पृत्वीराज चोहान, एक ऐसे शूरवीर योद्धा थे, जिनके साहस और पराक्रम के किस्से भारतीय इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में लिखे गए हैं। वे एक आकर्षक कदकाठी योद्धा थे, जो सभी साहस और विद्याओं में निपुण थे। उन्होंने महमद गोरी के दरबार में उसे मार गिराया था। पृत्विराज चोहान घोड़वे हाथियों को नियंत्रित करने की कला में भी निपुण थे।
आइए जानते हैं इस महान योद्धा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें। भारतीय इतिहास के सबसे महान और साहसी योद्धा पृत्विराज चोहान, चोहान वंश के ख्षत्रिय शासक सोमेशवर और करपूरा देवी के घर साल 1149 में जन्मे थे। उनके जीवन की शुरुआत से ही उनके पिता के मृत्यु के बाद राजमहल में शासन के लिए संघर्ष था, लेकिन उन्होंने अपने दुश्मनों की साजिशों को नाकाम कर दिया और अपने कर्तव्य पर ठाने बजाये।
पृत्विराज चोहान ने सरस्वती कंठा भरन विद्यापीठ से शिक्षा प्राप्त की और युद्ध और शस्त्र विद्या की शिक्षा उन्होंने अपने गुरु श्रीराम जी से प्राप्त की। उन्होंने शब्द भेदी बाण चलाने की अद्वितीय कला सीखी, जिसमें वे बिना देखे आवाज के आधार पर बाण चला सकते थे और सटीक निशाना लगा सकते थे।
पृत्विराज चोहान के बचपन के मित्र चंदवरदाई उनके सबसे अच्छे मित्र थे, जो उनके एक भाई की तरह उनका ख्याल रखते थे। चंदवरदाई ने तोमर वंश के शासक अनंगड का निर्माण किया था।
पृत्विराज चोहान का योद्धा जीवन और उनकी वीरता की कहानी आज भी हमें प्रेरित करती है। उनका प्रेम कहानी महम्मद गौरी के साथ और राणी संयोगिता के साथ हर दिल को छू जाती है।
युद्धों में अपनी शक्तिशाली सेना के साथ पृत्विराज ने अपने राज्य का विस्तार किया और अपनी नियमन्त्रण में शक्तिशाली बने। हालांकि, उनके बीच महम्मद गौरी के साथ हुए युद्धों में उन्हें कई बार पराजित होना पड़ा, लेकिन उनका सैन्य महत्वपूर्ण युद्धों में स्थिर रहा और उन्होंने हमेशा योद्धा भावना बनाए रखी।
उनका अंत महम्मद गौरी के हमले में हुआ, जिसमें उन्होंने वीरगति को प्राप्त किया। इसके बाद उनके राज्य में विभाजन हुआ और वह दिल्ली सुलतानत की स्थापना हुई।
पृत्विराज चोहान के योद्धा और साहसी जीवन की कहानी हमें यह सिखाती है कि सही मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति हमेशा सफल होता है और धर्म, साहस, और सत्य के प्रति अपने प्रतिबद्ध रहने से कोई भी समस्या अवसाद नहीं कर सकती।
जीवन परिचय | |
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वास्तविक नाम | पृथ्वीराज चौहान |
उपनाम | भारतेश्वर, पृथ्वीराजतृतीय, हिन्दूसम्राट्, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा |
व्यवसाय | क्षत्रिय |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 1 जून 1163 (आंग्ल पंचांग के अनुसार) |
जन्मस्थान | पाटण, गुजरात, भारत |
मृत्यु तिथि | 11 मार्च 1192 (आंग्ल पंचांग के अनुसार) |
मृत्यु स्थल | अजयमेरु (अजमेर), राजस्थान |
आयु (मृत्यु के समय) | 28 वर्ष |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | सोरों शूकरक्षेत्र, उत्तर प्रदेश (वर्तमान में कासगंज, एटा) कुछ विद्वानों के अनुसार जिला राजापुर, बाँदा (वर्तमान में चित्रकूट) |
धर्म | हिन्दू |
वंश | चौहानवंश |
परिवार | पिता - सोमेश्वर माता - कर्पूरदेवी भाई - हरिराज (छोटा) बहन - पृथा (छोटी) |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी | • जम्भावती पडिहारी • पंवारी इच्छनी • दाहिया • जालन्धरी • गूजरी • बडगूजरी • यादवी पद्मावती • यादवी शशिव्रता • कछवाही • पुडीरनी • शशिव्रता • इन्द्रावती • संयोगिता गाहडवाल पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता |
बच्चे | बेटा - गोविन्द चौहान बेटी - कोई नहीं |