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Pravin Togadia

जिनको हमने हिन्दू धर्म कहा वह हिन्दू धर्म सुष्टि निर्मार का सायंस है। हिन्दू धर्म एक ज़िनियावाद का सायंस है जो समृद्धि को बढ़ावा देता है। प्रवीण तुगडिया का राजनीतिक तबदला, सत्ता और अपने घर की स्यासत से तक्रार करते हुए, वी अच्छूबी के अध्यक्ष पद से नीचे आ गया है। प्रवीण तुगडिया का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य आज एक नए मोड़ पर है, जहाँ तुगडिया अकेले खड़े हैं और वी अच्छूबी, बीजेपी, और आरेसेस के भीतर की राजनीति एक नई दिशा में बदल गई है।

कहते हैं कि इतिहास जब बदलता है, तो भूगोल को भी अपने आप को बदलना पड़ता है। साल 2014 के बाद, तुगडिया ने दो बार ही चर्चाओं में रहा है, एक बार कैमरे के सामने आँसू बहाए जब उन्हें चर्चा हुई, और फिर 2018 के चौथे महीने में इतिहास ने अपना मोड़ लिया। 52 साल बाद वी अच्छूबी में चुनाव होते ही, तुगडिया की सियासती ज़मीन खिसगई।

सोलह की उम्र में संग में सुम्शेवक बनाए गए तुगडिया के लिए, वी अच्छूबी के दरवाजे खुले होने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। राम मंदिर के अंधोलन के समय देश में तेजी से बढ़ते गए और दूसरी ओर, तुगडिया का कद भी वी अच्छूबी में तेजी से बढ़ रहा था। पागला ने तुगडिया को जेल में भेज दिया, लेकिन उनकी सांगठन क्षमता को नजरअंदाज करना मुश्किल था।

2002 के गुजरात दंगे के दौरान, तुगडिया हिंदूत्व की राजनीति करने वालों में सबसे ऊपर आए और गुजरात विधानसभा चुनावों में उन्होंने बीजेपी के लिए जन जीती। लेकिन जीत के बाद, उनकी पहुँच बीजेपी सरकार में धीरे-धीरे कम होती गई। सन् 2003 में, तुगडिया को अजमेर में त्रिशूल बांटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया, लेकिन इसके बाद भी उनका संघर्ष जारी रहा।

साल 2011 में तुगडिया वी अच्छूबी के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने, लेकिन 2013 में उनपर 19 क्राइमिनल केस दर्ज हुए। इस दौरान, आयोध्या में दूसरे वी अच्छूबी नेताओं के साथ गिरफ्तार किया गया था।

2014 में, जब मोदी प्रधानमंत्री बने, तो तुगडिया की शिकायतें बढ़ीं और उनकी मुलाकातें मोदी से नहीं हुईं। 2018 में, एक दिन तुगडिया के गायब होने की खबर आई, लेकिन जब वह आए, तो वह कैमरे के सामने ही रोने लगे।

बीजेपी में अपने पद पर होने के बावजूद, संग और बीजेपी से उनकी दूरी बढ़ी, और दू दुनिया की दूरी के साथ, गड़्या के सामने संकटों का सामना करना पड़ा। उन्हें कुर्सी छोड़ना पड़ा और हिंदूत्व के लिए हुंकार भरने वाले एक हिंदू नेता की राजनीतिक कहानी यहीं समाप्त हुई, लेकिन उनकी क्षमता का सामर्थ्य यही फूलता रहा। डॉक्टर से हिंदूओं के नेता बनने का यह उनका विशेषग्रह है, जिसके बाद वे पुनः डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा में लग गए।

 

जीवन परिचय
व्यवसायडॉक्टर, विश्व हिंदू परिषद के नेता और हिंदू राष्ट्रवाद के वकील
शारीरिक संरचना
लम्बाई (लगभग)से० मी०- 170 मी०- 1.70 फीट इन्च- 5’ 7”
वजन/भार (लगभग)70 कि० ग्रा०
आँखों का रंगकाला
बालों का रंगग्रे
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि12 दिसंबर 1956
आयु (वर्ष 2017 के अनुसार)61 वर्ष
जन्मस्थानसाजन टिम्बा गांव, अमरेली, गुजरात, भारत
राष्ट्रीयताभारतीय
गृहनगरअमरेली, गुजरात, भारत
राशिधनु
स्कूलज्ञात नहीं
कॉलेजज्ञात नहीं
धर्महिन्दू
विवाद• गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला (1996-1997) ने बीजेपी के राजनेताओं पर कथित रूप से हमला करने के लिए तोगड़िया को गिरफ़्तार करवाया था। • वर्ष 2002 गुजरात दंगों के दौरान, मुस्लिम चरमपंथी समूहों के खिलाफ विद्रोह करते हुए, उन्होंने कहा कि सभी हिंदुत्व विरोधियों को मौत की सजा मिलेगी। जिसने राष्ट्रव्यापी हिंदू-मुस्लिम दंगों को बढ़ावा दिया था। • वर्ष 2002 के गुजरात दंगा पीड़ितों के इलाज के दौरान तोगड़िया ने अन्य वीएचपी/बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ हस्तक्षेप किया और डॉक्टरों को अस्पताल में कहा कि किसका इलाज करना और किस का नहीं। • अप्रैल 2003 में, अजमेर में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को हथियार देने के लिए उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। • अगस्त 2013 को, अयोध्या में उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा चौरासी कोसी परिक्रमा यात्रा की योजना बनाने के लिए अन्य वीएचपी कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार किया गया था, जिसे सांप्रदायिक हिंसा के डर के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था। • अप्रैल 2014 में, भावनगर में एक विवादास्पद भाषण देने के लिए उनके खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज की गई, जिसमें उन्होंने हिन्दुओं को निर्देश दिए कि वह मुसलमानों को अपने पड़ोस से बाहर निकाले।
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारी
वैवाहिक स्थितिविवाहित
गर्लफ्रेंडज्ञात नहीं
परिवार
पत्नीरश्मि तोगड़िया
बच्चेबेटा - 1 बेटी - ज्ञात नहीं
माता-पितापिता - नाम ज्ञात नहीं माता - नाम ज्ञात नहीं
धन संबंधित विवरण
कुल संपत्तिज्ञात नहीं

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