीवन और राजनीतिक करियर के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। यदि आपके पास कोई और प्रश्न हैं या आपको किसी अन्य विषय पर जानकारी चाहिए, तो कृपया पूछें। आपकी सहायता करने में मैं यहाँ हूँ।

 

आपने एक रोचक और विविध राजनीतिक कहानी साझा की है, जिसमें खड़गे की राजनीतिक यात्रा और उनके सामर्थ्य का विवेचन किया गया है। इसका अर्थ है कि वह अपनी राजनीतिक करियर में विभिन्न मोड़ों और स्थानों से गुजरे हैं, लेकिन उनका संघर्ष और संघर्षशील दृष्टिकोण उन्हें बनाए रखने में सफल रहा है।

इस कहानी से हम देख सकते हैं कि राजनीति में सफलता प्राप्त करने के लिए एक नेता को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और उन्हें अपने मुकाबलों और दल के साथ साथीदारी की आवश्यकता होती है।

धन्यवाद, और सौरप त्रिवेदी के साथी रहने के लिए शुभकामनाएं!

जीवन परिचय
पूरा नाममपन्ना मल्लिकार्जुन खड़गे [1]
लोगों द्वारा दिया गया नामसोलिल्लादा शारदरा [2] नोट: सोलिल्लादा सारदारा का अनुवाद "बिना हार के नेता" के रूप में किया जाता है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक में 1972 से 2008 तक लगातार 9 बार विधानसभा चुनाव जीता। अभूतपूर्व जीत के बाद 2009 और 2014 के आम चुनावों में लगातार 2 जीत हासिल हुई।
व्यवसायराजनेता
राजनीति
पार्टी/दलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) Indian National Congress Flag
राजनीतिक यात्रा• वर्ष 1969 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में शामिल हुए। • वर्ष 1969 में वह गुलबर्गा शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। • वर्ष 1972 में खड़गे कर्नाटक में गुरमीतकल विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुने गए। • वर्ष 1973 में उन्हें नगर वित्त जांच समिति का अध्यक्ष चुना गया। • खड़गे 1976 से 1978 तक कर्नाटक के राज्य मंत्री, (स्वतंत्र प्रभार) प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री रहे। • वर्ष 1978 में वह गुरमीतकल विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में दोबारा से निर्वाचित हुए। • वर्ष 1979 में वह कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री रहे। • वर्ष 1980 से 1983 तक वह कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री और राजस्व मंत्री रहे। • वर्ष 1983 में खड़गे गुरमीतकल विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में दोबारा से निर्वाचित हुए। • वर्ष 1983 में उन्हें कर्नाटक विधान सभा के सचिव के रूप में नियुक्त गया। • खड़गे 1983 से 1985 तक कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया। • वह 1985 में गुरमीतकल विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में दोबारा से निर्वाचित हुए। • 1989 में वह गुरमीतकल विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में दोबारा से चुने गए। • मल्लिकार्जुन ने 1990 से 1992 तक कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री, राजस्व, ग्रामीण विकास और पंचायती राज के रूप में कार्य किया। • खड़गे ने 1992 से 1994 तक कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री, सहकारिता, बड़े और मध्यम उद्योग के मंत्री के रूप में काम किया। • 1994 में वह गुरमीतकल विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में दोबारा से निर्वाचित हुए। • खड़गे ने 1996 से 1999 और 2008 से 2009 तक कर्नाटक विधान सभा कांग्रेस विधायक दल और विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया। • 1999 में वह गुरमीतकल विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में दोबारा से निर्वाचित हुए। • मल्लिकार्जुन ने 1999 से 2004 तक कर्नाटक सरकार में गृह, बुनियादी ढांचा विकास और लघु सिंचाई मंत्री के रूप में काम किया। • 2004 में वह गुरमीतकल विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में दोबारा से चुने गए। • उन्होंने 2004 से 2006 तक कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री, जल संसाधन, लघु सिंचाई और परिवहन के रूप में काम किया। • 2005 से 2008 तक वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में काम किया। • वर्ष 2009 में वह गुलबर्गा लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित सांसद चुने गए। • 31 मई 2009 से 17 जून 2013 तक वह केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, श्रम और रोजगार मंत्री के रूप में काम किया। • 17 जून 2013 से 26 मई 2014 तक वह केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, रेल और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री के रूप में काम किया। • वर्ष 2014 में वह गुलबर्गा लोकसभा क्षेत्र से पुन: निर्वाचित सांसद चुने गए। • मई 2014 से मई 2019 तक वह लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता रहे। • सितंबर 2014 से मई 2019 तक खड़गे गृह मामलों की समिति के सदस्य रहे। • अक्टूबर 2014 से मई 2019 तक वह विरासत चरित्र के रखरखाव और संसद भवन परिसर के विकास पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य रहे। • अक्टूबर 2014 से मई 2019 तक वह संसद भवन परिसर में राष्ट्रीय नेताओं और सांसदों के चित्र/प्रतिमाओं की स्थापना संबंधी समिति के सदस्य रहे। • 20 अक्टूबर 2014 से 2019 तक उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जयंती मनाने के लिए राष्ट्रीय समिति (एनसी) के सदस्य के रूप में काम किया। • जनवरी 2015 से मई 2019 तक वह सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य रहे। • मई 2017 से अप्रैल 2019 तक लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे। • मई 2017 से अप्रैल 2019 तक उन्होंने लोकसभा के बजट संबंधी समिति के सदस्य के रूप में काम किया। • 2018 में वह AICC के महासचिव बने। • 2018 में वह सीडब्ल्यूसी के सदस्य बने। • 2019 में वह गुलबर्गा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और हार गए। • जून 2020 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया। • जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक वह वाणिज्य समिति के सदस्य रहे। • फरवरी 2021 से अप्रैल 2021 तक उन्होंने लोक लेखा समिति के सदस्य के रूप में काम किया। • फरवरी 2021 में वह कांग्रेस पार्टी, राज्यसभा के नेता बने। • 16 फरवरी 2021 को उन्हें राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त किया गया। • जुलाई 2021 में वह सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य बने। • पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष पद चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के लिए अक्टूबर 2022 में उन्होंने राज्यसभा के विपक्ष के नेता के रूप में अपना इस्तीफा दे दिया।
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग)से० मी०- 178 मी०- 1.78 फीट इन्च- 5’ 10”
आँखों का रंगकाला
बालों का रंगसफ़ेद और काला
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि21 जुलाई 1942 (मंगलवार)
आयु (2022 के अनुसार)80 वर्ष
जन्म स्थानवारवती, बीदर, हैदराबाद राज्य, ब्रिटिश भारत (अब बीदर, कर्नाटक, भारत)
राशिकर्क (Cancer)
हस्ताक्षरMallikarjun Kharge's signature
राष्ट्रीयता• ब्रिटिश भारतीय (21 जुलाई 1942-15 अगस्त 1947) • भारतीय (15 अगस्त 1947-वर्तमान)
गृहनगरगुलबर्गा (अब कलबुर्गी), कर्नाटक
स्कूल/विद्यालयनूतन विद्यालय, गुलबर्गा (10वीं कक्षा तक)
कॉलेज/विश्वविद्यालय• गवर्नमेंट आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज, गुलबर्गा • सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज, गुलबर्गा
शैक्षिक योग्यता [3]• गवर्नमेंट आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज, गुलबर्गा, कर्नाटक से बैचलर ऑफ आर्ट्स (बीए) • सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज, गुलबर्गा से बैचलर ऑफ लेजिस्लेटिव लॉ (एलएलबी)
धर्मबौद्ध नोट: मल्लिकार्जुन खड़गे डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को मानते हैं और अम्बेडकर का स्मारकीय कार्य "बुद्ध और उनका धम्म" हमें बौद्ध धर्म की बेहतर समझ प्रदान करता है। [4]
जातिदलित [5]
पता [6]• गुलबर्गा पता "लुंबिनी" ऐवान-ए-शाही क्षेत्र, गुलबर्गा, कर्नाटक-585102 • बैंगलोर पता 289, 17वां क्रॉस, सदाशिवनगर, बैंगलोर-560080
शौक/अभिरुचिकिताबें पढ़ना, तर्कसंगत सोच, अंधविश्वास और रूढ़िवादी प्रथाओं के खिलाफ लड़ाई
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां
वैवाहिक स्थितिविवाहित
विवाह तिथि13 मई 1968 (सोमवार)
परिवार
पत्नीराधाबाई खड़गे Mallikarjun Kharge with his wife
बच्चेउनके 3 बेटे और 2 बेटियां हैं। उनके बेटे प्रियांक खड़गे एक राजनेता हैं। उनके बेटे राहुल खड़गे आईटी कंपनियों के सलाहकार के रूप में काम करते हैं। उनकी एक बेटी प्रियदर्शिनी खड़गे एक डॉक्टर हैं। Priyank Kharge Mallikarjun Kharge's son Rahul Kharge visiting Sahyadri with his family
माता/पितापिता - मपन्ना खड़गे माता - साईबाव्वा खड़गे (मृतक)
भाई/बहनज्ञात नहीं
पसंदीदा चीजें
खेलकबड्डी, हॉकी और क्रिकेट
धन/संपत्ति संबंधित विवरण
धन/संपत्तिचल संपत्ति • नगद: 3,00,000 • बैंक में जमा राशि: 1,74,93,120 • बांड, डिबेंचर और शेयर: 25,37,214 • आभूषण: 39,66,000 अचल संपत्ति: • कृषि भूमि: 1,44,36,200 • गैर कृषि भूमि: 42,93,640 रुपये • व्यावसायिक इमारतें: 2,63,76,375 • आवासीय भवन: 8,79,70,348 रुपये नोट: चल और अचल संपत्ति के दिए गए अनुमान वित्तीय वर्ष 2017-2018 के अनुसार हैं। [7]
कुल संपत्ति15,46 करोड़ (2018 के अनुसार) [8]

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