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Velu Nachiyar

वेलु नचियार शिवगंगा (आधुनिक तमिलनाडु, भारत) की रानी थीं, जिन्होंने हमारे देश को अंग्रेजों के शासन से मुक्त करने में योगदान दिया। उन्होंने कई स्वतंत्रता सेनानियों की मदद से शिवगंगा पर दोबारा से कब्जा किया था।

उनका जन्म और पालन-पोषण शिवगंगा साम्राज्य के रामनाथपुरम के एक तमिल शाही परिवार में हुआ था। उनका जन्म रामनाद साम्राज्य के राजा चेल्लामुथु विजयरागुनाथ सेतुपति और रानी सकंधिमुथथल के घर हुआ था। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी।

उनके साहस और दृढ़ संकल्प को देखते हुए उन्हें भारत की पहली रानी का नाम दिया गया, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वह वेलू रामनाथपुरम की राजकुमारी रहते हुए, किसी अन्य राजकुमारी की तरह बिल्कुल भी नहीं थी।

वह बचपन से ही वलारी और सिलंबम जैसे मार्शल आर्ट में रुचि रखती थी, इसके आलावा उन्हें घुड़सवारी, तलवारबाजी, तीरंदाजी और हथियारों के उपयोग का भी शौक था और वह बिना किसी आधुनिक हथियार और गोला-बारूद के साथ लड़ने में माहिर थी।

अपनी मातृभाषा सहित वह अंग्रेजी, फ्रेंच और उर्दू जैसी भाषाओं में परिपूर्ण थीं।

उनके जन्म से कुछ साल पहले, भूमि के एक हिस्से को रामनाद साम्राज्य से अलग कर दिया गया था और इसका नाम शिवगंगा राज्य रखा गया था। शशिवर्ण थेवर शिवगंगा राज्य के राजा बनाए गए थे। जब वह 16 साल की हुई, तब उनके परिवार वालों ने उनके लिए एक आदर्श जोड़ी की तलाश शुरू कर दिया था।

1746 में रामनाद और शिवगंगा राज्यों के शासकों ने एक विवाह समझौता करने का फैसला किया कि राजकुमारी वेलु का विवाह शिवगंगा साम्राज्य के राजकुमार मुथु वदुगनाथ थेवर से कर दिया जाए। कुछ समय बाद उनका विवाह शिवगंगा के राजा मुथु वदुगनाथ पेरियावुदया थेवर से हो गया। उन्होंने इकलौते बच्चे वेल्लाची नचियार को जन्म दिया, जिसे उन्होंने शिवगंगा की उत्तराधिकारी के रूप में पाला-पोषा। लगभग 20 वर्षों तक दंपति ने राज्य पर शासन किया। वह अपने परिवार और राज्य के लोगों के साथ खुशी से रहते थी जब तक कि अंग्रेजों ने आकर शिवगंगा पर हमला नहीं किया था।

जब अंग्रेज भारत आए तो उसके कुछ साल बाद वह आर्कोट के नवाब मुहम्मद अली खान वालजाह के सहयोगी बन गए और शिवगंगा पर हमला करने से पहले, उन्होंने मदुरै नायक साम्राज्य पर कब्जा कर लिया, लेकिन शिवगंगा के राजा ने अपना राज्य देने से इनकार कर दिया और तभी युद्ध शुरू हुआ।

वर्ष 1772 में एक दिन शिवगंगा के राजा शिवगंगा के पास कालयार कोविल शिव मंदिर में अपनी नियमित पूजा के लिए जा रहे थे तभी आर्कोट के नवाब की मदद से ईस्ट इंडिया कंपनी (ईआईसी) ने मंदिर और शिवगंगा साम्राज्य पर हमला कर दिया। जिसके बाद लेफ्टिनेंट कर्नल अब्राहम बोनजोर के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने उन्हें पकड़कर उनकी बेरहमी से हत्या कर दी।

ब्रिटिश सैनिकों ने मंदिर से 50,000 सोने के सिक्कों सहित सभी गहने लूट लिए। कमांडर जोसेफ स्मिथ द्वारा निर्देशित ब्रिटिश सैनिकों के एक अन्य समूह ने राजा की अनुपस्थिति में शिवगंगा किले पर हमला किया। युद्ध में कई लोगों की जान चली गई, जिनमें स्वयं राजा भी शामिल थे। उन्हें अपनी छोटी बेटी के साथ अपने मंत्री दलवॉय थंडावराय पिल्लै की मदद से भागना पड़ा।

जीवन परिचय
व्यवसाययोद्धा/सेना अधिकारी
प्रसिद्ध हैंउन्हें तमिलों द्वारा "वीरमंगई" (बहादुर महिला) के रूप में भी जाना जाता है।
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि3 जनवरी 1730 (मंगलवार)
जन्मस्थानरामनाथपुरम, शिवगंगा राज्य, भारत; जो अब तमिलनाडु राज्य के रूप में जाना जाता है।
मृत्यु तिथि25 दिसंबर 1796 (रविवार)
मृत्यु स्थलरामनाथपुरम, शिवगंगा राज्य, भारत
आयु (मृत्यु के समय)66 वर्ष
मृत्यु कारणहृदय रोग के कारण
राशिवृश्चिक
राष्ट्रीयताभारतीय
प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारी
विवाहिक स्थितिविधवा
परिवार
पतिराजकुमार मुथु वदुगनाथ थेवर
बच्चेबेटी - वेल्लाची नचियार
माता-पितापिता - राजा चेल्लामुथु विजयरागुनाथ सेतुपति माता - रानी सकंधिमुथथल

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