हम सभी को यह तस्वीर याद है जब मनोहर पर्रिकर के नेत्रों में मेडिकल पाइप लगी हुई थी, और वह इसी हालात में गोवा विधानसभा में राज्य का बजट पढ़ रहे थे। बड़े होकर आयुर्वेदिक डॉक्टर बन गए, मनोहर पर्रिकर से राजनीतिक सीख प्राप्त की और अब ये नेता गोवा के मुख्यमंत्री बन चुके हैं।
वैसे तो प्रमोद सावंत का करियर भी विजेपी के कई अन्य नेताओं की तरह छात्र राजनीति से शुरु हुआ था। धीरे-धीरे उन्होंने विजेपी के यूथ मैनिंग कमेटी के अध्यक्ष बनकर उच्च स्थान प्राप्त किया और 2011 में विजेपी सरकार के खिलाफ विरोध चलाया, जिससे उन्हें खनन क्षेत्र में कथित अनियमितताओं के लिए माना जाता है।
पर्रिकर की कैंसर के कारण, जब तबियत बिगड़ी, तो प्रमोद सावंत ने राज्य में अपने सभी कर्तव्यों का पालन किया। साल 2017 में गोवा विधानसभा के अध्यक्ष चुने जाने के बाद, उन्होंने गोवा में अपने पॉलिटिकल करियर को और बढ़ाया।
19 मार्च 2019 को पर्रिकर की कैंसल से मौत होने के बाद, प्रमोद ने अपने पॉलिटिकल अरेंजमेंट्स के लिए काफी जना जाते हैं, और कुछ घंटे के बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया।
अनेक विवादों के बावजूद, जैसे कि पार्टी के आंतरिक असंतोष, कोरोना के प्रबंधन पर उत्तरदाताओं के खिलाफ आरोप, अर्थव्यवस्था में गिरावट और महंगाई, प्रमोद की नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने फिर से गोवा में सबसे बड़ी पार्टी की स्थापना की है।
इसके बावजूद, 2021 में प्रमोद सावंत ने गोवा विधानसभा में अपने एक वक्तव्य के लिए चर्चा में बना रहा। उन्होंने एक घटना पर अपनी भावनाएँ व्यक्त की जिसमें गोवा के बैनौलिम क्षेत्र में एक 14 साल के बच्चे के साथ गैंग रेप की घटना घटी थी।
विपक्ष के खिलाफ तीव्र प्रतिरोध के बाद, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने गोवा विधानसभा में कहा कि जब 14 साल के बच्चे समुद्र के किनारे रहते हैं, तो माता-पिता को इसकी जाँच करने की आवश्यकता होती है।