प्रभुदास हरियाणी भगवान की प्रेमभावना से भरे हुए हैं। उनके पिता का नाम रभूदास हरियाणी है और मां का नाम सावित्री बेन हरियाणी है। वे वैष्णव साधु परंपरा के निम्बार्क संप्रदाय के परिवार में जन्मे थे और उनके परदादा दिशिकेश के कैलाश आश्रम के पीठाधीश्वर थे। उन्हें भागवत गीता और वेदों का अच्छा ज्ञान था और उनके दादा जी रामचरितमानस के मार्गदर्शक थे।
बचपन में, बापू ने अपने दादा जी से रामचरितमानस की पाँच चौपाईयाँ रोज़ याद करने की प्रेरणा प्राप्त की थीं, जो उनके जीवन में एक अहम मोड़ बनीं। उन्होंने अपनी शिक्षा को पूरा करने के बाद जूनागढ़ के शहपूर कॉलेज में शिक्षक बनने का संकल्प किया, लेकिन इसमें सफलता प्राप्त नहीं हुई। इसके बाद, उन्होंने अपने दादा जी के द्वारा दिये गए रामचरितमानस के ज्ञान में रमाना चुना।
1960 में, तालगाज रड़ा गाँव में मुरारी बापू ने पहली बार लोगों को रामकथा सुनाई, जब वे केवल 14 साल के थे। इसके बाद, उन्होंने विदेश में भी कथा सुनाना शुरू किया, नैरोबी में 1976 में। आज तक, उन्होंने 840 से भी ज्यादा रामकथा आयोजित की हैं, जो भारत के विभिन्न हिस्सों और दुनिया के विभिन्न देशों में सुनी गई हैं, जैसे कि न्यूयॉर्क, लंदन, दुबई, भूटान, अमेरिका, और अफ्रीका।
मुरारी बापू ने समझदारी और समर्पण के साथ विभिन्न धर्मों के संतों को एक स्थान पर लाने का कार्य किया है। 2009 में, उन्होंने महवा में एक विश्वधार्मिक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें दलाई लामा ने उद्घाटन किया। 2012 में वाल्मीकि रामायण पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें कई प्रमुख रामायण विद्वान शामिल हुए।
मुरारी बापू रामकथा के माध्यम से अद्वितीय अनुभव के धनी हैं और उनकी कथाएं लोगों को आकर्षित करती हैं, जिससे सभी धर्मों के अनुयायी उन्हें सुनने आते हैं। मुरारी बापू ने कहा है कि उन्होंने सभी के साथ समवाद की भावना रखी है और अगर किसी को उनसे कोई आपत्ति होती है, तो वह उससे माफ़ी मांगते हैं और शमा याचना करते हैं।
इस प्रकार, मुरारी बापू ने विभिन्न धर्मों को एक साथ लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है और उनकी कथाएं सभी के बीच एकता और समरसता की भावना को प्रोत्साहित करती हैं।
| जीवन परिचय | |
|---|---|
| वास्तविक नाम | मोरारीदास प्रभुदास हरियाणी |
| उपनाम | मोरारी बापू |
| व्यवसाय | रामचरितमानस के कथाकार |
| शारीरिक संरचना | |
| लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 165 मी०- 1.65 फीट इन्च- 5’ 5” |
| वजन/भार (लगभग) | 75 कि० ग्रा० |
| आँखों का रंग | काला |
| बालों का रंग | श्वेत |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | 25 सितंबर 1946 |
| आयु (वर्ष 2018 के अनुसार) | 72 वर्ष |
| जन्मस्थान | तालगरजदा, महुवा, गुजरात |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| गृहनगर | तालगरजदा, जिला भावनगर, गुजरात |
| राशि | कन्या |
| स्कूल | सरकारी हाई स्कूल, तालगरजदा, गुजरात |
| कॉलेज | शाहपुर कॉलेज जूनागढ़ |
| शैक्षणिक योग्यता | शिक्षण में एक कोर्स |
| धर्म | हिन्दू |
| पता | श्री चित्रकुटधाम ट्रस्ट, तालगरजदा, महुवा, जिला- भावनगर, गुजरात |
| शौक/अभिरुचि | |
| विवाद | • पोरबंदर के एक वकील ने जूनागढ़ के पास 'गिर अभयारण्य' के निषेध क्षेत्र में अवैध रूप से शेर का शो आयोजित करने के लिए मोरारी बापू और अन्य वन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। मोरारी बापू अवैध रूप से शेर के शो के दौरान |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारी | |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| परिवार | |
| पत्नी | नर्मदाबेन |
| बच्चे | बेटा - पृथ्वी हरियाणी बेटी - भावना, प्रसन्ना, शोभना |
| माता-पिता | पिता - प्रभुदास बापू हरियाणी माता - सावित्री बेन |
| भाई-बहन | भाई - 6 बहन - 2 |
| धन संबंधित विवरण | |
| कुल संपत्ति (लगभग) | ज्ञात नहीं |
