सरफरोशी की तमन्ना हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुय कातिल में है। वक्त आने दे, बता देंगे तुझे आयासमा। हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है।
दोस्तों, हिंदी दर्पण में आज हम बात करने जा रहे हैं महान क्रांतिकारी और हिंदी-उर्दू के मशहूर कवि शी रामप्रसाद बिस्मिल जी के बारे में। वे खासकर देशभक्ति की कविताएं लिखते थे और अचारे यानी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापकों में से एक थे।
बिस्मिल ने भारत की आजादी को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था। उन्होंने काकोरी कांड का प्लान बनाया और इसके बाद गोरखपुर जेल में फांसी दी गई। इनके जीवन के बारे में और भी जानकारी प्राप्त करने के लिए वीडियो देखें।
श्रीराम प्रसाद बिस्मिल जी का जन्म उत्तर प्रदेश के शाजहापुर में 11 जून 1897 को हुआ था। उनके पिता से ही देशभक्ति की कविताएं लिखते थे और वे समाज के उत्थान के लिए संघर्ष कर रहे थे। बिस्मिल ने एक पैम्फलेट बना कर देशवासीयों के नाम संदेश संगठन के लिए फंड इकठा करने के लिए 1918 में काम किया।
उन्होंने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से जनता को जागरूक किया और देशभक्ति की कविताएं लिखीं। उनकी शौर्यगाथाएं लोगों में राष्ट्रभक्ति की भावना उत्तेजित करती थीं। चौरी-चोरा कांड के बाद उनके विचारों ने गांधी जी के असर में लोगों को सहमत कर दिया कि यहिंसा से आजादी मिल सकती है।
बिस्मिल की शौर्यगाथा और उनकी देशभक्ति की भावना ने भारतीयों को उत्तेजित किया और उनका योगदान आज भी हमें गर्वित करता है। इनकी श्रद्धांजलि के साथ, हम आपसे निवेदन करते हैं कि इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि लोग इन महान वीर क्रांतिकारियों के जीवन के बारे में जान सकें। धन्यवाद।
| जीवन परिचय | |
|---|---|
| वास्तविक नाम | राम प्रसाद 'बिस्मिल' |
| उपनाम | बिस्मिल, राम, अज्ञात |
| व्यवसाय | स्वतंत्रता सेनानी, कवि, शायर, अनुवादक, इतिहासकार व साहित्यकार |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | 11 जून 1897 |
| आयु (मृत्यु के समय) | 30 वर्ष |
| जन्मस्थान | शाहजहाँपुर, ब्रिटिश भारत |
| मृत्यु तिथि | 19 दिसंबर 1927 |
| मृत्यु स्थल | गोरखपुर जेल, ब्रिटिश भारत |
| मृत्यु का कारण | फांसी (सजा-ए-मौत) |
| समाधि स्थल | जिला देवरिया, बरहज, उत्तर प्रदेश, भारत |
| राशि | मिथुन |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| गृहनगर | गांव खिरनीबाग मोहल्ला, शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश |
| स्कूल/विद्यालय | राजकीय विद्यालय, शाहजहाँपुर |
| महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | ज्ञात नहीं |
| शैक्षिक योग्यता | आठवीं पास |
| परिवार | पिता - मुरलीधर राम प्रसाद बिस्मिल के पिता मुरलीधर माता - मूलमती राम प्रसाद बिस्मिल की माँ भाई - रमेश सिंह बहन - शास्त्री देवी, ब्रह्मादेवी, भगवती देवी राम प्रसाद बिस्मिल की बहन शास्त्री देवी दादा - नारायण लाल दादी - विचित्रा देवी चाचा - कल्याणमल |
| धर्म | हिन्दू |
| जाति | ब्राह्मण |
| शौक/अभिरुचि | पुस्तकें पढ़ना, लिखना |
| विवाद | • वर्ष 1915 में, जब उन्हें आर्य समाज के संस्थापक भाई परमानन्द की फाँसी का समाचार मिला तो उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य को नष्ट करने की प्रतिज्ञा ली। रामप्रसाद ने पं॰ गेंदालाल दीक्षित के मार्गदर्शन में मातृवेदी नामक एक संगठन का गठन किया। इस संगठन की ओर से एक इश्तिहार और एक प्रतिज्ञा भी प्रकाशित की गई। संगठन के लिए धन एकत्र करने के उद्देश्य से रामप्रसाद ने जून 1918 में दो तथा सितम्बर 1918 में एक; कुल मिलाकर तीन डकैतियां डालीं। मैनपुरी डकैती में शाहजहाँपुर के तीन युवक शामिल थे, जिनके सरदार रामप्रसाद बिस्मिल थे, किन्तु वे पुलिस के हाथ नहीं आए, वह तत्काल फरार हो गए। जिसके चलते स्थानीय पुलिस द्वारा उनके खिलाफ गिरफ्तारी का नोटिस जारी किया गया। पं॰ गेंदालाल दीक्षित : मैनपुरी षडयन्त्र में बिस्मिल के मार्गदर्शक • 7 मार्च 1925 को बिचपुरी और 24 मई 1925 को द्वारकापुर में दो राजनीतिक डकैतियां डालीं। परन्तु उन्हें कुछ विशेष धन प्राप्त नहीं हो सका। इन दोनों डकैतियों में एक-एक व्यक्ति की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी। अन्ततः उन्होंने यह निश्चय किया कि वे अब केवल सरकारी खजाना ही लूटेंगे, किसी भी रईस के घर डकैती बिल्कुल न डालेंगे। 9 अगस्त 1925 को बिस्मिल के नेतृत्व में कुल 10 लोगों ने काकोरी रेलवे स्टेशन से सरकारी खजाने की लूट की। ब्रिटिश सरकार ने इस ट्रेन डकैती को गम्भीरता से लेते हुए, इसकी जाँच डी॰ आई॰ जी॰ के सहायक (सी॰ आई॰ डी॰ इंस्पेक्टर) मिस्टर आर॰ ए॰ हार्टन को सौंप दी। काकोरी कांड |
| पसंदीदा चीजें | |
| पसंदीदा व्यक्ति | महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
| वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
| पत्नी | कोई नहीं |
