पीपल और हिस्ट्री के लेटेस्ट बायोग्राफी अलर्ट के लिए बेल आइकन दबाना ना भूलें! रंगबंच हो टेलीविजन या फिर सिनेमा, अपने अभिनय और आवाज़ के जादू से ओम पुरी ने सभी को दीवाना बना दिया। उनका पूरा नाम ओम राजेश पुरी था। बगवान ने मेरे सभी कुछ दिया। अगर यह खुद चाहते थे कि वो भी फिल्म उद्योग का हिस्सा बनें, तो इसमें किस्मत का बहुत अलग रुप है। यही मेरी बदकिस्मती थी। एक लंबा सफर उन्हें तय करना था और जिन्दगी यह तय कर रही थी कि यह बच्चा आगे जाकर मनोरंजन की दुनिया में अपना नाम कमाएगा। चालाकी करने की कोशिश मत करना, वरना… वरना क्या? मेरे बारे में तुम जान ही चुके हो।
जैसे आम तौर पर हर कलाकार के साथ होता है, कुछ ऐसा ओमपुरी ने भी किया। एक ऐसी ही प्रतियोगिता के दौरान पंजाब के मशहूर रंगकर्मी हरपाल तिवाना की नजर इन पर पड़ी और उनसे कहा कि क्यों नहीं तुम मेरे थिएटर ग्रुप में आ जाओ?
अच्छा, तो ओमपुरी साहब ने कहा, “देखिए, मेरी हालत ठीक नहीं है। मैं दिन में काम करता हूँ, बताओर, तंखवा मिलते हैं। यह सुनकर तिवाना साहब ने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें 300 रुपये दूँगा और तुम्हारे साथ हम सुभार्तीयाँ करेंगे। और तुम इस बरस इवनिंग कॉलेज में रहो और अगले साल मॉर्निंग कॉलेज में दाखिल हो जाओ।”
उस वक्त डिप्टी कमिशनर कपूर साहब भी इनके ग्रुप की सहायता कर रहे थे। “हाँ, आप जल्दी से तैयार होकर वहाँ पहुँच जाओ,” उन्होंने कहा। नाटक ने ओमपुरी के व्यक्तित्व को निखार दिया था।
बात दरअसल यह रही कि ओमपुरी बचपन में बहुत ही शर्मीले थे, पर बड़े होकर जब ये रंगकर्मी बने तब उनका मन हुआ कि क्यों न राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का हिस्सा बना जाए और विद्यालय द्वारा अभिनय की प्रशिक्षण प्राप्त किया जाए।
और ठीक दृष्टिकोण भी। ओमपुरी के सीनियर ने कहा, “जाओ, इससे बात करो, पूछो कि ये इतना परेशान क्यों है और जब बताया गया कि अंग्रेजी के कारण ऐसा हो रहा है, तब एब्राहम अकादमी साहब ने कहा, “देखो, मेकअप में तुम बहुत अच्छे हो, इम्प्रोविजेशन में बहुत अच्छे हो, एक्टिंग में बहुत अच्छे हो, पंजाबी और इसके बाद मुश्किल जरूर सुलझ गई। मैं उसको एक एक्स्पेरिमेंट करना चाहता हूँ।”
ओमपुरी जानते थे कि थिएटर से रोज़ी-रोटी कमाना तकरीबन नामुमकिन है और मन में कहीं न कहीं ये भी था कि अब सिनेमा की ओर रुख करना होगा।
एनिस्टी के दौरान उनके दोस्त दिन गए थे, नसीर उद्दीन शाह और तब इन दोनों ने फैसला किया कि क्यों न पूने के FTII की तरफ रुख किया जाए।
ओमपुरी के पास पैसे नहीं थे और FTII उस दौर में वजीफा नहीं दिया करता था। यह बात रही होगी कोई सन 1973-74 की तू? “यहाँ क्या कर रहा है?” मैं तो इंतजार कर रहा हूँ।
उमपुरी परेशान थे और एनएसडी के एक नाटक में काम कर रहे थे जब उनकी एक जूनियर, नीलम, एक उद्योगपति मित्र के साथ उनका नाटक देखने पहुँची। उद्योगपति ने इतना प्रभावित होकर सोचा कि वह 300 रुपये महीना उनकी मदद करेगा और उमपुरी को सलाह दी कि वह पूने चले जाएं उनके काम के लिए।
उसके बाद ओमपुरी ने एफटीआई जाने का निर्णय किया और एक महीना बीत गया, लेकिन उम्मीद किए गए पैसे नहीं पहुँचे। तब नसीर उद्दीन शाह ने कहा, “छोड़, उसका इंतज़ार मत कर। कुछ और तरीका निकालना पड़ेगा।” उस दौरान, लेखक-निर्देशक गरीश कर्नाट ने एक बच्चों की फिल्म में उन्हें रोल दिया जो उस समय बन रही थी।
उन्हें उस काम के लिए तीन हज़ार रुपये मिले और उस सहारे एक पूरा साल बिता।
शाम बेनेगल के फिल्म “भूमिका” में उन्हें एक छोटा सा रोल मिला था और उसके बाद गोविंद निहलानी की “आक्रोश” ने उन्हें इतिहास रच दिया।
हालांकि, 1976 में मराठी फिल्म “घासी राम कोटवाल” से उन्होंने अपना अभिनय करियर शुरू किया था। इस फिल्म के नाटक पर ही आधारित थी। उसे डायरेक्ट किया था के हरी हारन और मानी कोले और इसमें एफटीआई के 16 स्टूडेंट्स भी काम कर रहे थे।
शुरूवाती दौर में समझा गया कि ओमपुरी शायद सिर्फ 8 फिल्मों के लिए ही बने हैं, पर उनकी कमीटमेंट कुछ और ही बात कर रही थी।
हर चीज़ में ओमपुरी बाजी मार रहे थे, विदेशी निर्देशकों की भी नज़र उन पर पड़ी।
एक से बढ़कर एक अंग्रेजी फिल्मों में भी उन्होंने काम किया। ओमपुरी उन गिनी-चुनी अभिनेताओं में से हैं, जिन्होंने पैरालल सिनेमा के निर्देशकों ने भी खूब माना।
ओमपुरी साहब ने देशी और विदेशी फिल्मों में ही काम नहीं किया, टेलीविजन और स्टेज पर भी अपना लोहा मनवाया।
उनका एक बड़ा अजीब सपना था, एक धावा खोलना चाहते थे, जिसका नाम रखा था “डाल रोटी”।
इससे पहले ये सब मुश्किल हो पाता, ओमपुरी साहब ये दुनिया छोड़ चले, “शे”।
29 जनवरी, 2017 को, उनके दिल का दौरा पढ़ने के बाद, उनके ही घर में ओमपुरी साहब का निधन हो गया। 89वें एकेडमी अवॉर्ड्स में उन्हें याद किया गया विश्व सिनेमा में उनके अतुल्य योगदान के लिए। यकीनन, ओमपुरी साहब जैसा भीनेता ना कोई था, और ना ही भविष्य में कोई होगा। ना कोई था, और ना ही भविष्य में कोई होगा।
जीवन परिचय | |
---|---|
पूरा नाम | ओम प्रकाश पुरी |
उपनाम | फिल्मों का सिकंदर |
व्यवसाय | अभिनेता |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 170 मी०- 1.70 फीट इन्च- 5’ 7” |
वजन/भार (लगभग) | 80 कि० ग्रा० |
शारीरिक संरचना (लगभग) | -छाती: 42 इंच -कमर: 36 इंच -Biceps: 13 इंच |
आँखों का रंग | गहरा भूरा |
बालों का रंग | सफेद |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 18 अक्टूबर 1950 |
मृत्यु तिथि | 6 जनवरी 2017 (अंधेरी, मुंबई, भारत) |
मृत्यु कारण | हृदयाघात (रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु) |
आयु (मृत्यु के समय में) | 66 वर्ष |
जन्मस्थान | अंबाला, हरियाणा, भारत |
राशि | तुला |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
स्कूल/विद्यालय | सरकारी हाई स्कूल, सनौर |
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान, पुणे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, नई दिल्ली |
शैक्षिक योग्यता | स्नातक (अभिनय) |
डेब्यू | मराठी फिल्म (अभिनेता) - घेशीराम कोतवाल (1972) घेशीराम कोतवाल बॉलीवुड फिल्म (अभिनेता) - गोधूलि (1977) गोधूलि हॉलीवुड फिल्म (अभिनेता) - City of Joy (1992) City of Joy (1992 टीवी - The Jewel in the Crown (1984, English TV series) The Jewel in the Crown |
परिवार | पिता - टेक चंद पुरी (भारतीय सेना और भारतीय रेलवे में कार्य किया था) माता - तारा देवी भाई - वेद प्रकाश बहन - वेदवती |
धर्म | हिन्दू |
शौक/अभिरुचि | यात्रा करना |
विवाद | • सूत्रों के अनुसार उन्होंने अपनी पहली पत्नी सीमा पर काफी अत्याचार किए थे, लेकिन तलाक के बाद भी सीमा ने इस बात को कभी सार्वजनिक नहीं किया। • उनकी पूर्व पत्नी नंदिता ने उन पर घरेलू दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि ओम पुरी ने उन्हें एक छड़ी से मारा था। • एक बार उनकी पत्नी नंदिता ने यह दावा किया कि ओम पुरी ने 14 साल की अपनी नौकरानी शांति के साथ सेक्स किया था और उन्होंने लक्ष्मी नाम की एक महिला के साथ ओम के रिश्ते को भी उजागर किया है, जिसके साथ ओम यौन और भावनात्मक रूप से एक रिश्ते में थे। ओम अपनी पत्नी के इस बयान से परेशान हो गए और कहा कि "मेरी पत्नी को मेरे जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण और पवित्र हिस्सा ऐसे साझा नहीं करना चाहिए था मैंने अपनी पत्नी के साथ इन अंधेरे रहस्यों को साझा किया था, क्योंकि सभी पति ऐसा करते हैं। अगर उन्हें साझा करना ही था तो कम से कम उन अनुभवों के बारे में सम्मान बनाए रखना चाहिए था, जो कि मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। क्या वह भूल गई है कि मैं समाज में खड़ा हू और मैंने आज जो कुछ हासिल किया है उसे पूरा करने के लिए मैंने कड़ी मेहनत की है? • उड़ी में हुए आतंकी हमले को लेकर पूरे भारत में आक्रोश था। यह हमला सेना के कैंप में हुआ था और कई सैनिक शहीद भी हुए थे। टीवी चैनलों में इस मुद्दे को लेकर काफी बहस हुई। इसी कड़ी में ओम पुरी भी एक चैनल में इस मामले पर अपनी राय रख रहे थे। तभी उन्होंने एक ऐसा बयान दे दिया जिसकी खूब आलोचना हुई। ओम पुरी ने कहा था कि, 'किसने सैनिकों से कहा था कि, जाओ आर्मी ज्वॉइन करो।' इधर ओमपुरी का यह बयान आया, उधर सोशल मीडिया से लेकर अखबारों तक ओम पुरी के खिलाफ नारेबाजी और राजनीति शुरु हो गई। हालांकि बाद में ओम पुरी ने अपने इस बयान पर माफी मांगी और शहीद परिजनों से मिलकर उनका दुख दर्द भी बांटा। • वर्ष 2011 में, वह दिल्ली के रामलीला मैदान पर अन्ना हजारे के साथ भष्ट्राचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। वह भष्ट्राचार के खिलाफ एक भाषण दे रहे थे तभी उन्होंने नेताओं की बेइज्जती करना शुरु कर दिया। ओम पुरी ने कहा था कि, 'ये (नेता) अनपढ़ हैं, इनका क्या बैकग्राउंड है। आधे से ज्यादा सांसद गंवार हैं। हम देखते हैं टीवी पर, ये कैसे लड़ते हैं सदन में।' उनके इस बयान से राजनेताओं ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। • दादरी में एक मुसलमान के घर बीफ मिलने पर कुछ लोगों ने उसको जान से मार दिया। जिसके बाद से पूरे देश में बीफ बैन की मांग उठने लगी। तब ओम पुरी ने कहा था कि, 'जो लोग भारत में बीफ बैन की वकालत करते हैं, वो ढोंगी हैं। हम बीफ का एक्सपोर्ट करके करोड़ों कमाते हैं'। • वर्ष 2012 में, एक फिल्म 'चक्रव्यूह' की शूटिंग के दौरान ओम पुरी ने नक्सलियों को लेकर एक विवादित बयान दिया था। ओम पुरी ने कहा था कि, 'ये नक्सली आतंकी नहीं होते, ये अपने हक के लिए मजबूरन हथियार उठाते हैं। ये अपने अधिकारों के लिए लड़ते हैं। ये कभी भी आम आदमी या गरीब को नुकसान नहीं पहुंचाते।' उनका यह बयान काफी सुर्खियों में रहा था। |
पसंदीदा चीजें | |
पसंदीदा भोजन | ब्रेन करी |
पसंदीदा अभिनेता | एलेक गिनीज, अमिताभ बच्चन , नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, कमल हासन , विक्रम |
पसंदीदा अभिनेत्रियाँ | शबाना आज़मी, स्मिता पाटिल, नूतन, माधुरी दीक्षित , प्रियंका चोपड़ा , रानी मुखर्जी, काजोल |
पसंदीदा फिल्म | हॉलीवुड - Fiddler on the Roof (1971) बॉलीवुड - नायगन(1987), पुष्पक (1987), देव (2004) |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य | |
वैवाहिक स्थिति | परित्यक्य |
गर्लफ्रेंड व अन्य मामले | सीमा कपूर नंदिता पुरी (पत्रकार) |
पत्नी | सीमा कपूर ( 1991 में तलाक) ओम पुरी की पहली पत्नी सीमा कपूर नंदिता पुरी (पत्रकार, 2013 में अलग रहने लगई थीं) ओम पुरी अपनी पत्नी और बेटे के साथ |
बच्चे | बेटा - ईशान ओम पुरी अपने बेटे के साथ बेटी - कोई नहीं |
धन/संपत्ति संबंधित विवरण | |
वेतन | ₹15-25 लाख/फ़िल्म |
संपत्ति (लगभग) | ₹60 करोड़ |