सातवीं पीढ़ी के संगीत विशेषज्ञ स्वामी हरिदास जी श्री मृदुल कृष्णा शास्त्री जी के पूर्वज हैं। अपनी युवावस्था का अधिकतर समय उन्होंने बिहारीजी (कृष्ण भगवान) की सेवा में बिताए और अपने पिता के साथ “भागवत पुराण कथा” का वाचन करना सीखा।
सोलह वर्ष की आयु में, उन्हें श्री मूल जी बिहारी (पिता) जी के द्वारा हरिद्वार में एक समागम के दौरान “भागवत पुराण” के अगले वक्ता (निदेशक) के रूप में नियुक्त किया गया। वह 36 वर्षों से “भागवत कथा” का वर्णन कर रहे हैं और अब तक उन्होंने 700 से भी अधिक भागवत कथाएं कही हैं।
उन्होंने अपने पिता से “भागवत” और संस्कृत भाषा की मूलभूत बातें सीखीं और उन्हें श्री रामचरितमानस की करीब 8000 चौपाईयाँ कंठस्थ हैं।
“भागवत कथा” के दौरान मृदुल जी मानव जीवन में भगवान के प्रेम की आवश्यकता पर जोर देते हैं और उन्होंने कृष्ण की भक्ति के लिए अपना जीवन समर्पित करते हुए “भगवत पुराण” का उपदेश दिया। जिसके चलते उन्होंने राधा स्नेह बिहारी नामक कृष्ण मंदिर का निर्माण किया।
उन्होंने “श्री भगवत मिशन ट्रस्ट” की स्थापना की, जिसके द्वारा वृंदावन में श्री राधारानी गोशाला (150 गायों के साथ) और श्री राधा स्नेह बिहारी आश्रम को स्थापित किया गया। वर्ष 2003 से, “श्री भगवत मिशन ट्रस्ट” के द्वारा एक मासिक हिंदी पत्रिका “मृदुल चिंतन” को प्रकाशित किया जा रहा है। जिसके चलते एक धार्मिक केबल टेलीविजन चैनल- अध्यात्म को भी शुरू किया गया।
हाल ही में, उन्होंने पारंपरिक वृंदावन और आधुनिक वास्तुकला के द्वारा स्नेह बिहारी मंदिर का पुनर्निर्माण किया है, जहां हर साल कई आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। उनके श्रोताओं के अनुसार, श्री मृदुल जी एक सरल ढंग से “भगवत पुराण” के श्लोकों की व्याख्या की है और अपनी मधुर आवाज़ में भगवत कथा का वाचन करके श्रोताओं को कृष्ण भक्ति के प्रति आकर्षित किया है।
उनके द्वारा कही गई भगवत कथा भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में लोकप्रिय है और इसे अध्यात्म, आस्था एवं कई विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारित किया जाता है। उनके लाखों की संख्या में शिष्य हैं, जो गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर प्रतिवर्ष आध्यात्मिक गुरु के रूप में उनकी पूजा करते हैं।
उनके श्रोताओं के अनुसार, मृदुल जी ने “भगवत पुराण” के पात्रों एवं परिस्थितियों को इस तरह व्यक्त करते हैं कि मानो वह दर्शकों के सामने ही हों।
| जीवन परिचय | |
|---|---|
| वास्तविक नाम | आचार्य श्री मृदुल कृष्णा शास्त्री जी महाराज |
| व्यवसाय | भागवत पुराण कथावाचक और भजन गायक |
| शारीरिक संरचना | |
| लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 172 मी०- 1.72 फीट इन्च- 5’ 8” |
| वजन/भार (लगभग) | 75 कि० ग्रा० |
| आँखों का रंग | काला |
| बालों का रंग | काला |
| व्यक्तिगत जीवन | |
| जन्मतिथि | ज्ञात नहीं |
| आयु | ज्ञात नहीं |
| जन्मस्थान | वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत |
| राशि | ज्ञात नहीं |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| गृहनगर | वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत |
| स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
| महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | संस्कृत सम्पूर्णणानंद विश्वविद्यालय, काशी, वाराणसी |
| शैक्षिक योग्यता | संस्कृत में शास्त्री |
| धर्म | हिन्दू |
| परिवार | पिता - श्री मूल जी बिहारी जी माता - श्रीमती शांति गोस्वामी भाई - अतुल कृष्णा और विपुल कृष्णा बहन - ज्ञात नहीं |
| प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां | |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| पत्नी | श्रीमती वंदना गोस्वामी मृदुल कृष्णा जी की पत्नी श्रीमती वंदना गोस्वामी |
| बच्चे | बेटा - गौरव कृष्ण गोस्वामी जी (भागवत पुराण कथावाचक और भजन गायक) मृदुल कृष्णा जी का बेटा कृष्ण गोस्वामी जी बेटी - कोई नहीं |
| धन संबंधित विवरण | |
| संपत्ति (लगभग) | ज्ञात नहीं |
