जादूगर, तेरे नैना दिल जाएगा। बच्चे के कहाँ, यूं तो माबाप ने नाम रखा था इनका हरी भाई जरी वाला, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री ने बना देल जाएगा। बच्चेंगे कहाँ, संजीव कुमार सहाब का जन्म नौ जुलाई सन उन्नेसो आर्टिस्ट में हुआ और उन्नेसो साथ में ये पहली बार सिल्वर स्ट्रीन पर शमके थे फिल्म थी ‘हम हिंदुस्तानी’। संजीव कुमार सहाब ने बहुती बच्चेंग में ठान लिया। नाटक ये करते रहे और फिर एक दिन पहुंच गए उस जमाने के मशहूर एक्टिंग स्कूल, फिल्माले। फिल्माले एक्टिंग स्कूल के बाद इन्होंने सीधा फिल्मों की तरफ मोड़ लिया।
1965 में इन्होंने बन गए हीरो फिल्म ‘निशान’ में। हालांकि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर उत्कृष्ट कमाई नहीं की थी, लेकिन यह हमारी गलती थी जो हमारे सामने आ गए। लक्ष्यी तो गंगा की लहर थी, वह गंदे नाले में कैसे बह गई?
लेकिन, 1968 में एक ऐसी फिल्म आई, जिसमें संजीव कुमार ने जबर्दस्त अभिनय किया और दिलीप कुमार तक को हिला के रख दिया। इस मल्टी-स्टारर में संजीव कुमार का हुनर चमक गया। 1970 में एक और फिल्म आई, जिसने संजीव कुमार को स्टार बना दिया – ‘खिलाड़ी’। संजीव कुमार उस दौर में एकमात्र ऐसे अभिनेता थे जो हीरो बन रहे थे, विलेन भी बन रहे थे और कैरेक्टर रोल्स भी प्ले कर रहे थे। ‘खुदकर्ज’ और ‘लाइची किरण’ इसके सर पर ताकत और हुकुमत का नशा जवार्द और वही ताकत और हुकुमत का नशा आज भी है। नहीं बादल नहीं, मुझे वह ताज और तख्त नहीं चाहिए जिसे पाकर मेरा देवता समान भाई राक्षस बन गया है। अगर तुम्हें सिंघासन चाहिए तो ले लो, लेकिन भगवान के लिए फिर वही बादल बन जाओ। इस जमाने में ये भी मशहूर है कि जब इन्होंने रंगमंच पर कदम रखा, तो उनके डायरेक्टर थे एकेहंगल। संजीव कुमार ने बड़ी गुस्ताखी की और कहा कि मुझे हीरो बनाए नाटक का, लेकिन एकेहंगल ने इन्हें बुढ़े आदमी का किरदार दिया और कहा कि हीरो तो तुम दिखते हो, वो रोल तुम एक्टर हो। वही सीख संजीव कुमार के साथ जिंदगी भर चली। इस जमाने में ये बात भी बड़ी मशहूर रही कि संजीव कुमार सहाब दरअसल ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी से शादी करना चाहते थे।
लेकिन हिमाजी ने अपना दिल उस जमाने के मशहूर एक्टर धर्मेंद्र को दे चुकी थी। तो कैसे वह संजीव कुमार का रिश्ता कभी नहीं भूल सकती थी? इस बात ने संजीव कुमार का दिल तोड़ दिया। यह भी कहा गया कि इसी कारण उन्होंने आगे बढ़कर शादी नहीं की। आप इंसान नहीं, परिस्थिति हैं। शुक्रिया, मैं अपनी तारीफें सुनने के लिए कभी नहीं, खासकर औरतों की जबान से। क्यों? औरतों में क्या बुराई है? औरत की दगाबरजी और मकारी से बचाएं। मुझे दुनिया की किसी भी हसीन औरत पर भरोसा नहीं है।
हालांकि उनकी रोमांस की खबरें उस समय की मशहूर अभिनेत्री और गायिका सुलक्षणा पंडित के साथ भी सामने आईं, शादी नहीं करने की असली वजह उन्होंने अपने दोस्त गुलजार से एक बार साझा की थी। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में कोई भी पुरुष 50 साल से ज्यादा जीता नहीं था, इसलिए वह किसी से शादी नहीं करना चाहते थे और किसी अन्य की जिन्दगी को अस्त-व्यस्त नहीं करना चाहते थे।
इस बात में सच्चाई थी, क्योंकि उनके पिताजी 50 वर्ष की आयु में चले गए थे, उनके छोटे भाई ने अड़तालिस वर्ष की आयु में और संजीव कुमार ने सेंतालिस वर्ष की आयु में इस संसार को अलविदा कह दिया। संजीव कुमार ने जो भी किरदार निभाए, वे अमर हो गए, चाहे वह अंगूर का अशोक रहा हो या फिर शोले का ठाकोर बलदेव सिंह, जया भाधूरी के साथ उन्हें बहुत सी फिल्मों में देखा गया।
उन्होंने एक से बढ़कर एक किरदार जया जी के साथ निभाए, और अक्सर यह कहा कि परिचय में ये मेरी बेटी वनी थी और मैं इसका बाप। फिर नौकर में हमने रोमांस किया, कोशिश में हम मियां बीबी बनकर नजर आए, और शोले में ससुर और ये मेरी माँ बनी हैं। आँ?
संजीव कुमार ने इस रूप में हर एक हस्तक्षेप पर लोगों को दी तालियां बजाईं। फिल्म ‘दस्तक’ के लिए उन्हें नाशनल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। उनके डायलॉग डिलीवरी, संजीदा पन और कॉमिक टाइमिंग ने उन्हें एक अद्वितीय अभिनेता बना दिया। क्या बात है? हाँ, मैं हूँ, आ गया। धीरे-धीरे संजीव कुमार का वजन बढ़ने लगा, वह भोजन और पीने में बहुत शौकीन थे, उनका इलाज हुआ और ऑपरेशन भी हुआ। उन्होंने खानपीन पर नियंत्रण बनाए रखा, लेकिन धीरे-धीरे उनकी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ गईं और 1985 में उनका अंत हो गया। बेशक, भारतीय सिनेमा के इतिहास में संजीव कुमार के समान कोई नहीं था, और न ही कोई है और न ही कोई होगा।
| जीवन परिचय | |
|---|---|
| व्यवसाय | • भारतीय रेसवॉकर • भारतीय सैनिक |
| शारीरिक संरचना | |
| लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 173 मी०- 1.73 फीट इन्च- 5’ 8" |
| आँखों का रंग | काला |
| बालों का रंग | काला |
| रेसवॉकर | |
| मौजूदा टीम | इंडिया |
| अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू | इंचियोन एशियाई खेल, दक्षिण कोरिया |
| कोच | गुरमीत सिंह |
| पदक | 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक |
| उपलब्धियां | • संदीप कुमार ने 2017 और 2018 में नई दिल्ली इंडियन 50 किलोमीटर रेस वॉकिंग में भाग लिया, जहां उन्होंने पहला स्थान हासिल किया। • वर्ष 2016 में उन्होंने जयपुर इंडियन 20 किलोमीटर रेस वॉकिंग च, जयपुर में प्रतिस्पर्धा की, जहाँ उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया। • 2021 में संदीप कुमार ने इंडियन रेस वॉकिंग च, रांची में प्रतिस्पर्धा की, जिसमें उन्होंने पहला स्थान हासिल किया। Sandeep Kumar in Indian Race Walking Ch, Ranchi |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | 1 मई 1986 (गुरुवार) |
| आयु (2022 के अनुसार) | 36 वर्ष |
| जन्मस्थान | महेंद्रगढ़, हरियाणा, भारत |
| राशि | वृषभ (Taurus) |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| गृहनगर | महेंद्रगढ़, हरियाणा |
| स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
| शैक्षिक योग्यता | ज्ञात नहीं |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
| वैवाहिक स्थिति | ज्ञात नहीं |
| गर्लफ्रेंड | ज्ञात नहीं |
| परिवार | |
| पत्नी | लागू नहीं |
| माता/पिता | पिता - प्रीतम सिंह किसान माता - नाम ज्ञात नहीं नोट: वर्ष 1993 में उनकी मां का निधन हो गया था। |
| भाई/बहन | उनके तीन भाई-बहन हैं; जिसमें से संदीप कुमार सबसे छोटे हैं। |
