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R. D. Burman

यह दासता है उस कलाकार की जिसने अपनी कला से लोगों के दिलों पर राज किया और पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। अगर किसी बच्चे का वच्चपन में रोना ही उसके सुर की पहचान बन जाये तो यह बहुती अश्चरिकी बात है, ऐसा ही कुछ इस कलाकार के साथ हुआ जिसके जीवन के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिसने अपने संगीत से भारती ये बॉलिवूड जगत को इंटरनेशनल लेवल पर एक पहचान दी। हम बात करने जा रहे हैं पंचमदा के बारे में।

जी हां, पंचमदा, दरसाल उन्हें इसी नाम से ही जाना जाता है। वैसे उनका असली नाम है राहूल देव बर्मन और्थ आर्डी बर्मन। आर्डी बर्मन का जन्न 27 जुन 1949 को कोलकाता भारत में हुआ। इनके पिता का नाम सचिन देव बर्मन और माता का नाम मीरा देव बर्मन था। सचिन देव बर्मन जो की इंडियन बॉल्लेवोड के एक जाने माने संगीत कार थे और माता मीरा देव बर्मन भी एक सुरीली गाईका थीं।

राहूल को संगीत तो विरासत में ही मिला था लेकिन इन्होंने संगीत की इस कला को और भी गहरे तल से अध्यान किया और ऐसे संगीत की रच्चना की जो उस समय में किसी ने सोचा भी न था। कहते हैं कि जब बच्चमन में राहूल रोते थे तो उसमें पाँच शब्द की धुनी बहुत तीखे सुर में सुना ही परती थी। इसलिए इन्हें घर से ही पंचम कहे कर पुकारा जाने लगा।

बच्चमन में दादा मुनी अशोक कुमार जी ने भी जब राहूल को रोते हुए सुना, तो उसमें सा लग रहा है। तब से राहूल ने अपनी इस आदत को अपनी कला का रूप दे दिया और कड़ी मेहनत करके संगीत की शिक्षा आरम्भ की। पंचमदा ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई गौरमेंट हाई स्कूल बाली गंज कोलकाता से की। उन्होंने सरोधवादन की शिक्षा उस्ताद अकबर अली खान जी से और तबला की शिक्षा समता प्रसाध जी से ली।

संगीतकार सलेज़ साइकल चलाने का भी बहुत शौक था। राहूल मौथ आउर्गन हार्मोनी का साज भी बहुत अच्छा बजाते थे। उनके मौथ आउर्गन को फिल्म सोलमा साल के गीत “अपना दिल तो आवारा” में सुना जा सकता है। बचपन से ही संगीत में गहरी रुच्ची होने के कारण, मैं तरह तरह का संगीत, रेडियो और रिकॉर्ड पेर पर सुना करते थे। उसके बाद नया संगीत बनाने में लगे रहते थे। यहां तक कि उन्हें जहां से भी कोई नई प्रकार की धुनी सुनी जा रही थी, तो उसे भी संगीत बनाने में प्रयोग करते थे। चाहे वो पीतल या स्टील के बरतन हों, बाल बनाने वाला कंगा हो, लकड़ी जी कोई स्टिक या प्लास्टिक का कोई बॉक्स हो, वहाँ से भी म्यूजिक को पकड़ लेते थे।

राहूल ने केवल नौ साल की उम्र में अपना पहला संगीत फिल्म “फॉन्टूष” में दिया। इस फिल्म का एक गीत “अमेरी टोपी पलट” के आ जो की उस समय काफी पॉप्पुलर रहा था। “अमेरी टोपी पलट” ने अपने फॉन्टूष को सताया। इस गीत को उनके पिता स्टी बर्मन ने इस फिल्म में शामिल किया। आईए अब बात करते हैं राहूल की पारिवारिक जंदगी की।

कहते हैं कि जब कोई सितारा सफलता की सीड़ियां चढ़ता है, तो उसके निज़ी जीवन में कई उतार चढ़ाव भी आते हैं। ऐसा ही कुछ राहूल दा के साथ भी हुआ। उन्होंने अपने जीवन में दो विवाह किए। उनका पहला विवाह रीता पटेल से वर्ष 1966 में हुआ, लेकिन कुछ कारणों से या रिश्था लंबे समय तक नहीं चल सका और वर्ष 1971 में तलाक हो गया। उसके बाद साम 1980 में उनका विवाह आशा भोंसले के साथ हुआ जो कि उनके जीवन के अंत तक चला।

संगीतकार के रूप में आडी बर्मन की पहली फिल्म “छोटे नवाप” थी। इसके बाद उनने बॉलिवुड में काम मिलने लगा। क्योंकि वे लीक से हट कर संगीत दिया। इस गीत के बोल थे “सर जो तेरा चक्राए”। “सर जो तेरा चक्राए” या “दिल डूबा जाए” इस गीत को मशहूर हास्यकलाकार जॉनी वाकर पर फिल्माया गया था। यह गीत भी सुपरहिट साबित हुआ और उसके बाद तो राहूल के संगीत की धुनों पर लोग जूम कर लगे।

उन्होंने भारतीय बॉलिवुट संगीत, जो कि 1950-60 के दशक में केवल शास्त्रीय एवं पारम्परिक संगीत के परंपरा को नहीं तोड़ते हुए भी उस संगीत में एसी जान फूंक दी कि लोग इन धुनों को सुनकर खुशी और आनंद में जूमने लगते थे। हर आयुबर के लोगों ने राहूल दा के संगीत को बहुत ज्यादा पसंद किया। उन्हें वर्ष 1956 से लेकर 1994 तक लगभग 330 फिल्मों में संगीत दिया। अपने इस कारियकाल में उन्होंने कई ऐसे गीत रचे जो आज भी पसंद किए जाते हैं। उन्हें बॉलिवुड में काम करते हुए कई एवार्ड से भी सम्मानित किया गया। वर्ष 1995 में उन्हें फिल्म “1942 अलवा स्टोरी” के लिए भी बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का एवार्ड दिया गया। लेकिन इस एवार्ड को लेने से पहले ही राहूलदा ने हम सब को अलविदा कह दिया। चार जनवरी 1994 को संगीत का जहाँ अनमोल सितारा हम सब को अलविदा कह दिया। दुनिया में ऐसे ही कुछ नाम होते हैं जिनकी आत्मा तो बस हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी कला हमें सदैव मोहित करती रहेगी। राहूल देव बर्मन का नाम एक ऐसा नाम है जिसे सुनकर संगीत जगत में आदर्श माना जाता है। उनकी धुनों ने सदियों तक लोगों को रूबरू किया है और उन्हें याद करने का एक अद्वितीय स्थान दिलाया है।

 

 

वास्तविक नामराहुल देव बर्मन
उपनामटुब्लू, पंचम
व्यवसायसंगीत निर्देशक, गायक, संगीतकार
शारीरिक संरचना
आँखों का रंगभूरा
बालों का रंगकाला
करियर
डेब्यूफिल्म (एक संगीतकार के रूप में) : फंटूश (1956) (गीत - ए मेरी टोपी पलट के आ) फिल्म (एक संगीत निर्देशक के रूप में) : राज़ (1959)
पुरस्कार एवं सम्मान• उन्हें फिल्म "1942 : ए लव स्टोरी" (1955) के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। • उन्हें फिल्म 'सनम तेरी कसम' (1983) के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। • उन्हें फिल्म मासूम (1984) के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के रूप में फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
उनके नाम पर पुरस्कार और स्थल• नई संगीत प्रतिभा के लिए फिल्मफेयर आर. डी. बर्मन अवॉर्ड • वर्ष 2009 में, बृहन्मुंबई नगर निगम ने सांताक्रूज में एक चौक का नाम "आर. डी. बर्मन" रखा। • 3 मई 2013 को, भारतीय डाक ने एक विशेष स्मारक 'पोस्टेज स्टाम्प' लॉन्च की, जिसमें आर. डी. बर्मन की तस्वीर चित्रित है। पोस्टेज स्टाम्प आर. डी. बर्मन की • वर्ष 2016 में, गूगल ने आर. डी. बर्मन की 77 वीं जयंती की सालगिरह पर एक "गूगल डूडल" बनाया था। आर. डी. बर्मन गूगल डूडल
व्यक्तिगत जीवन
जन्म तिथि27 जून 1939
जन्मस्थानकलकत्ता, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत
मृत्यु तिथि4 जनवरी 1994
आयु (मृत्यु के समय)54 वर्ष
मृत्यु कारणहृदयघात (दिल का दौरा पड़ने से)
राष्ट्रीयताभारतीय
हस्ताक्षरआर. डी. बर्मन हस्ताक्षर
गृहनगरकलकत्ता (अब, कोलकाता), भारत
राशिकर्क
स्कूलपश्चिम बंगाल में एक स्कूल
शैक्षणिक योग्यताज्ञात नहीं
धर्महिन्दू
खाद्य आदतमांसाहारी
शौक अभिरुचिखाना बनाना और खेल देखना
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारी
वैवाहिक स्थितिविवाहित
परिवार
पत्नी• रीटा पटेल (विवाह 1966 और तलाक 1971) आर. डी. बर्मन अपनी पहली पत्नी रीटा के साथ • आशा भोसले (विवाह 1979) आर. डी. बर्मन अपनी दूसरी पत्नी आशा भोसले के साथ
बच्चेबेटा - • हेमंत भोसले (सौतेला बेटा) आर. डी. बर्मन का सौतेला बेटा हेमंत • आनंद भोसले (सौतेला बेटा) आर. डी. बर्मन का सौतेला बेटा आनंद बेटी - वर्षा भोसले (सौतेली बेटी) आर. डी. बर्मन की सौतेली बेटी वर्षा
माता-पितापिता - सचिन देव बर्मन (संगीत निर्देशक) माता - मीरा देव बर्मन (गीतकार) आर. डी. बर्मन के माता पिता
पसंदीदा चीजें
पसंदीदा भोजनबिरयानी, मछली कालिया, मटन व्यंजन, क्रेब्स और झींगा, गोयन स्टूज, सरपटेल
पसंदीदा गायककिशोर कुमार , मोहम्मद रफी
पसंदीदा रंगलाल

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